Saturday, February 13, 2010

काश ....(प्रेम दिवस पर )


प्रेम के सागर को ,
प्रेम की गहराई को ,
प्रेम के लम्हों को ,
कब कोई बाँध पाया है ..
पर इक मीठा सा एहसास ,
दिल के कोने में ..
दस्तक देने लगता है
जब मैं तुम्हारे करीब होती हूँ
कि काश ..
प्यार की हर मुद्रा में
हम खुजराहो की मूरत जैसे
बस वही थम जाए
लम्हे साल ,युग बस
यूँ ही प्यार करते जाए
मूरत दिखे ,अमूर्त सी हर कोण से
और कभी जुदा होने पाये
काश ..........
बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!!!

रंजना (रंजू) भाटिया

36 comments:

vandana gupta said...

waah..........bahut hi sundar ........khaskar ye panktiyan--------
बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!!!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" said...

bahut hee achhi rachna likhi hai ranju ji..

निर्मला कपिला said...

बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!!!
रंजू जी कमाल की रचना है बधाई आपको

Arvind Mishra said...

प्रेम पर्व की पूर्व संध्या पर एक सुन्दर प्रेम स्मृतिका

स्वप्न मञ्जूषा said...

are badi khoobsurat hai prem ki batiyaan..!!

Yashwant Mehta "Yash" said...

भाव सुन्दर उकेरे है कविता में
खुजराहो की मूर्ति और प्रेम चिह्न बन जाने की चाहत अगर पूरी हो जाये तो प्रेमी विरह के दुखः से बच जायेगा पर विरह के दुखः में तपकर अगर प्रेम न निकला तो शुद्ध ना हो पायेगा

संगीता पुरी said...

काश ..........
बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!!!

कहां से आती हैं आपके मन में इतने सुंदर भाव .. बहुत अच्‍छी लगी ये रचना !!

संजय भास्‍कर said...

bahut hee achhi rachna likhi hai ranju ji..

डॉ. मनोज मिश्र said...

प्रेम के लम्हों को ,
कब कोई बाँध पाया है ....
बेहद सुखद एहसास का बोध करा रही है रचना.

Randhir Singh Suman said...

nice

राज भाटिय़ा said...

क्या बात है रंजना जी बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना

"अर्श" said...

sundar rachanaa ranjanaa ji badhaayee kubulen......




arsh

Udan Tashtari said...

मौके विशेष पर बहुत सुन्दर और कोमल रचना.

रंजन said...

बहुत सुन्दर...

शुभकामनाएँ

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!!!
प्रेम-दिवस का क्या खूब तोहफ़ा दिया है आपने रंजना जी.

shikha varshney said...

waah prem si saral,sahaj ,pyaari kavita.

Himanshu Pandey said...

कविता में गहरी भावदशा के दर्शन हुए ।
"हम खुजराहो की मूरत जैसे
बस वही थम जाए"- इस पंक्ति ने विभोर कर दिया ।

आभार ।

Alpana Verma said...

'बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!'

***कितनी सुंदर चाहना है रंजू जी!***
निस्वार्थ , निर्मल प्रेम से ही यह संभव है मगर ऐसा प्रेम कहीं नही है जिसमें स्वार्थ निहित ना हो!
'मूरत दिखे ,अमूर्त सी हर कोण से
और कभी जुदा न होने पाये'
-ख्यालों ख्वाबों की दुनिया ही सच मे बहुत हसीन है!
ऐसे ही खूबसूरत ख्यालों को अभिव्यक्त करती
बहुत ही सुंदर कविता लिखी है.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

जब मैं तुम्हारे करीब होती हूँ
कि काश ..
प्यार की हर मुद्रा में
हम खुजराहो की मूरत जैसे....



इन पंक्तियों ने दिल को छू लिया..... बहुत सुंदर और लाजवाब रचना....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने!
प्रेम दिवस की हार्दिक बधाई!

दिगम्बर नासवा said...

बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए ,....

प्रेम के नये अर्थ तलाशती बेहद अनुपम कृति ...... सदा सदा के लिए प्रेम को जीवित रखने की चाह .... प्रेम का आधार स्वयं ही जीवित रहता है सदियों तक ..... बहुत ही लाजवाब लिखा है ...

Razi Shahab said...

achchi rachna

अनिल कान्त said...

प्रेम में डूबी एक खूबसूरत कविता. आपके शब्द और भाव बहुत प्यारे होते हैं

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

वाह...प्रेम से सराबोर रचना.. :)
आपने उन लम्हो को बहुत अच्छे से बाधने की कोशिश की है..जैसे आपने लम्हो को स्टेचू बोल दिया हो :)

रचना दीक्षित said...

बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!!!


बहुत सुन्दर प्रेमाभिव्यक्ति

rashmi ravija said...

प्रेम के लम्हों को ,
कब कोई बाँध पाया है ...
कितना सच कहा है
प्रेममयी अभिव्यक्ति से सजी सुन्दर कविता..

Mohinder56 said...

सुन्दर रचना के लिये बधाई
प्रेम अगर खजुराहो की कला का स्वरूप हो जाये तो बर्षों तक लोगों तक प्रदर्सन का प्रयाय बन रह जायेगा... प्रेम प्रदर्शन नहीं.. एक जजवा है जो दिल से महसूस किया जा सकता है.. सागर की गहराई या पर्वत की ऊंचाई भी इसे मापने के लिये कम पडेगी.

रंजना said...

प्रेमपूर्ण कोमल भावों की मनमोहक अभिव्यक्ति...वाह !!!!

सागर said...

कितनी जगह काम चलती हैं आप ? और कहाँ से आती है इतनी कविता... क्या दिमाग ही साहित्यिक है ? खुजराओ वाला बिम्ब शानदार है ...

औरत वासना में खोजती है प्रेम
मर्द प्रेम को तलाशता है वासना

ज्योति सिंह said...

waah kahne kya pyaar ke ahsaas ko jisne hamare shahar khajuraho ko bhi shamil kar liya ,bahut sundar rachna

Abhishek Ojha said...

आमीन !

गौतम राजऋषि said...

बहुत ही सुंदर बिम्ब मैम।

M VERMA said...

बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!!!
दिलक्श ख्वाहिश और तमन्ना
सुन्दर कवित अरु अभिव्यक्ति

shama said...

काश ..........
बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!!!
Sach..is kaash me kitna kuchh samahit hai!

पूनम श्रीवास्तव said...

Prem ko lekar likhee gayee bahut khuubasoorat rachanaa. hardika badhai.
Poonam

अंजना said...

बरसो से खड़े इन प्रेम युगल से
हम एक प्रेम चिन्ह बन जाए!!!!

वाह बहुत खुब कहा आप ने