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Tuesday, January 12, 2010
धोखा
एक साँस .....
जाने किस आस पर
दिन गुजारती है..
निरीह सी आंखो से
अपने ही दिए जीवन को,
पल -पल निहारती है
पुचकारती है, दुलारती है
अपने अंतिम लम्हे तक
उसी को ...
जीने का सहारा मानती है
सच है ...
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
रंजना (रंजू) भाटिया
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52 comments:
हकीकत अपने खूबसूरत रूप में ना आये ,भयावह बन जाये
मुस्करा के जीना चाहना भी दुश्वार हो जाये
रंजूजी !ऐसे हालत में आपका ये ख़याल बुरा नही
दिल के किसी कोने में एक धोखा सहेजना बुरा नही
बहुत ही सुन्दर शब्दों से रची सजीव अभिव्यक्ति ।
रंजना जी अप्पने तो पाठकों तो अपने जन्मदिन का बेहतरीन तोहफा दे दिया. बहुत बहुत बधाई.भगवान करे आप इसी प्रकार शब्दों की माला पिरोती रहें .
वाह ! बहुत अच्छी अभिव्यक्ति .....
हाँ , कभी कभी तो महान कवि भी कहता है ...
'' विस्मृति आ अवसाद घेर ले नीरवते बस चुप कर दे ... ''
सच है ...
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
सहमत हूं
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
वाह ! बहुत बढ़िया है भाई.
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
क्या बात है.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति......बधाई
again a fantabulous presentation ranjna ji.
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
बहुत खूब रंजना जी ।
सच कहती है आप एक धोखा या भ्रम होना जरुरी है। वाह।
इस अच्छी रचना के लिए
आभार .................
सुन्दर रचना
इस अच्छी रचना के लिए
आभार .................
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है,
--सच ही है ...
धोखे में खुद को रख कर जीवन जीने की कला भी निराली ही है.
हक़ीकत मे जीना मुश्किल हो तो ऐसा भी सही.
बहुत अच्छा लिखा है.भावपूर्ण कविता.
ranjana ji aaj to is kavit ake madhyam se aapne wo dard ukera hai jo ek prandayini hi samajh sakti hai..........bahut hi gahan aur umda.
सुंदर। वैसे क्या ये दुनिया भी एक धोखा नहीं है?
--------
अपना ब्लॉग सबसे बढ़िया, बाकी चूल्हे-भाड़ में।
ब्लॉगिंग की ताकत को Science Reporter ने भी स्वीकारा।
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
wah ranjana ji bhaut khoob likha hai.
sundar bhavo ko ukerti ati sundar kavita... har baar kee tarah adbhutaas..
रंजू जी आपके लिखे पर क्या कमेन्ट किया जाये...प्रशंशा के शब्द ही नहीं मिलते अब तो...लाजवाब
नीरज
behtareen
वाह रंजन जी, क्या अभिव्यक्ति है...बहती हुई...बेहतरीन चित्रण...
एक बात,
एक साँस .....
जाने किस आस पर
दिन गुजरती है..
इसमें गुजरती के बदले शायद गुजारती होना चाहिये था...
देखियेगा..आप बेहतर समझ पायेंगी..मुझे ऐसा लगा.
@आरके जी मेरा जन्मदिन आज तो नहीं है ..आपको कोई गलतफहमी हुई है ..फिर भी शुक्रिया ..:)
@हांजी समीर जी वहां ठीक कर दिया है .आपने सही कहा ..शुक्रिया इतने ध्यान से इसको पढने का ..
बाकी सभी का भी तहे दिल से शुक्रिया जो मेरे लिखे को इतना प्यार दिया ..धन्यवाद
सही है और सच भी!
सच है ...
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥...
................लाजवाब .
सच है ...
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
BILKUL SAHI KAHA....
DIL KO CHHOOTI HAMESHA KI TARAH ADITEEY RACHNA...
बहुत खुब्सुरत लगी आप की यह कविता
वाकई धोखे को खूबसूरती से बयान किया है
वाह!
घुघूती बासूती
बहुत खूब ,लाजवाब अभिव्यक्ति लगी ।
सुंदर और भावपूर्ण रचना.
"सच है ... जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह .. एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही.... सच से परे होना भी जरुरी है॥" शायद?
सुन्दर रचना
इस अच्छी रचना के लिए
आभार .................
बहुत अच्छी रचना। लाजवाब।
aapki ye rachna padh kar 3idiots ki all is well wali kahani yaad aa gayi ki ek andha security guard rakhwali karte huai chillata rehta hai all is well aur log khud ko secure samajh kar so jate hai..so dil ko dhoka dete raho to all is well...bahut khoobsurat abhivyakti.badhayi.
रंजना जी,
सच है ...
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
कितनी खरी और सच्ची बात आपने सहजता से रचना में उतार दी... मन को स्पर्श कर गई एन पंक्तिया. वाह साधू!!
सच है ...
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है ....
सच है जीने की लिए .... धोखे को सच मान लेना पड़ता है कभी कभी .......... क्योंकि जीवन तो चलना है ..........
सुन्दर रचना
इस अच्छी रचना के लिए
आभार .................
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
बहुत गहरी और सही बात है । शुभकामनायें
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
जिसे हम धोखा समझ रहे हैं वह सच भी तो हो सकता है और जिसे सच वह ----
बेहतरीन भाव
अपनी टिप्पणी से ह्रदय पुष्प पर "असमानताएं" को सजाने के लिए आभार और धन्यवाद्.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
लोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की
हार्दिक शुभकामनाएँ!
च है ...
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
bahut sach
सच है ...
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति।
बधाई!
सच है ...
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
dilkash ,purmaani khayal
जीवन के कटु सत्य का सार्थक चित्रण।
--------
थोड़ी अक्ल लगाएं, खूब करें एन्ज्वाय...
विष का प्याला पी कर शिवजी नीलकंठ कहलाए।
... कविता मे शीर्षक के अनुरूप लय का अभाव है साथ ही साथ अभिव्यक्ति भी अधूरी सी जान पड रही है !!!!
baat to behad asardaar hai ,hame kafi pasand aai ,jeene ke liye aese dhokhe bhi nihayat jaroori hai .ek lekh dali hoon kavyanjali par kripya aakar apne vicharo se savaare .
पहली बार पढ़ा तो उलझ कर रह गया कि कविता क्या कहना चाह रही है, आज फिर से आया तो समझा कि उस "एक साँस" पर कितने रिश्तों की बुनियाद टिकी हुई है...बहुत खूब मैम!
कितना कुछ समेटती है आपकी कविता । बेहद खूबसूरती से कह दी है आपने गूढ़ बात ।
सुन्दर कविता । आभार ।
अच्छी रचना के लिए
आभार
सच है ...
जीने की वजह
कोई बनाने के लिए
इस तरह ..
एक धोखा होना जरुरी है
और दिल के किसी कोने को
यूं ही....
सच से परे होना भी जरुरी है॥
कितनी सुन्दर पंक्तियां.
जिन्दगी के बेहद करीब.. बहुत सुन्दर रचना..
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