Monday, January 04, 2010

एहसास (कुछ यूँ ही )



सर्दी का ...
घना
कोहरा..
उसमें..
डूबा हुआ मन..
एक अनदेखी सी
चादर में लिपटा हुआ
और तेरी याद उस में
आहिस्ता से ,धीरे से
उस कोहरे को चीरती
यूँ मन पर छा रही है
जैसे कोई कंवल
खिलने लगा है धीरे धीरे
और आँखों में
एक चाँद...
मुस्कराने लगा है ...

रंजना (रंजू )भाटिया


"सन्डे विदआउट सन शाइन "..इंडिया गेट का नजारा ३ जनवरी २०१० को मेरे कैमरे की नजर से ..दिल्ली की सर्दी ....

रंजना (रंजू )भाटिया
३ जनवरी २०१०

47 comments:

Arvind Mishra said...

ahsaas kee kavita !

अनिल कान्त said...

ये शब्द बहुत प्यारे और कोमल हैं !

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

एक अनदेखी सी
चादर में लिपटा हुआ
और तेरी याद उस में
आहिस्ता से ,धीरे से
उस कोहरे को चीरती
यूँ मन पर छा रही है....

बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ सुंदर कविता....

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

एक अनदेखी सी
चादर में लिपटा हुआ
और तेरी याद उस में
आहिस्ता से ,धीरे से
उस कोहरे को चीरती
यूँ मन पर छा रही है....

बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ सुंदर कविता....

सदा said...

जैसे कोई कंवल
खिलने लगा है धीरे धीरे

बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में सिमटे एहसास ।

pallavi trivedi said...

और आँखों में
एक चाँद...
मुस्कराने लगा है ...

beautiful lines.

अजय कुमार said...

सुखद और सुंदर एहसास

Unknown said...

कविता अच्छी लगी!

Kusum Thakur said...

कोमल अहसास लिए हुए बहुत अच्छी रचना . बधाई !!

नव वर्ष की शुभकामनायें !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

ठिठुरते मौसम में यह मखमली रचना आनन्द दे गई!

के सी said...

कुछ यूं ही मगर बहुत ख़ास
तस्वीर भी बहुत अच्छी है, अभी फुरसत में था तो आपकी पुरानी पोस्ट्स देखी... अमृता , इमरोज, नज़्मे, संस्मरण ... बहुत सुंदर लिखती हैं आप.
नव वर्ष मंगलकारी हो.

Udan Tashtari said...

कोमल अहसासों की बानगी.


’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

-सादर,
समीर लाल ’समीर’

संध्या आर्य said...

हसीन वादियो मे खो गये इन हसीन वादियो मे .......

shikha varshney said...

waah ..how romantic...bahut sunder.

Crazy Codes said...

thats beauty... poems is really wonderful...

डॉ. मनोज मिश्र said...

और आँखों में
एक चाँद...
मुस्कराने लगा है ...
बेहतरीन भावाभिव्यक्ति .

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर भावपूर्ण कविता।
उतना ही सुंदर चित्र।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सुंदर एहसास

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी.
धन्यवाद

संजय भास्‍कर said...

कोमल अहसास लिए हुए बहुत अच्छी रचना . बधाई !!

नव वर्ष की शुभकामनायें !

Dr.R.Ramkumar said...

Nazara aur kavita atyant khubsurat...jinme yah khyal aate hain oh aur khoobsurat..iski mahak aati hai..

अंजना said...

रंजना जी,सर्दी के घने कोहरे मे उत्पन्न ये कोमल भावो की रचना बहुत ही अच्छी है।बधाई।

वन्दना अवस्थी दुबे said...

वाह कितनी मासूम सी कविता!!
नया साल मुबारक हो.

Himanshu Pandey said...

कोहरे में याद का धीरे से पास आ जाना और फिर अनुभूतियाँ जैसी अभिव्यक्त हुई यहाँ !
सुन्दर रचना । आभार ।

वाणी गीत said...

कोहरे से ढकी यादों के बीच चाँद सा मुस्कुराता उसका चेहरा ....कोहरे को तो छंटना ही था ...!!

Alpana Verma said...

Kohre ki chaadar mein lipate komal ahsaas......
khubsurat bhaav liye kavita..aur chitr mein mausam ka sundar nazara...bahut khoob!

Razi Shahab said...

behtareen kavita

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया !!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत एहसास से बुनी खूबसूरत अभिव्यक्ति....

गौतम राजऋषि said...

कलम और कैमरे- दोनों पे समान आधिपत्य...बहुत खूब मैम!

निर्मला कपिला said...

ठंड मे एक सुन्दर एहसास तस्वीर भी बहुत अच्छी लगी शुभकामनायें

नीरज गोस्वामी said...

और तेरी याद उस में
आहिस्ता से ,धीरे से
उस कोहरे को चीरती
यूँ मन पर छा रही है
जैसे कोई कंवल
खिलने लगा है धीरे धीरे

वाह...वाह....वाह...बेमिसाल शब्द और कमाल के भाव...लाजवाब रचना है ये आपकी रंजू जी....बधाई
नीरज

श्रद्धा जैन said...

और तेरी याद उस में
आहिस्ता से ,धीरे से
उस कोहरे को चीरती
यूँ मन पर छा रही है
जैसे कोई कंवल
खिलने लगा है धीरे धीरे
और आँखों में
एक चाँद...
मुस्कराने लगा है ...


bahut hi meethi khoobsurat rachna
pyaari aur komal

ज्योति सिंह said...

एक अनदेखी सी
चादर में लिपटा हुआ
और तेरी याद उस में
आहिस्ता से ,धीरे से
उस कोहरे को चीरती
यूँ मन पर छा रही है
nav varsh mangalmaya ho ,rachna to behad pasand aai ,nav varsh ki khoobsurati liye huye

Asha Joglekar said...

ये घना कोहरा और उसपर आपकी कविता बहुत असरदार है ।

Anonymous said...

KHOOBSURAT pal ka varnan
and ha
happy new year 2 u

Amrendra Nath Tripathi said...

घने कुहासे में चाँद न छुपे तबै भले !
.. ( देर से ) नए साल की शुभकामनाएँ ..

katya said...

ehsaas kya hota hai, dil ko chhoo lene wale shabd kya hote hain inka jawab aapki iss kavita me hai. mujhe lagta hai ki agar aap prakriti ki khubsurati ko samajhte hain, aur usme jeene ki kala jante hain to aap apni zindagi ke sabse khaas shakhs ke apne paas hone ka ehsaas paate hain. ranjana jee wakai bahut hi khubsurat rachna hai. all d best.
KATYA

दिगम्बर नासवा said...

एक अनदेखी सी
चादर में लिपटा हुआ
और तेरी याद उस में
आहिस्ता से ,धीरे से
उस कोहरे को चीरती
यूँ मन पर छा रही है
जैसे कोई कंवल
खिलने लगा है धीरे धीरे
और आँखों में
एक चाँद...

कोहरे में लिपटी हसीन वादियों में लौटने का मन करता है इस रचना को पढ़ने के बाद ............ बहुत ही स्वप्निल रचना .....

Pushpendra Singh "Pushp" said...

इस सुन्दर रचना के लिए
बहुत बहुत आभार

Dr. Tripat Mehta said...

wah wah!
kya khoob kaha...
badhai ho :)

daanish said...

मन की नफ़ीस गहराई में पनपे
कोमल एहसास की
बहुत उम्दा तर्जुमानी
एक अपनी-सी रचना

अभिवादन .

Satish Saxena said...

बहुत सुंदर रचना, शुभकामनायें रंजना जी !

राहुल यादव said...

man ki baat .. sabki baat

रचना दीक्षित said...

एक सुखद अहसास और प्यार से सराबोर

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ सुंदर कविता....

M VERMA said...

कुहरा छटते ही सब साफ हो जाता है
और फिर कंवल खिलना लाजिमी ही है