Wednesday, October 21, 2009

कोई तो होता .....


कोई तो होता ......
दिल की बात समझने वाला
सुबह के आगोश से उभरा
सूरज सा दहकता
रात भर चाँद सा चमकने वाला

पनीली आखों में है
खवाब कई ...
कोई संजो लेता ..
इन में संवरने वाला
थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला

दिल की धडकनों में
कांपते हैं कितने ही एहसास
कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला
इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!!

रंजू भाटिया

56 comments:

सदा said...

कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला ।

बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां गहरे शब्‍दों का संयोजन लाजवाब प्रस्‍तुति, बधाई ।

अजय कुमार said...

कोई तो होता ......
दिल की बात समझने वाला
bhaavpoorn panktiyan

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!

bahut gahre ehsaas ke saath ek behtareen kavita....

Mumukshh Ki Rachanain said...

"कोई तो होता .."
कितनी विडम्बना है म हर कोई यही चाहत रखता है, पर ऐसा दूसरों के लिए कोई बनना ही नहीं चाहता, जो कुछ कुछ वैसा दिखता भी है, कालांतर में भ्रम ही सिद्ध होता है........... अपना कोई हो ही नहीं पाता..............
कही न कहीं यह अपनी हार है, मज़बूरी की हार........

लाजवाब कविता पसंद आई.

हार्दिक बधाई.

चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया रचना है।
शब्द सीधे हृदय में उतर जाते हैं।
बधाई!

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर !
घुघूती बासूती

डिम्पल मल्होत्रा said...

दिल की धडकनों में
कांपते हैं कितने ही एहसास
कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला
इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!!
jante hai nahi loutega fir bhi intzaar karte rahte hai........

ओम आर्य said...

अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!
jee kyaa baat ahi hai aapane........khubsoorat...

Alpana Verma said...

'सुबह के आगोश से उभरा
सूरज सा दहकता
रात भर चाँद सा चमकने वाला'

वाह! वाह!!
रंजना जी आप ने तो न जाने कितनी बातें इन तीन पंक्तियों में ही कह दी हैं!
कमाल है!सारी कविता का सार छुपा है इन तीन पंक्तियों में!
अद्भुत!

shikha varshney said...

चलो आज अपना वो घर देख आएँ
दीवारें हमारी या दर देख आएँ
बस आँसू बहाएँ ये चर्चा करें ना
गिराया था किस ने था किस ने बचाया
ना मैने निभाया ना तुमने निभाया

wah kya bat kahi hai..lajabab.

संगीता पुरी said...

कोई तो होता !!
वाह .. क्‍या लिखा है !!
बहुत खूब !!
आपके ब्‍लाग का नाम 'कुछ मेरी कलम से' न होकर 'कुछ मेरे दिल से' होना चाहिए !!

रश्मि प्रभा... said...

behtareen bhawnaaon ka sanyojan

शोभना चौरे said...

bhut hi khubsurat ahsas
दिल की धडकनों में
कांपते हैं कितने ही एहसास
bahut achhi abhivykti

निर्मला कपिला said...

दिल की धडकनों में
कांपते हैं कितने ही एहसास
कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला
इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!!
अपनी छोटी बहन की हर संवेदना पर निशब्द हूँ । बस कुछ नहीं कहूँगी शुभकामनायें

दिगम्बर नासवा said...

कोई तो होता ......
दिल की बात समझने वाला....

लाजवाब लाइने ......... सच में जीवन बेमानी लगता है जब कोई दिल को समझने वाला नहीं होता ........ अच्छी जज्बात संजोये हैं अपने ..........

Arvind Mishra said...

बहुत ग़मगीन सी करती कविता

Abhishek Ojha said...

अंत तक पहुच कर मुझे ये याद आ गया: 'ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना'

Science Bloggers Association said...

जिंदगी की तल्ख सच्चाई को बहुत खूबसूरती से लफजों का जामा पहना दिया है आपने।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

ताऊ रामपुरिया said...

बेहद खूबसूरत.

रामराम.

Mishra Pankaj said...

पनीली आखों में है
खवाब कई ...
कोई संजो लेता ..
इन में संवरने वाला
थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला

सुन्दर रचना बधाई

ताऊ रामपुरिया said...

बेहद खूबसूरत.

रामराम.

वन्दना अवस्थी दुबे said...

थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला
क्या बात है!!लाजवाब.

अनिल कान्त said...

बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां हैं ये
बहुत अच्छा लगा पढ़कर

M VERMA said...

कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला
----
लौट के आ जायेगा जाने वाला
पुकार के तो देखो दिल की गहराई से

पुनीत ओमर said...

भावुक कर देने वाली पंक्तियाँ.. खासकर उनके लिए जिनकी जिंदगी से कोई दूर चला गया है कभी न वापस आने के लिए..

राज भाटिय़ा said...

बोत चंगी जी वेजा वेजा करवा दीती तुझी तें जी

स्वप्न मञ्जूषा said...

दिल की धडकनों में
कांपते हैं कितने ही एहसास
कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला
इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!!
aapki kavitayein hamesha hi aakrisht karti hain apni samvedansheelta ki vahjah se..
hamesha ki tarah ek aur amuly kriti..

Himanshu Pandey said...

"पनीली आखों में है
खवाब कई ...
कोई संजो लेता ..
इन में संवरने वाला
थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला"

गजब है ! पनीली आँखों के ख्वाब सँजोना !
फिर थरथराते लबों पर लफ्जों का सावन ! मैं मुग्ध हूँ ।
आभार ।

rashmi ravija said...

पनीली आखों में है
खवाब कई ...
कोई संजो लेता ..
इन में संवरने वाला
कई लोगों के दिल की कसक बयाँ कर दी इन शब्दों में...ख़ूबसूरत रचना..

mehek said...

थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला
behad khubsuat

SP Dubey said...

बात अपने दिल कि खुद कह न सका
सुनने वाले ने कितनी सहजता से सुन लिया
अत्यन्त प्रभावशली अभिव्यक्ति
सादर नमन और आभार

kishore ghildiyal said...

sach ekdum adbhut .....koi to hota
bhavnao ko chuti kavita
http/jyotishkishore.blogspot.com

राजकुमार ग्वालानी said...

सच में कभी लौट के नहीं आता रूठ के जाने वाला
तहां ही रह जाता है किसी को चाहने वाला

vandana gupta said...

इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!!

behtreen bhav.........aasmanon ke khandhar par............naman hai is soch ko.........bejod likha hai

सुशील छौक्कर said...

कोई तो होता ......
दिल की बात समझने वाला
सुबह के आगोश से उभरा
सूरज सा दहकता
रात भर चाँद सा चमकने वाला

वाह जी वाह क्या बात है। एक अलग ही अहसास। अति सुन्दर।

neera said...

हवा के झोंके की तरह प्यार को ओढ़ लिया हो जैसे ..

Anonymous said...

आते है..लौट के जाने वाले कलम मे असर होना चाहिये ।

शरद कोकास said...

यह तलाश ही हमेशा कर्म के लिये प्रेरित करती है औए कहते है कि कल्पना हमेशा बलवती होती है वह इच्छाओं की गति बढा देती है .. बार बार लौट के आते है जाने वाले ।

Asha Joglekar said...

कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!
बहुत भाव प्रवण लिखा है आपने । बढिया कविता । .

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला

kya thoughts hai...waaah amazing..

aapki book padhni hai humein? kya crossword mein mil jayegi? Bataiye kahan se li jaye? :)

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

'पनीली आखों में है
खवाब कई ...'
बहुत सुंदर.

श्रद्धा जैन said...

इन एहसासों को परखने वाला
इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!!

bahut sach kaha
jaane wala lout kar kabhi nahi aata

के सी said...

स्मृतियों के घनीभूत होने के समय से ठीक पहले के माहौल की कविता है. कथ्य का विस्तार सुबह से रात तक का है और इस लम्बाई को आपने सुन्दरता से पूरित कर लिया है. दूसरे अंतरे में वक़्त ठहर सा गया है एक इंतजार यादों के तार बुन रहा है जिसने पनियल आँखों से खूबसूरत बिम्ब को पूरा सम्मान दिया है. अंतिम पंक्तियों तक आते आते मुझेलगा कि इस कविता को अलग अलग सिटिंग में लिखा गया है कुछ ऐसा है जो भावों को विभक्त करता है. वैसे आपकी लेखनी पर कुछ कहना सूरज को रोशनी दिखने जैसा है.

अमिताभ श्रीवास्तव said...

shbdo ki khoobsoorati, rachna me bhaav bhar diya karti he/
थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
wah, kya baat likhi he...

गौतम राजऋषि said...

आंखों के पनीले ख्वाब-सी ये कविता, मैम...बहुत खूबसूरत!

निर्मला कपिला said...

पनीली आखों में है
खवाब कई ...
कोई संजो लेता ..
इन में संवरने वाला
थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला
रंजना जी क्या कहूँ दोल को छूने वाली भावमय कविता के लिये बधाई और शुभकामनायें यही कह सकती हूँ।

रंजना said...

peeda ko sakaar karti bhaavpoorn ati sundar rachna....

Aacharya Ranjan said...

बहुत खूब , रंजना जी ! आपकी यह कविता सीधा दिल कि गहराई में पहुँच जाती है - आचार्य रंजन

Avinash said...

har khyaal ka jawaab hai humare paas.... just visit http://yourquestionanswer.blogspot.com/

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

Bahut khoob

Happy Blogging

मुकेश कुमार तिवारी said...

रंजना जी,

पनीली आखों में है
खवाब कई ...
कोई संजो लेता ..
इन में संवरने वाला
थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला

शाय्द इन ख्यालों को नही पढ़ता तो बहुत कुछ छूट जाता। यह प्रतीक्षा/इंतजार ही कभी जीवन बन जाता है।

सादर,


मुकेश कुमार तिवारी

Arshia Ali said...

सही कहा आपने, इस दुनिया में हर तरह के लोग मिलते है, पर दिल की बात समझने वाला कोई नहीं मिलता।
--------
स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।

नीरज गोस्वामी said...

रंजना जी देरी आने पर क्षमा...आप इतने सुन्दर शब्दों का प्रयोग करती है की पढने वाले के दिल से बरबस वाह निकल जाती है...बहुत अद्भुत रचना...
नीरज

Satish Saxena said...

हमदर्द के अभाव की बढ़िया अभिव्यक्ति ! शुभकामनायें रंजना जी !

ज्योति सिंह said...

थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला
क्या बात है
bahut hi khoobsurat likha hai man ko chuu gayi

S R Bharti said...

बहुत सुंदर रंजू जी ,
'ठहरा है लफ्जों का सावन'
कोई तो होता नामक कविता में आपने बहुत सुंदर भवाभव्यक्ति को प्रस्तुत किया है.
बधाई.