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Thursday, July 09, 2009
अधूरे सपने....
नदी के किनारे
नन्हें पैरों को जोड़ कर
उस पर मिटटी को थाप
एक नन्हा सा घर बनाया था ..
सजाई थी
उसके चारो तरफ़
टूटी हुई टहनियां ..
कुछ रंग बिरंगे
कांच के टुकडे
और ......
रंगीन सपनो से
उसको सजाया था
टांगा था घर की छत्त पर
अपनी फ्राक की लैस को
विजय पताका समझ के
फ़िर कई रंगों से सजा
खिलखिलाता बगीचा
लगाया था .......
नन्ही आँखों में सपने
हाथो पर टिकी ठुड्डी
दिल में बस यही ख्याल
कि यह घर मेरा है ...
पर ...
तब न जाना था
कि मिटटी के घर
टूट जाया करते हैं
और रिश्ते यूँ ही
अधूरे छूट जाया करते हैं !!
रंजू भाटिया
९ जुलाई २००९
आज माँ की पुण्यतिथि पर यूँ ही उमडे कुछ भाव ...
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39 comments:
गहन मर्मस्पर्शी भावों की कविता
माँ जी को मेरी आदरभरी श्रद्धांजलि
गहन भावो को चित्रित करने मे आपको महारत हासिल है.
बहुत सुन्दर भाव
सघन
गहरे भाव से लबरेज़ इस कविता मे मुझे दर्द का दरिया दिखा ............जो बडे ही करीने से प्रस्तुत की है ......अतिसुन्दर
जीवन के गहरे अर्थों को छूती आपकी रचना अच्छी लगी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
जीवन के सच को बयाँ करती रचना
माँ जी को मेरी श्रद्धांजलि
बेहतरीन भावपूर्ण रचना,माँ को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि.
mitti se rishte tut jarur jate hai
lekin unki khushboo hmesha bni rhti hai .
marmik rchna .
अति मार्मिक!!
माता जी के पुणय स्मरण को नमन.
गहन भाव और कसक लिए प्रभावशाली कविता.
रिश्तों की डोर कितनी भी कस के थामो वक़्त के भंवर में छूट जाती है.
आप की मम्मी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें मेरी श्रद्धांजलि .
मार्मिक एवं हृदय स्पर्शी रचना।
मकता जी को श्रद्धांजलि।
बहुत सुन्दर.
कई अधूरे और मासूम सपने याद आये. ....
माताजी को श्रधांजलि.
इससे उत्तम श्रद्धांजलि और क्या होगी.........एक माँ को क्या चाहिए, उसकी संतान को नाम ,पहचान सामर्थ्य और सुख मिले......मुझे लगता है माताजी आपको देख बड़ी संतुष्ट होंगी...
beautiful mom! I am sure nani is very proud of you...wherever she is now :)
Love you
गहरी मर्मस्पर्शी रचना है आपकी......सब कुछ हमेशा साथ नहीं रहता पर यादें रह जाती हैं. इस से बेहतर श्रद्धांजलि और क्या हो सकती है...............
बहुत पीड़ा है, इस में!
jeevan ki gehrai kuch aisi hi hoti hai,bahut achhi lagi rachana.
माताजी को नमन. बहुत मार्मिक है. शुभकामनाएं.
रामराम.
bahut maasoom
bahut pyaari
_____bahut bholi si kavita.....
badhaai !
बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी भाव . माँ जी को मेरी श्रद्धांजलि
regards
रिश्तों के अहसास जगाती
मधुर मधुर गुनगुनाती
रचना .
सुन्दर ...
एक बहुत ही अच्छी रचना....
ma ki yaad ko naman...! kavita bahut hi sanvedanshil
जिंदगी की सच्चाई अक्सर वक्त निकल जाने के बाद ही समझ में आती है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
bahut hi marmik rachna ..........aapki mataji ko shraddhanjali.
बहुत ही मर्मस्पर्शी पंक्तियॉं है।
मन को छूते भाव।
पर ...
तब न जाना था
कि मिटटी के घर
टूट जाया करते हैं
और रिश्ते यूँ ही
अधूरे छूट जाया करते हैं !!
अद्भुत।
माँ, माँ होती है माँ जी को हमारा नमन।
गहरे भावों को बहुत ही कारीगरी से शब्दों में पिरोया आपने.. आभार
कुछ रिश्ते जैसे दिल की किसी धड़कन में सदा जिंदा रहते है.....सदा...
नन्ही आँखों में सपने
हाथो पर टिकी ठुड्डी
दिल में बस यही ख्याल
कि यह घर मेरा है ...
bahut achchhe lage aapke bhav.badhai!
tab na jana.......jaya karate hain.--mitti ke ghar se jude rishte shayad aksar hi chhoot jaya karate hain or pakke makaanon ka sannata kaleje men utar jata hai.
-maan ki smriti ko pranaam.
मार्मिक भावाभिव्यक्ति !
सुंदर भावनाऍं।
मार्मिक प्रस्तुती............
Itne saare alfaazon ke baad taareef ke liye naye shabd kahan se laaoon??
Savhee nazmen...nagme,ekse badhke ek hain..! Darkee dastaan hain..!
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
http://shama-baagwaanee.blogspot.com
http://lalitlekh.blogspot.com
http://kavitasbyshama.blogspot.com
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
तब न जाना था
कि मिटटी के घर
टूट जाया करते हैं
और रिश्ते यूँ ही
अधूरे छूट जाया करते हैं !!
माँ की पुण्यतिथि पर यूँ ही उमडे ये भाव .. एक. गहन चिंतन छोड़ रहे हैं ....कुछ छूटे रिश्तों का दर्द .......!!
बहुत सुन्दर और सच्ची है आपकी कविता...
छू जाती है कहीं भीतर...
कि मिटटी के घर
टूट जाया करते हैं
और रिश्ते यूँ ही
अधूरे छूट जाया करते हैं
बहुत ही सुन्दर!!
Simply beautiful..
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