Pages
Monday, January 26, 2009
लहराता रहे हमारा तिरंगा झंडा प्यारा
आज गणतन्त्र दिवस है ....हर दिल में देश के लिए प्यार और श्रद्धा है ..इंडिया गेट से निकलने वाला हर कदम जैसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है ..और हवा में लहरा रहा है शान से अपना तिरंगा झंडा प्यारा ...
आज हम शान से अपना तिरंगा झंडा फहराते हैं ..पर क्या आपने सोचा कि इसको यूँ शान से सबसे पहले किसने कहाँ फहराया होगा ..आइये आज हम आपको बताते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई ....इसकी शुरुआत हुई १९०७ में मैडम भीखा जी कामा के द्वारा ....
मैडम कामा का पूरा नाम था 'भीखा जी रुस्तम कामा "उनसे जुडा है यह एक सच्चा प्रसंग ..१९०७ की बात है ...जर्मनी में 'अंतराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांफ्रेंस "चल रही थी देश विदेश से प्रतिनिधि वहां पहुँच रहे थे ,अपनी अपनी बात रख रहे थे ....जब मैडम की बारी आई ,वह उठी ,उनके हाथ में तिरंगा झंडा था ...जिसने मध्य में वंदे मातरम लिखा था ...उन्होंने इसको भवन में फहरा दिया .....तालियाँ गूंज उठी भवन में ..तालियों की गडगडाहट में भारत के प्रतिनिधित्व का एहसास किया..जर्मन में फहराया १९०७ में बना राष्ट्रीय ध्वज का आधार बना .....
मैडम ने जब अपने देश भक्ति से भरे हुए विचार सामने रखे तो लोगों ने उन्हें बहुत ध्यान से सुना | यह वही तिरंगा था जो बाद में भारतीय झंडा बना | बस बाद में वंदे मातरम की जगह अशोक चक्र बना दिया गया |
मैडम कामा का एक अति धनी परिवार से तालुक्क था ,फ़िर भी उन्होंने कष्टकारी और संघर्षमय जीवन जीने का फैसला किया | भारत की आज़ादी के लिए पहले जर्मनी फ़िर अमेरिका में धुँआधार भाषण दिए तथा लोगों को आजादी की लड़ाई में जूझने के लिए तैयार किया |
१९०७ में ही अमेरिका पहुँची फ़िर लन्दन | वहां भी उन्होंने भारत माँ की आजादी के लिए जनमत तैयार करते हुए १९०९ में वंदे मातरम समाचार पत्र की शुरूआत की | अंग्रेजों के साथ जूझते हुए १९३६ में वह बीमार पड़ गई और भारत लौट आई यहाँ ३ अगस्त १९३६ को उनकी मौत हो गई | आज भी तिरंगा झंडा उनकी याद को ताजा बनाए हुए है ..और हमारे देश की शान बना हुआ है | आज भी हर जगह हम इसको उतनी ही शान से फहराते हैं जितनी शान से कभी मैडम कामा ने जर्मनी में फहराया था |
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
26 comments:
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं!!
मैडम भीखा जी कामा के बारे में आपने ये नायाब जानकारी दी ! शुक्रिया !
गणतंत्र दिवस के दिन मैडम कामा का उल्लेख सम-सामयिक है. हमारी तरफ़ से गणतंत्र दिवस पर आपको शुभकामनाएं!
अच्छी जानकारी दी आपने....गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं!!
एक अच्छी जानकारी देने का शुक्रिया। साथ ही गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं!
गणतंत्र दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई
जानकारी बाटने के लिए शुक्रिया.
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं!
धन्यवाद
अच्छा लिखा है। गणतंत्र दिवस की बधाई
जानकारी का बहुत बहुत शुक्रिया.........
सलाम है ऐसे क्रांतिवीरों को
आप सब को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं
शुभकामनाऐं!!
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं!
अच्छी जानकारी दी आपने....गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं!!
आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
bahuta chhi jankari,gantantra divas ki badhai
आहा इस एतिहासिक जानकारी के लिए आपको धन्यवाद.........और हमारे गणतंत्र की असीम बधाईयाँ........!!
गणतंत्र दिवस की ढेरों शुभकामनाएं जी..
आलोक सिंह "साहिल"
अच्छी जानकारी दी आपने.गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं.
झंडे की जे हो ,आपकी भी .
thanks a lot for the info!!
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
मैडम कामा जिंदाबाद . गणतंत्र की हार्दिक बधाई
अच्छी जानकारी। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आप को गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
मैडम भीखा कामा का उल्लेख आज के दिन मानो मणि कांचन संयोग।
अच्छी जानकारियां दीं आपने। धन्यवाद।
मैडम कामा के बारे में लिक कर आपने इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया धन्यवाद । गणतंत्र दिवस की सुभ कामनाएँ ।
बहुत अच्छा लगता है जब भी हमारी गली, मोहल्ले मे 26 जनवरी की प्रेड़ देखने के लिए सारे काम जल्दी ख़त्म किये जाये है।
मैं भी बहुत चाव से इस प्रेड को देखने के लिए बेहद इच्छुक रहता था। छुट्टी के दिन मे ये ना देखा जाये तो मज़ा ही क्या है। मगर अब जैसे कुछ दिमाग और ही कामनाये करता है। हमारे देश की सारी भूमिकाये और विषेशताये खूब परिचलित होती आई हैं। कितने सालों से मैं इन सभी को देखता आया हूँ। मगर अब जैसे सब कुछ डरा देने वाला बन गया है।
अब तो झाँकियों मे कम और हथियारों मे बेहद ज्यादा आगे निकल गये हैं हम। शुरू मे जब बड़े-बड़े हथियारों को दिखाया जाता है तो एक डर ज़हन मे बैठ जाता है। क्या हमारे पास जो है, वो दुश्मन को मार गिराने के लिए बेहद लाभदायक और ख़तरनाक है। लेकिन ये दुश्मन कौन है? और ये हथियार के सामने खड़ा दुश्मन कौन है? उसकी ज़ुबान क्या है? इन हथियारोंं को इंडियागेट पर देखता हूँ तो लगता है जैसे ये ही हथियार कहीं और भी इस समय दिखाये जा रहे होगे।
जब इनको दिखाया जाता है तो इनकी ख़ाशियते भी बताई जाती है। ये ख़ाशियते हमें बेहद खुश कर देती होगीं लेकिन ये ख़ाशियते हमारे लिए भी घातक होती है।
बहुत पहले एक बार बस्ती मे छोटा था फंगशन था, जिसमे मैंने एक बार किसी को एक कविता सुनाते हुए सुना था। कविता थी:-
माना की हर ज़ुबान पर आज मेरा भारत महान है
सबसे प्यारा, सबसे न्यारा बस, मेरा हिन्दुस्तान है।
बेश्क यहाँ नेताओ की लम्बी-लम्बी कतार है,
पब्लिक को लुटने के लिए पुलिस की भरमार है
झुकता जा रहा है जहाँ हर कोई फिर भी कहते हो मेरा भारत महान है, सबसे न्यारा, सबसे प्यारा बस, मेरा हिन्दुस्तान है।
मेरा भारत महान,
अब कुछ दृश्य यहाँ भी अपनी पहचान अपनी ख़ाशियत से ही नहीं, उसमे पलने वाले डर को भी जन्म देते है।
Post a Comment