Tuesday, January 27, 2009

अमृता प्रीतम ब्लॉग की समीक्षा रवींद्र व्यास जी की नजर से ..

अमृता प्रीतम ब्लॉग की समीक्षा रवींद्र जी ने वेब दुनिया में बहुत सुंदर ढंग से की है ...अमृता पर मेरा लिखना
उनकी इसी नज्म की तरह है

यह मिटटी का दीया,तूने ही तो दिया था
मैंने तो उस में आग का शगुन डाला है
और तेरी अमानत लौटा लायी हूँ ..
तेरे चारों चिराग जलते रहे
मैं तो पांचवां जलाने आई हूँ ....

अमृता पर अब तक जितना लिखा वह अपनी नजर से अपने भाव ले कर लिखा ..पर जब उस लिखे पर कोई दूसरी कलम लिखती है तो लगता है ...कि हम जिस दिशा में जा रहे हैं वह सार्थक है ..उनके लिखे ने मुझे इस राह में और अधिक लिखने का होंसला दिया ..आप इसको इस लिंक पर पढ़ सकते हैं ......धन्यवाद रवींद्र जी .

कल इस पोस्ट के लिए विदु जी ने (ताना -बाना ) बहुत ही सुंदर कॉमेंट ई -मेल से भेजा...वह मुझे बहुत पसंद आया ,उसको मैं यहाँ वैसा ही दे रही हूँ ...यह भी अमृता के प्रति प्यार का सच्चा इजहार लगा मुझे

प्रिय रंजना ,जैसा की तुमसे वादा था,करीब बारह-तेरह साल पहले इसे डायरी में नोट किया था,...अमृता प्रीतम जी की याद मैं ....चल रहे आप के यशश्वी ब्लॉग हेतु ...शुभ कामनाओं के साथ....उनकी कविता धूप का टुकडा का ये अंश है,कल लगा ,भाई रविन्द्र व्यास वाली तुम्हारी पोस्ट पर , कोई कमेन्ट करूं उससे बेहतर मुझे लगता है तुम्हे अमृता की ये पंक्तियाँ दे दूँ....व्यास जी ने जिस शिद्दत से लिखा है वो भी काबिले तारीफ है ,,,शब्द नही होते कभी कभी बस ....

अंधेरे का कोई पार नही /एक खामोशी का आलम है/और तुम्हारी याद इस तरह/जैसे धूप का एक टुकडा,हथेलियों पर इश्क की /मेहँदी कोई दावा नही /हिज्र का एक रंग है/और तेरे ज़िक्र की एक खुशबू/मैं जो तेरी कुछ नही लगती/जब मैं तेरा गीत लिखने लगी /कागज़ पर उभर आई/केसर की लकीरें .....

11 comments:

mamta said...

रंजू जी इसमे कोई दो राय नही है कि अमृता प्रीतम को आपके माध्यम से पढ़ना एक बहुत ही सुखद अनुभव रहा है ।
रवीन्द्र जी ने जो भी लिखा है बहुत अच्छा और सही लिखा है ।

डॉ .अनुराग said...

शायद अमृता को देखनी की आपकी नजर जुदा है औरो से .....

Alpana Verma said...

रंजना जी,बहुत अच्छी समीक्षा हुई है.
आप को बहुत बहुत बधाई.

रविन्द्र जी को बधाई और धन्यवाद..

Himanshu Pandey said...

निश्चय ही समीक्षा बहुत ही मनोयोग से की गई है। आपको व रवींद्र जी को बधाई।

Udan Tashtari said...

वाह जी, बधाई..अच्छी समीक्षा हो गई आपकी लेखनी की.

Science Bloggers Association said...

यह समीक्षा आपकी लेखनी की सफलता को भी रेखांकित करती है। बधाई।

दिगम्बर नासवा said...

रंजना जी
ये केवल समीक्षा नही है, एक उदगार है रविन्द्र जी का और मेरे जैसे तमाम लोगो का जो यह जानते और समझते हैं की आपकी लेखनी पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे साक्षात अमृता जी को ही पढ़ रहे हैं. दीवानेपन की हद तक पढ़ना, समझना और अपनी कला से उसके ओरिजनल स्वरुप में पिरोना आसान बात नही है. यह आपका भागीरथी प्रयास है जिसमें आप १००% सफल हैं. बधाई है आपको

Arvind Mishra said...

बहुत बहुत बधाई !

Arvind Mishra said...

बहुत बहुत बधाई !

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर.
धन्यवाद

सुशील छौक्कर said...

आपको बधाई। एक अच्छी और सुन्दर समीक्षा लिखी है रवीन्द्र जी ने। आपकी मेहनट और जज्बे को सलाम।