शुक्र है अभी मेरे बेटे को पढ़ना नही आता वरना अभी आपके पास कूद आता .पोपकोर्न उसकी पसंदीदा चीज़ है ओर मई कुकर ओर माइक्रोवेव दोनों में बनाना सीख गया हूँ.....आपकी कहानी पर बधाई .....कुछ पोपकोर्न भी ठेल देती तो.....
आपके इस पॉपकॉर्न और सिनेमा के जोड ने मुझे मुंम्बई के Imax सिनेमा की याद दिला दी, हम तीन दोस्त गये थे सज्जनपुर देखने....कम्बख्त साठ रूपये का था पॉपकॉर्न कोन, लेकिन ले लिया गया....किसी को गाँव वगैरह में पता चले कि साठ रूपये का मकई खा रहे हैं तो हम लोगों पर हंसे बिना न रह सकेगा :) बधाई स्वीकारें।
अजी हम तो गावं मै जब जाते थे तो भट्टी पर मक्की भुनवा लाते थे,ओर मजे से खाते थे, आज भी यहां मक्की को घर मै ही भुन कर उस के फ़ुल्ल्ले खुब मजे से खातै है, धन्यवाद
रोचक जानकारी के लिए आभार. लेकिन महानगरों में सिनेमा हाल में जाने से पहले जब पापकार्न खरीदते हैं तो गाँव में बालू में भुनी हुई सोंधी खुशबू वाली उस वह मकई(पापकार्न) की बड़ी याद आती है.वहां पाव भर मकई भुनाने पर भूनने वाली को हम दो मुट्ठी मकई दिया करते थे और यहाँ जब १६० रुपये में दो मुट्ठी मकई का पापकार्न खरीदते हैं तो बड़ा आखर जाता है.. .
अपने लिखे लेख को पढ़वाने के लिए धन्यवाद. पोपकोर्न तो बहुत चाव से हम घर में भी तैयार कर खाते हैं पर इसका इतिहास इतना पुराना और रोचक होगा जानकर प्रसन्नता हुई.
अपने लिखे लेख को पढ़वाने के लिए धन्यवाद. पोपकोर्न तो बहुत चाव से हम घर में भी तैयार कर खाते हैं पर इसका इतिहास इतना पुराना और रोचक होगा जानकर प्रसन्नता हुई.
26 comments:
समाचार पत्र में स्थान पाने के लिए बधाइयाँ
अरे वाह यहाँ भी।
मुबारक हो...
subha hi pad ki thii....bahut saari mubarkein
पढ़ते हुए पोप कॉर्न भी मिल जाता तो क्या बात थी.. बधाई..
पोपकोर्न इतना पुराना है ?
Badhayi ho Badhayi.
कहानी पॉपकार्न की वाया अमर उजाला, बहुत बढिया, बहुत बहुत बधाई।
खुशी हुई जानकर । बधाई !
भई जीभ लपलप कर रही है... अब एक कोल्ड ड्रिंक और पापकार्न के पेकट का प्रबन्ध कीजिये.. :) सिर्फ़ महक से काम नहीं चलेगा
महोदया, ज्ञान वर्धक और रोचक आलेख का समाचार पत्र मैं प्रकाशित होने पर बधाई .
शुक्र है अभी मेरे बेटे को पढ़ना नही आता वरना अभी आपके पास कूद आता .पोपकोर्न उसकी पसंदीदा चीज़ है ओर मई कुकर ओर माइक्रोवेव दोनों में बनाना सीख गया हूँ.....आपकी कहानी पर बधाई .....कुछ पोपकोर्न भी ठेल देती तो.....
यह तो बढियां लिखा है आपने 1
bahut bahut badhayee --rochak jaankari hai --
आपके इस पॉपकॉर्न और सिनेमा के जोड ने मुझे मुंम्बई के Imax सिनेमा की याद दिला दी, हम तीन दोस्त गये थे सज्जनपुर देखने....कम्बख्त साठ रूपये का था पॉपकॉर्न कोन, लेकिन ले लिया गया....किसी को गाँव वगैरह में पता चले कि साठ रूपये का मकई खा रहे हैं तो हम लोगों पर हंसे बिना न रह सकेगा :) बधाई स्वीकारें।
bahut badhai
badhiya jaankari di...badhai.
अजी हम तो गावं मै जब जाते थे तो भट्टी पर मक्की भुनवा लाते थे,ओर मजे से खाते थे, आज भी यहां मक्की को घर मै ही भुन कर उस के फ़ुल्ल्ले खुब मजे से खातै है,
धन्यवाद
रोचक जानकारी के लिए आभार.
लेकिन महानगरों में सिनेमा हाल में जाने से पहले जब पापकार्न खरीदते हैं तो गाँव में बालू में भुनी हुई सोंधी खुशबू वाली उस वह मकई(पापकार्न) की बड़ी याद आती है.वहां पाव भर मकई भुनाने पर भूनने वाली को हम दो मुट्ठी मकई दिया करते थे और यहाँ जब १६० रुपये में दो मुट्ठी मकई का पापकार्न खरीदते हैं तो बड़ा आखर जाता है.. .
bada hi manoranjak likha hai ranhju di.........
रंजना जी,
अपने लिखे लेख को पढ़वाने के लिए धन्यवाद.
पोपकोर्न तो बहुत चाव से हम घर में भी तैयार कर खाते हैं पर इसका इतिहास इतना पुराना और रोचक होगा जानकर प्रसन्नता हुई.
चन्द्र मोहन गुप्त
रंजना जी,
अपने लिखे लेख को पढ़वाने के लिए धन्यवाद.
पोपकोर्न तो बहुत चाव से हम घर में भी तैयार कर खाते हैं पर इसका इतिहास इतना पुराना और रोचक होगा जानकर प्रसन्नता हुई.
चन्द्र मोहन गुप्त
जानकारी के लिए बधाई!
बधाई... इस जानकारी पूर्ण आलेख के लिये शुभकामनाएं
mahnga pop corn khilane aur amar ujaala ke kone me sthan pane ke liye badhai!!!!!!!!!!
aasha hai ki agli bar aap kone ke bajay mukhya page me jagah paayen!!!!
बहुत महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी हैं, इस आलेख ने। आभार।
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