Wednesday, September 24, 2008

मेरा प्रथम काव्य संग्रह "साया "


साया ..

मेरे द्वारा लिखित पहला काव्य संग्रह .आज पब्लिश हो कर मेरे सामने हैं ....,जिसका सपना मैंने कम और मेरी बेटियों ने ज्यादा देखा :) और इसको लिखने का पब्लिश करवाने का होंसला दिया ,आज इसको हाथ में ले कर जो अनुभूति हो रही है उसको ब्यान करना मुश्किल है ..ठीक वैसे ही जैसे माँ को अपनी प्रथम सन्तान को हाथ में लेने से होती है ...:) आप सब पढने वालों ने ..यदि आप सबका इतना प्यार साथ न होता तो शायद मैं अपनी लिखी कविताओं को यूँ किताब के रूप में कभी न ला पाती....इस लिए मैं इसका लोकापर्ण यही चिटठापर्ण के रूप में कर रही हूँ ...आप सबके स्नेह ने ही मुझे आज इस मुकाम तक पहुँचाया है | इस काव्य संग्रह में मैंने अपनी हर तरह की कविता को समेटने की कोशिश की है ..इस में प्यार की मीठी फुहार भी है ...और विरह का दर्द भी है ..

मोहब्बत अगर कभी गुजरो
मेरे दिल से दरवाजे से हो कर
तो बिना दस्तक दिए
दिल में चली आना
की तुम्हारे ही इन्तजार में
मैंने एक उम्र गुजारी है ..[साया से ]

इस किताब में शुरुआत राकेश खंडेलवाल जी के शब्दों से हुई है .| कभी उनसे मुलाकात नही हुई है पर उनकी लिखी कविताएं हमेशा मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहीं है | मैं उनका तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ | और क्या लिखूं समझ नही आ रहा है | :) बस आपका साथ चाहिए यह किताब अयन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित है ..यदि आप मेरे इस काव्यसंग्रह में रूचि रखते हैं ..तो इस आई डी पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं ..धन्यवाद ..

ranjanabhatia2004@gmail.com

42 comments:

vijaymaudgill said...

रंजू जी मेरी तरफ से आपको और आपके साए को बहुत-2 बधाई। और मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि आपको इतने पाठक मिलें, जितने आपने कभी सोचे भी न हों। सच में मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि आपने अपनी कविताओं को एक घर दिया। हो सके तो मुझे साया की एक कापी भिजवाएं।
शुभकामनाओं सहित विजय मौदगिल

Puja Upadhyay said...

मेरी ओर से आपको हार्दिक शुभकामनाएं.

अमिताभ मीत said...

मोहब्बत अगर कभी गुजरो
मेरे दिल से दरवाजे से हो कर
तो बिना दस्तक दिए
दिल में चली आना
की तुम्हारे ही इन्तजार में
मैंने एक उम्र गुजारी है ..[

बहुत ख़ूब. और बहुत बहुत बधाई.

Arvind Mishra said...

पहले तो बधाई स्वीकार करें -जीवन में कई पहली चीजें अतिशय उत्साह ,उमंग और अतरिक्त हारमोन प्रवाह लेकर आती हैं -पहला प्यार ,पहली संतान और पहली प्रकाशित रचना और आपका तो यह पहला काव्य संग्रह है -आपने इसका चित्ठार्पण किया यह भी एक ट्रेंड सेटर है -बहुत बहुत बधाईयाँ ! पर थोडा और विस्तार से लिखना था -चलिए इसकी समीक्षा में और विवरण आ ही जायेंगे !

नीरज गोस्वामी said...

बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत.....बधाई...मैं आप की खुशी को समझ सकता हूँ...अब ये बताईये की इस किताब को पढने के लिए कहाँ से और कैसे ख़रीदा जाए...
नीरज

Anonymous said...

बहुत खूब। आपको और आपके परिवार में सबको बहुत-बहुत बधाइयां। आगे और खूब छपें-छपायें। खुशी मनायें। प्रकाशक का पता और फोन नम्बर भी पोस्ट में डाल दें तो अच्छा रहेगा।

Ashok Pandey said...

पहले काव्‍य संग्रह की हार्दिक शुभकामनाएं।

डॉ .अनुराग said...

ढेरो बधाई तो अब आप भी बड़े लोगो में शुमार हो गई ...अपनी अमृता की तरह......ये पंक्तिया बेहद खूब है जो आपने बांटी है.

सुशील छौक्कर said...

रंजू जी,
आपको बधाई और ढेरो शुभकामनाएं। आज खुशी का दिन हैं। हम जरुर पढेगे।

Abhishek Ojha said...

ढेर सारी बधाई... जैसा की अनुरागजी ने कहा है अब तो आप बड़े लोगों की श्रेणी में आ गयी.

हमारी कॉपी कहाँ हैं आपके हस्ताक्षर के साथ?

Anonymous said...

kitab ke prakashan hne par hamari aur s bahut bahut badhai aapko ranju ji,aur aapki betion ko bhi badhai jinke hausle nne aapka sapna pura kiya.

आलोक साहिल said...

बधाई हो जी.बहुत खुशी हुई जानकर की आपकी "साया" अब अस्तित्व में आ गई है.
साथ ही साथ एक नाराजगी भी है.आप समझ रही होंगी.
आलोक सिंह "साहिल"

महेन्द्र मिश्र said...

janakar khushi hui dhero badhai or shubhakamanaye.

रश्मि प्रभा... said...

phulon ka ek guldasta aapke naam...........bahut-bahut badhaai

सचिन मिश्रा said...

Bahut khub, badhi.

दिनेशराय द्विवेदी said...

बहुत बहुत बधाइयाँ।
डाक से भेजने की कीमत बताइए।
हमें कम से कम एक तो चाहिए ही।
पढ़ने के बाद बेचने का धंधा करने की सोचेंगे।

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप ने आलेख पर कवर का चित्र नहीं लगाया। हम नैन सुख तो ले लेते।

श्रीकांत पाराशर said...

Pahle pyar jaisi umang hoti hai pahle sangrah par , phir chahe vah kavita sangrah ho ya kahani sangrah. Badhai ho ranjanaji. poore parivar ko badhai.

परमजीत सिहँ बाली said...

आपको हार्दिक शुभकामनाएं.

राजीव रंजन प्रसाद said...

रंजना जी हार्दिक शुभकामनायें..आपकी यह पुस्तक मुझे कैसे प्राप्त हो सकती है? इस उपलब्धि की आप वास्तव में हकदार हैं। आपके श्रम व प्रतिभा का सानी नहीं...

Nitish Raj said...

आपको बहुत बहुत बधाई खूब पाठक मिलें और सब तो पहले की कह चुका हूं लेकिन उभरती हुई इस शख्सियत से तो मिलना ही होगा।

Udan Tashtari said...

वाह, इस शुभ मौके पर मेरी ढ़ेरों बधाईयाँ और बहुत शुभकामनाऐं. मिठाई तो भारत आकर खा लेंगे मगर मेरी कॉपी तो पोस्ट से भिजवाओ.

ऐसे ही कई किताबें निकलें, मेरी शुभकामनाऐं.

seema gupta said...

"Hi, my heartiest congratulations for this wonderful achievement. "

Regards

Anonymous said...

रंजना जी,

जय माता दी।

आपको आपकी प्रथम किताब की पब्लिसिंग के लिए आपको और आपके सभी पाठको को ढ़ेरों बधाईयाँ और हार्दिक शुभकामनायें। सच कहूँ, तो ये हम सभी पाठको के लिए भी बहुत ही खुशी को दिन है। मैं आपको आसमान की ऊँचाई को छूते हुऐ देखना चाहता हूँ।
भगवान इसी तरह आपका प्यार हम पाठको तक पहुँचाऐ।

मैं अभी दुबई में हूँ, पर आपकी इस किताब को पढ़ने की सोच से ही काफी रोमांचित हूँ। आपकी ये किताब में खुद भी खरीदूगाँ और दोस्तों को भी खरीदने के लिए कहूगाँ।

माँ दुर्गा की कृपा से आप इसी प्रकार तरक्की करें।

जय माता दी।


-----------------
विनीत कुमार गुप्ता

संजय बेंगाणी said...

बधाई स्वीकारें...

कुश said...

साहित्यकार बनके हमको भूल मत जाइएगा... बहुत बहुत बधाई..

rakhshanda said...

बहुत बहुत मुबारक हो रंजू जी...सच...खुशी से मन झूम उठा...साडी उदासियाँ दूर हो गई...थैंक्स

जितेन्द़ भगत said...

आपको इस काव्‍य-संग्रह के लि‍ए ढेरों बधाई।

रंजना said...

रंजू दी,
बहुत,बहुत,बहुत मुबारक.....माँ सरस्वती आप पर सदा कृपा बनाये रखें और एक दो नही इस तरह की कई कई प्रकाशित पुस्तकरूपी संतानों की माता आपको बनायें.सचमुच प्रथम संतान रूप में शृजित प्रकाशित इस पुस्तक का हर्ष कैसा होगा, अनुमान लगा सकती हूँ.
कृपा कर,बताएं की हम यह पुस्तक कैसे उपलब्ध कर सकते हैं.

Satish Saxena said...

बधाई ! मैं अपनी कापी का इंतज़ार कर रहा हूँ !

मोहन वशिष्‍ठ said...

रंजना जी इस शुभ मौके की शुभ घडी में सबसे पहले आपको बहुत बहुत मुबारकबाद बाकी संग्रह को तो हम पढ ही लेंगे हमारी मिठाई को आप पोस्‍ट कर दें
इस खुशी के गुलदस्‍ते में एक फूल मेंरा भी स्‍वीकार करें

अजित वडनेरकर said...

बधाई बहुत बहुत
मैं बहुत खुश हूं कि इन्ही दिनों में आपका बकलमखुद छप रहा है शब्दों का सफर में और यह खुशखबरी।
बधाई...

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

"साया " पुस्तक के प्रकाशन पर आपको बधाई व शुभकामनाएँ !
आगे भी
प्रगति के पथ पर चलती रहेँ
स्नेह,
- लावण्या

Asha Joglekar said...

बहुत बहुत बधाई ! ऐसे ही और ग्रंथ प्रकाशन के लिय़े शुभ कामनाएँ ।

pallavi trivedi said...

सबसे पहले आप को बहुत बहुत बधाई! अब ये बताइए की ये पुस्तक हम कहाँ से खरीदें?

mamta said...

देर से ही सही रंजू जी आपको बहुत-बहुत बधाई और party ड्यू रही । :)

रंजन राजन said...

बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत.....बधाई... आपको और आपके परिवार में सबको बहुत-बहुत बधाइयां। आगे और खूब छपें-छपायें। खुशी मनायें।
..अब ये बताईये की इस किताब को पढने के लिए कहाँ से ख़रीदा जाए...

राज भाटिय़ा said...

रंजना जी बहुत बहुत बधाई, हम जब भी आये गे तो आप से खुद यह किताब ले लेगे ओर साथ मे एक पार्टी भी , आप को ओर आप की बेटिओ को फ़िर से बधाई

Smart Indian said...

रंजना जी, हार्दिक शुभकामनाएं!

महावीर said...

रंजू जी
'साया' के प्रकाशन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। यदि हो सके तो प्रकाशन का पता, फोन नम्बर या ईमेल का पता भी भेज दें तो आपकी कृपा होगी।
और अगर यहां लंदन में कहीं मिल सके तो यह भी बताईगा।

L.Goswami said...

bahut badhaiya aapko ranjana jee..maine abhi hi yah post dekhi hai.jald hi aapke aur bhi sangrah chhap kar aayen yahi prarthana hai bhagwan se.

श्रद्धा जैन said...

Ranju ji

"saya " ke prakashan par aapko hardik badhayi
mujhe umeed hai ki jald hi dusri kitaab bhi aayegi aur is tarah silsila shabdon ka chalta rahega

main bhi padhna chahti hoon kaise padh sakti hoon bataye