नारी शक्ति से अब कोई अपरिचित नही रहा है | हर कदम में नारी आगे बढ़ रही है और इतिहास रच रही है | अपने देश में न केवल वरन विदेश में भी वह भारतीय नारी का नाम रोशन कर रही है | कल्पना चावला के नाम से कौन अब अपरिचित रहा है | वह भारत में हरियाणा के एक छोटे से शहर से निकल कर अन्तरिक्ष कि ऊंचाई को छु गई तो सिर्फ़ अपनी मेहनत और अपने बलबूते पर | आज से दुर्गा पूजा शुरू हुई है और नारी इसी दुर्गा का अवतार हैं ..आज उनकी उड़ान को कम नही आँका जा सकता है ....देश विदेश में आज भारतीय महिलाओं की धाक जमी हुई है ...
ऐसी ही अनगिनत महिलायें हैं जिन्होंने अपनी अदभुत कामयाबी से परदेश में भी अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं | इस में एक हैं बी. बी .सी हिन्दी डाट कॉम में काम करने वाली सलमा जैदी | यह मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वालीं है | इनका परिवार लेखन और पत्रकारिता से जुडा हुआ है इसी ने इन्हे लेखन की और प्रेरित किया | शुरू में इन्होने भारत में ही कई समाचार पत्रों में और कई समाचार एजंसी में कॉम किया | यहीं से इनका परिचय दिल्ली आफिस बी.बी. सी से परिचय हुआ | तब यह वहां शुरू ही हुआ था | उसके बाद यह दफ्तर लन्दन १९९९ में चला गया ,तब से यह वहीँ पर काम कर रही हैं | और आज अपनी मेहनत से एक प्रतिष्टित स्थान पर हैं |
रास्ता इनके सरल नही था ,हिन्दी ऑनलाइन टीम में काम करना भी इनके लिए एक नया अनुभव था और साथ में काम करने वाले सहयोगी भी नए | पर इन्होने हर चुनौती को स्वीकार किया | साथ ही अपने घर परिवार को भी संभाला | उनका सफल होने का मूल मन्त्र है कि असफलता आने पर ही हम सफलता के सही मायने तलाश करते हैं और फ़िर सफल भी होते हैं |
इसी तरह से एक और कामयाब महिला है जो भारत की धरती नागपुर विश्वविद्यालय से संस्कृत में पी .एच .डी हैं | शादी के कुछ समय बाद ही इनके पति विदेश चले गए | तब यह मुंबई विश्वविधालय में पढाती थी | १९७३ में यह भी अपने छोटे से बेटे को लेकर पति के पास चलीं गई | कुछ साल अपने बेटे और घर को अच्छे से संभाला ,पर जो शिक्षा हम हासिल करते हैं वह हमारे साथ हमेशा रहती है | वह इसी बीच अनेक शोध पत्र लिखने और उन्हें प्रकाशित करवाने का काम भी करती रहीं और कई पुस्तके भी लिखी इन्होने | १९८३ में इन्होने इलिनाय विश्वविधालय में लिंग्वास्तिक्स रिलीजियस स्टडीज एंड कॉपरेटिव लिटरेचर में नौकरी कर ली | यह पढाने का सिलसिला इन्होने दस साल बाद शुरू किया पर पूरे लग्न और मेहनत से आज यह ऊँचे मुकाम पर है |
अमेरिका में सफल भारतीय महिलाओं में निहारिका आचार्य का भी नाम शामिल है | वह वाइस आफ अमेरिका कि एंकर और संवाददाता हैं | २००२ में भारत से यहाँ यह पढ़ने आई थी और यहीं से इन्हे एक दिशा में काम करने का उत्साह मिला और यह उनकी ज़िन्दगी का एक नया मोड़ साबित हुआ | यहाँ पर वाइस आफ अमेरिका ने अपना हिन्दी टीवी चैनल खोलने कि घोषणा की | उनकी प्रतिभा यहाँ काम आई और वह यहाँ की एंकर और संवाददता बन गई |
अपने इस अनुभव के आधार पर वह कहती है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर होना चाहिए ,क्यूंकि आत्मनिर्भरता के आभाव में हमारी मौलिकता और रचनात्मकता दब जाती है | उसको पनपने के लिए आगे बढे .रास्ते में मुश्किलें मिलेंगी पर आप परेशान न हो | अपनी धुन ,श्रेष्ट काम और अथक मेहनत से अपने काम में लगे रहें | सही समय आने पर आपके कामों कि सरहाना जरुर होगी और सफलता आपके कदम चूमेगी |
ऐसी कई मिसाले हैं हमारे सामने जिन्होंने अपनी लगन मेहनत और अपने आत्मविश्वास से देश के बाहर भी एक इतिहास रच कर रख दिया है | जो आज आने वाली पीढी को यह बताता है कि महिलायें अब अबला नहीं है वह अपने विश्वास से सब पा सकती हैं | वह सही में दुर्गा ,लक्ष्मी और सरस्वती का अवतार हैं .दुर्गा के नव रूप की यही सही पहचान है ..
20 comments:
हौसलों की कोई जात नही होती ,न धर्म ,न लिंग-भेद .....
सही बात | हारिये न हिम्मत बिसारिये न राम | भगवान् सबको सफल बनने के काफी अवसर देता है |
Bahut achchhi tarah pesh kiya hai aapne nari shakti ke svarup ko. Vastav me keval ye nariyan hi safal nahi varan ve sabhi safal hai jinhone mata, bahan aur patni ke rup me parivar ke liye ek adhar stambh ka karya karti hai. ve sab bhi safal hai jinhone mehanat majduri kar ghar-grihasti ko chalaya aur chala rahi hain. vastav me shakti rupi nari ve hi hain. baki lekh achchha hai, badhai.
नारी तो शक्ति स्वरूपा है ही। मां की ही अंगुलियों को पकड़कर आदमी दुनिया में कदम बढ़ाना सिखता है। अपनी सफलता का प्रतिमान खुद गढ़नेवाली इन सफल महिलाओं के बारे में बताने के लिए आभार। बहुत अच्छा आलेख लिखा है आपने। नवरात्र के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
निश्छल प्रेम का पर्याय यानी मां। भाई का सदा भला चाहने वाली बहन। जीवन भर पति का साथ निभाने वाली पत्नी। क्या कहीं भी पुरुष दावे के साथ खड़ा हो सकता है। फिर क्यूं कभी-कभी नारी की प्रगति उसके अहम से टकरा जाती है? क्यूं संसार की आधी आबादी हरदम उपेक्षित रहती आयी है। क्यूं नहीं सच्चे मन से उसकी उपलब्धियों की सराहना की जाती? बहुत से क्यूंओं के जवाब देने बाकी हैं।
बहुत अच्छी रचना है बस इतना ही कहूंगा
कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों
naari tere rup anek,shaktirupa,matrirup,shradha,laxmi,dayaa......aasmaan muththi me hota hai,
bahut saarthak rachna hai aur bahut achhi
bahut sunder , Ranju.....
navrater ki shubhkaamnaye
bahut sunder , Ranju.....
navrater ki shubhkaamnaye
शक्ति रूपिणा नारी को नमन ! शक्ति के संयोग बिना तो शिव भी शव मात्र हैं !
Achchi post .
नारी तेरे रुप अनेक, साथ में नवरात्र भी चल रहे हैं सही समय पर सही राह दिखाई आपने।
नयी पीढी के लिए प्रेरणा !
मेहनत लगन और आत्म विश्वास से क्या कुछ नही हो सकता । स्फूर्ति दायक लेख । नवरात्रि और ईद की सुभ कामनाएँ ।
यही तो वो देश हैं जहां बल,धन, और ग्यान देने वाले देवता नही ,देवियां हैं।यहां नदियां पूजी जाती है,वनों की भी देवियां होती है।इस देश भारत को भी मात्ता कहा गया है,पिता नहीं। जननी का अपना महत्व है, और उसे किसी भी तरह से कम नही आंका जा सकता। अच्छा लिखा आपने।
आपने अच्छा लिखा। और लड़कियाँ आजकल हर क्षैत्र में जा चुकी है। और अपनी एक पहचान बना चुकी है। पर फिर भी आज भी लड़कियाँ पैदा होने के बाद झाडियों में क्यों फैंक दी जाती है, वो भी दिल्ली जैसे शहर में? मैं आशा करता हूँ कि वो दिन भी आएगा जब लडकियाँ लड़्को की तरह पाली जाऐगी।
shukriya is jaankaari ka...
duniya mein kuch bhi namumkin nahi.. zaroorat hai to bas jajbe ki.. bahut badhiya post
नारी के शक्ति स्वरुप को नमन ..अच्छी पोस्ट ..नवरात्र के पावन पर्व पर आपको परिवार सहित मँगल कामनाएँ
जय माता दी !
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