Wednesday, September 03, 2008

पैसा बोलता है |

आज मनोरंजन व्यापार की हर शाखा अपनी तरह से मुनाफा कमाना चाहती है | पहले जहाँ सास बहू सीरियल का ज़माना था .खैर इस तरह आने तो कम अभी भी नहीं हुए हैं यह ,और होंगे भी नही जब तक दर्शक इसको सिरे से नकार नही देंगे | फ़िर भी अब जा ज़माना प्राइम टाइम पर रियलटी शो का ज़माना है | यह रियलटी शो अब दर्शकों को अधिक लुभाने लगे हैं |

अभी जारी किए गए एक आंकडे पर जब नज़र पड़ी तो बहुत हैरानी हुई | पहले जहाँ सास बहू धारावाहिकों में विज्ञापनों के लिए ६०,०००- से ७०.००० रुपये प्रति १० सेकेंड के दर से वसूले जाते थे ,वहीँ रियल्टी शो के दौरान इसकी कीमत दुगनी वसूली जा रही है | अब इस तरह के शो में दस सेकेंड के विज्ञापन के लिए १.२ लाख -१,५ लाख रुपये देने पड़ते हैं |

इसकी वजह यही है कि अब इस तरह के कार्यक्रम अधिक पसंद किए जाते हैं | कारण साफ़ है कि एक तो इस में कुछ अलग देखने को मिलता है जो मनोरंजन करता है | दूसरे इस में अधिक पैसा लगे होने के कारण इसके निर्माता इसका प्रसार जोर शोर से करते हैं | बिग बॉस का का रियल्टी शो का जिस तरह से प्रसार प्रचार किया जा रहा है वह देखने लायक है | इस में काम करने वाले अधिकतर विवादित लोग हैं | जो न जाने कब अपने अपराधों से बरी हो पायेंगे | यहाँ पर राहुल हो या मोनिका ,सब मासूमियत का चेहरा लगा कर दर्शकों से सहानुभूति की उम्मीद लगाए भले ही बैठे हों .पर बिग बॉस के घर में रहने वालों ने इन्हे घर से बेघर करने का निर्णय ले लिया था | मोनिका को इस घर से बे- दखल कर दिया गया है | बाहर निकल कर भी वह आंसू में अपनी कहानी सुनाती बाकी बस | बाकी बचे हुए में से कुछ लोग भद्दी गाली गलौज पर उतर आए हैं | डायना हेडन अब क्या गुल खिलाती है वह आगे पता चलेगा ..| इन में से एक भी ऐसा चरित्र नहीं है जो किसी का रोल मॉडल बन सके ..पर पैसा बोलता है |

दस का दम में अक्षय कुमार ,केटरीना कैफ आमिर खान आदि को बुलाना भी इस तरह से शो को और अधिक प्रचार करने का तरीका था | दर्शक को उल्लू बनाना इन चैनलों का मुख्य शगल बन चुका है | बे इन्तहा पैसा इस तरह से कार्यकर्मों पर लगाया जाता है और इस तरह से सृजनात्मकता धीरे धीरे समाप्त होती जा रही है | दर्शक को ख़ुद समझदार बनना होगा तभी नए अच्छे प्रेरणादायक सीरियल्स का निर्माण हो सकेगा |


15 comments:

Anil Pusadkar said...

बहुत सही कहा आपने,टीवी हमारे देश मे पैसा कमाकर अपसन्सक्रिती फ़ैलाने का धन्धा बन गया है। पता नही क्या दिखाना या सिखाना चाहते है टीवी वाले। आपने सटीक लिखा है।बधाइ आपको इस बेबाकी की

श्रीकांत पाराशर said...

Ranjanaji, baat bilkul sahi hai parantu sab channel lakir ke fakir ho gaye hain isliye jo kuchh dikhaya ja raha hai vah sab dekhne ko majboor hain. Aadmi tv ke samne baithta hai aur ek ke bad dusara channel badalta hai parantu sab vaise hi hain to kya kiya jaye, jo samne aata hai vahi dekh lete hain.

rakhshanda said...

poori tarah sahi, sab drama hota hai, tarah tarah se darshakon ko bevakoof bana kar apna program hit karana hota hai inhen..chaahe vo reality shows hon ya laughter shows...sab bakvaas...i hate tv..

दीपक कुमार भानरे said...

जी सही कह रहे हैं आप .
टीवी मैं जिस तरह से व्यावसायिकता छाई है उसके कारण ऐसे टीवी प्रोग्राम बनाए जाते हैं जो तात्कालिक तौर दर्शकों को बटोरने और पैसा कमाने का काम कर सके . इसमे ऐसे पात्रों को बढ़ा चडा कर और महिमा मंडित करके दिखाया जाता है जिसका आचरण नैतिक द्रष्टि से कहीं खरा नही उतरता है .

Rakesh Kaushik said...

ji bilkul shai kha aapne jab tak darshak samajhdaar nahi honge tab tak ye t.v wale hume yun hi ullu bnate rahenge.

Rakesh Kaushik

Advocate Rashmi saurana said...

ranju bhut sahi kaha hai aapne. likhti rhe.

Mohinder56 said...

पता नहीं पैसा बोलता है या नहीं मगर आदमी को नचाता जरूर है... अगर ऐसा न होता तो नेता अभिनेता.. छोटे मोटे एड्वर्डाईज्मेंट कर, तेल साबून अन्डरवियर और विस्कुट बेचते नजर न आते

:-)

Udan Tashtari said...

रोल माडल्स और ये...हा हा!!

सही है-शाश्वत सत्य-पैसा बोलता है.

शोभा said...

अच्छा लिखा है। जानकारी उपयोगी है। आभार।

कुश said...

sau fisadi sahmat hu aapse.. paisa wakai blota hai..

Abhishek Ojha said...

एक और बात है सृजनात्मक कार्यक्रम कहाँ से आयेंगे... जितने रियल्टी शो हैं सब तो किसी न किसी विदेशी सीरियल की नक़ल हैं.

डॉ .अनुराग said...

हर सुबह बदल जाती है ,
ज़िंदगी ख़बारिया अख़बार सी ........
आदमी विग्यापन सा है .

Arvind Mishra said...

बिग ब्रदर इज वाचिंग यू से शुरू हुआ यह खौफ का मंजर एक पैसा कमाऊँ मनोरंजन बन जायेगा -बिग बॉस के शो तक पहुँच कर पैसा कमाएगा ,यह तो सोचा ही नही गया था -मुझे भी इस कार्यक्रम के किरदार नकारा लगते हैं -पर फिर भी इन्हे हीरो की तरह पेश किया जा रहा है -क्या हमारे मनोरंजन के मानदंड बदल रहे हैं या हमारे मनोरंजन बोध को विकृत करने का कुचक्र शुरू हो चुका है?बच के रहना रे बाबा ,...बच के .......!यह विकृत अभिरुचि का जायका हर घर में परोसा जा रहा है .

सुशील छौक्कर said...

ये बिल्कुल सोलह आने सच है कि पैसा बोलता हैं। मैं आजकल अपनी जाति के लोगों में खूब देख रहा हूँ। और रही मीडिया की बात तो चारों तरफ पता नहीं पैसा के साथ क्या क्या बोल रहा हैं। न्यूज चैनल पर जाए तो पता नही क्या क्या देखने को मिल रहा पर न्यूज नही मिल रही। और मनोरंजन चैनल पर जाओ तो लड़ाई और गाली गलौच देखने को मिल रही हैं। और इनकी निंदा भी खूब हो रही है पर फिर भी ये चल रहे हैं और मुनाफा कमा रहे हैं तो लगता है कहीं तो गड़बड़ हैं।

L.Goswami said...

ह्म्म्म..यानि पैसा बोलता हैं। ..और इस पैसे के लिए बहती गंगा में सभी हाँथ धो लेते हैं