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दिल्ली के प्रगति मैदान में लगा पुस्तकों का मेला रविवार की सुबह से ही गुलजार था। शनिवार को जहाँ कम लोग दिखे वहीँ रविवार के दिन बहुत रौनक रही इस मेले में। इस दिन यहाँ साठ हजार से भी अधिक लोग पहुँचे। सबसे सुखद बात यह थी रविवार को यहाँ बच्चो की संख्या बहुत अधिक थी। शनिवार, 30 अगस्त को इस १४ पुस्तक मेले का उद्घाटन उपराष्ट्रपति डॉ हामिद अंसारी ने किया। अंसारीजी की रूचि ज्यादा साहित्य और धर्म से जुड़े विषयों में लगी। उन्होंने इस से सम्बंधित कुछ पुस्तकें भी खरीदी ।
दिल्ली में रहने वाले पुस्तक प्रेमियों के लिए यह एक सुखद अनुभव होता है ,एक ही छत के नीचे सब पुस्तकों का मिलना। इस मेले का ख़ास आकर्षण महिला साहित्यकारों पर आधारित पवेलियन है, जो हाल नंबर आठ में है। इसमें २९ महिला साहित्यकारों की कृतियों और चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। यहाँ के स्टालों में मह्श्वेता देवी, किरण बेदी, अमृता प्रीतम,अनीता देसाई, अलका सरावगी, इंदिरा गोस्वामी जैसी जानी मानी लेखिकाओं की किताबे सजी हुई है जो सहज ही पाठकों को अपनी और आकर्षित कर लेती है।
पिछली बार की तुलना में इस बार २५० नए प्रकाशकों ने इस पुस्तक मेले में स्टाल लगाए हैं और प्रकाशक स्टालों की संख्या ५५० से बढ़ कर ७०० हो गई है।मेले के दूसरे दिन यहाँ अधिक भीड़ दिखी,और सबसे अधिक आकर्षण इन्टरनेट सर्च इंजन गूगल का रहा। इसमें इन्टरनेट के माध्यम से किताबों को ढूंढने का शार्टकट माध्यम बताया गया है।
मेले में आठ विदेशी पुस्तक स्टाल भी लगाए गए हैं। पाकिस्तानी स्टाल पर भी अच्छी खासी भीड़ दिखाई दी। यहाँ लोग पाकिस्तानी संस्कृति से जुड़ी किताबों को खरीदने में बहुत अधिक रूचि ले रहे हैं। इसके अलावा लोग इरानी,चीनी और जर्मन के बुक स्टाल्स में अधिक देखे गए |
बच्चो को यह मेला अधिक पसंद आ रहा है क्योंकि इसमें उनकी रूचि की कई चीजे शामिल की गई है। जैसे एक
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अब इस मेले के सबसे बड़े आकर्षण की बात करते हैं! क्या आप जानते हैं कि पुस्तके बोल भी सकती है ? यह कमाल इस मेले में देखने को मिल रहा है। हालांकि इस तरह की किताबें इंग्लैंड, अमेरिका में पहले भी बहुत लोकप्रिय हैं पर भारत में इस तरह की बोलती पुस्तकें पहली बार देखी जा रही है। इसको आप आराम करते हुए कार चलाते हुए या कहीं भी घूमते हुए सी .डी .प्लेयर से सुन सकते हैं। इस श्रृंखला में प्रेमचंद, शरतचंद, हिमांशु जोशी ,गुलशन नंदा ,अमृता प्रीतम .राजेन्द्र सिंह बेदी व अन्य कई लेखों की पुस्तकें शामिल हैं। ये बोलती किताबें अभी हिन्दी, उर्दू और पंजाबी में निकली गई है। पुस्तक प्रेमियों के लिए यह बहुत सुखद अनुभव और सुनहरा मौका है जहाँ वे एक ही जगह पर अकादमिक, तकनीकी, पाठ्यक्रम से लेकर संदर्भ, धर्मिक और साहित्य की पुस्तकों को देख और खरीद सकते हैं।
11 comments:
काश हम भी होते इस मेले में !
पुस्तक मेले पर रपट अच्छी है ,खासकर बोलने वाली पुस्तकों का जिक्र !
pustak mela ghumaane ke liye shukriya Ranju
किताबें इन्सान की सबसे अच्छी मित्र होती हैं.मुझे तो ऐसे मेलों का इन्तिज़ार होता है पर दिल्ली अभी दूर है :-)
किस्मत वाली है आप ?खैर ऐसा करिये तीन आत्मकथाये इस वक़्त बेहद चर्चा में है.....मन्नू भंडारी की ,मत्रयी पुष्पा की ओर अनन्या खेतान की..... मौका मिले तो पढ़ डालिये....
चाह कर भी जाना नहीं हो पा रहा है यहां। कोशिश तो कर रहा हूं पर देखते हैं।
मेले के बारे मे आपसे अच्छी जानकारी मिल रही है,
इस मेले मे मैं भी जाना चाहता हूँ,
रंजना जी
उपयोगी जानकारी के लिए आभार।
दिल्ली पुस्तक मेला घूमने का सुअवसर तो नहीं मिला। लेकिन पटना में हर साल लगले वाले पुस्तक मेले का लाभ उठाता रहा हूं। इस तरह के मेले हर शहर के लोगों को साल में एक बार अपने यहां जरूर लगवाना चाहिए।
रंजना जी,
आपने तो घर बैठे ही पुस्तक मेले की सैर करा दी. दिल्ली में होता तो पुस्तक मेला कभी मिस नहीं करता! यह जानकर अच्छा लगा की हिन्दी में बोलती किताबों की शुरुआत हो गयी है!
audio book ke baare main suna hai par kabhi unhe suna nahi...ab try karungi.
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