Tuesday, June 17, 2008

मेरे लबों पर सहरा की प्यास रहने दे



मेरे लबों पर सहरा की प्यास रहने दे
इस दिल की लगी को यूं ही जलती बुझती रहने दे

मैं हूँ जो उदास तो क्यों तडपता है तेरा दिल
अभी कुछ देर और मेरे पास अपने अहसास रहने दे

मत देख कितने दर्द से भरा है मेरा दिल
उदास लबों पर यूं ही हँसी का लिबास रहने दे

ना नजरों से पिला तू मुझको प्यार के प्याले
मेरे नसीब में है जो खाली गिलास रहने दे

नही उम्मीद कि अब कोई थामेगा हाथ मेरा
मेरी आंखों में अब भी मंजिल की तलाश रहने दे !!



यह रचना मेरे द्वारा लिखित है और श्वेता मिश्र द्वारा गायी गई है जल्द ही मेरी लिखी कुछ रचनाओं की सी डी ऋषि जी द्वारा गयी भी आने की उम्मीद है आपको यह कैसी लगी जरुर अपने विचार यहाँ दे ..शुक्रिया
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23 comments:

कुश said...

बहुत बढ़िया लिखा है आपने रंजू जी.. भाव विभोर कर दिया.. साथ ही बहुत बहुत बधाई आपको आपकी आने वाली सी डी के लिए.. मुझे पर्सन्ली बहुत अच्छी लगी ये रचना..

Anita kumar said...

WOW, LOVELY WORDS AND LOVELY MUSIC AND BEAUTIFUL VOICE

art said...

बेहद सुंदर.....भावपूर्ण

नीरज गोस्वामी said...

रंजू जी
बेहतरीन प्रस्तुति...दिल बाग़ बाग़ हो गया.
नीरज

Pramendra Pratap Singh said...

बहुत ही सुन्‍दर गीत प्रस्‍तुत किया है, बहुत अच्‍छा लगा

सागर नाहर said...

बढ़िया... संगीतबद्ध करने के बाद एक बार फिर से सुनना चाहेंगे। :)

Dr. Mahendra Bhatnagar said...

अपने में एक सम्पूर्ण ग़ज़ल!
सूक्ष्म भावों की तरल अभिव्यक्‍ति!
बधाई!
*** महेंद्रभटनागर

विश्व दीपक said...

अच्छी रचना है। बेहद अच्छी होती-होती रह गई है।

"इस दिल की लगी को यूं ही जलती बुझती रहने दे"

इस पंक्ति में "बुझती" की जगह "प्यास" के काफिये में ,जो कि "आस" है ,कोई शब्द लिखती तो सोने पर सुहागा हो जाता।

श्वेता जी की आवाज मनोरम एवं हृदय-स्पर्शी है। बिना किसी वाद्य-यंत्र के हीं उन्होंने सम्मोहन का जाल बुन दिया है।

गीतकार एवं गायिका दोनों को हार्दिक बधाई।

-विश्व दीपक ’तन्हा’

सुशील छौक्कर said...

नही उम्मीद कि अब कोई थामेगा हाथ मेरा
मेरी आंखों में अब भी मंजिल की तलाश रहने दे !!

आपकी लिखी रचना दिल की गहराईयों से निकल दिल की गहराईयों में चली जाती है
सच आप बहुत सुन्दर प्यारा खरा सोने सा लिखती है।

डॉ .अनुराग said...

मत देख कितने दर्द से भरा है मेरा दिल
उदास लबों पर यूं ही हँसी का लिबास रहने दे

achha laga ye sher aapka....

Abhishek Ojha said...

बहुत सुंदर !

मीनाक्षी said...

मेरे लबों पर सहरा की प्यास रहने दे
इस दिल की लगी को यूं ही जलती बुझती रहने दे.
bahut khoob... shabdoin ka jaadu man ko baandh leta hai...

रश्मि प्रभा... said...

नही उम्मीद कि अब कोई थामेगा हाथ मेरा
मेरी आंखों में अब भी मंजिल की तलाश रहने दे !!.........
एक ऐसा गीत,जो लबों पे मचल gaya.
तारीफ़ से ऊपर............

रंजना said...

बहुत बहुत सुंदर रचना.नेट की गडबडी से सुन तो नही पाई अभी,पर पढ़ना भी अपने आप मे कम सुखद नही है.बधाई.

Satish Saxena said...

ना नजरों से पिला तू मुझको प्यार के प्याले
मेरे नसीब में है जो खाली गिलास रहने दे !
सुंदर अभिव्यक्ति है !

thanedar said...

'मेरे लबों पर सहरा की प्यास रहने दे
इस दिल की लगी को यूं ही जलती बुझती रहने दे'

ye kaisa mattala hai? blog hai to gazal ke naam par jangal raaj chalaayengee?

रंजू भाटिया said...

जनाब थानेदार जी मैंने कब कहा की यह गजल है :) दिल से लिखी बात है जो लफ्जों में ढल गई ..शुक्रिया

Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया लिखा है.

Manish Kumar said...

मत देख कितने दर्द से भरा है मेरा दिल
उदास लबों पर यूं ही हँसी का लिबास रहने दे

ना नजरों से पिला तू मुझको प्यार के प्याले
मेरे नसीब में है जो खाली गिलास रहने दे

bahut khoob maza aaya padh kar...

mehek said...

मैं हूँ जो उदास तो क्यों तडपता है तेरा दिल
अभी कुछ देर और मेरे पास अपने अहसास रहने दे

मत देख कितने दर्द से भरा है मेरा दिल
उदास लबों पर यूं ही हँसी का लिबास रहने दे
bahut khubsurat ehsaas hai is nazm ke,kuch madhurta aur kuch talash bhi,aapki annewali c.d. ke liye bahut badhai.

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

Congratulations on this first step ..hope your record gets ready very soon .
Rgds,
L

Anonymous said...

रंजना जी, आप ही बताईये कि क्या सचमुच आपको हमारी टिप्पणियों कि ज़रूरत है??? आप कमाल हैं...और हम आपके hardcore fans!!!हार्दिक शुभकामनाएं_ राजसावा

Alpana Verma said...

Wah Ranjana ji.badhayee badhayee-----.aapki ye rachna bahut hi achchee lagi..bhaav puran..aur shweta ne bhi bahut achchee tarah nibhaya hai--meri badhayee un tak bhi pahuncha dejeeye..