Thursday, June 19, 2008

नाम की महिमा

नाम भी कैसे हम चीजों को दे देते हैं न ..कई बार दिमाग में आता है कि आलू , का नाम यदि आलू न होता तो क्या होता? और यदि यह नाम है तो कैसे किसने क्या सोच कर रखा ? आलू प्याज का तो पता नही कि यह नाम कैसे किसने रखे .पर टेडी एक खिलौना [बच्चो को क्या मुझे भी बहुत पसंद है :) उसका नाम कैसे टेडी कैसे पड़ा यह रोचक जानकारी मैंने एक जगह पढ़ी .. इसके खिलोने के नाम के पीछे बहुत ही रोचक कहानी है ..बात सन १९०२ की है इस से पहले आज सबको भाने वाला यह खिलौना टेडी बियर नही था जिस टेडी बियर को हम देख के इतना खुश होते हैं यह अमरीका के एक राष्टीयपति का उपनाम है जिनका नाम था थियोडोर रूसवेल्ट उन्ही का निक नेम टेडी था .एक बार इन्हे जंगली जानवरों की रक्षा के लिए देश से अपील करनी थी शिकार के शौकीन लोग शेर ,बाघ भालू आदि का शिकार किया करते थे इस से अमेरिका की सरकार तंग आ चुकी थी मगर पता नही किसी कार्टूनिस्ट को इस में सरकार की दोहरी नीति दिखायी दी उसने १९०२ में एक कार्टून बनाया जिस में राष्ट्रिय पति रूजवेल्ट हाथ में बन्दूक थामे खड़े हैं और उनके पीछे दो खूबसूरत भालू बने थे और नीचे भालू को न मारने की अपील की गई थी ..इस कार्टून की पूरे देश भर में खूब चर्चा हुई और इसके यूँ चर्चा का विषय बनने पर एक दूकानदार ने ग्राहकों का ध्यान अपनी दूकान की और आकर्षित करने के लिए इस कार्टून से भालू को ध्यान में रख कर इसकी एक खिलौना आकृति बनायी और सरकार से इसको टेडी पुकारे जाने की इजाजत मांगी राष्ट्रीय पति के इस उपनाम को इस भालू के लिए टेडी नाम मिल गया और यह तभी से टेडी बियर के नाम से मशहूर हो कर बिकने लगा ..


नाम की महिमा बहुत है ..नाम ही किसी की पहचान बनाते हैं या उसके होने के अस्तित्व की पहचान है ..पर यदि नाम ही किसी का गुम जाए तो ....एक बार इसी दर्द पर कुछ पंक्तियाँ लिखी गई थी ...


तन तो थक कर चैन मेरा पा गया
पर मन क़ी थकन अब कौन उतारे
खड़ी हूँ मैं भीड़ में तन्हा ऐसे
जैसे कोई किश्ती हो साहिल किनारे

एक शोर सा दिल में जाने कैसा है यह
एक आग दिल में कोई जैसे तूफ़ान उठा ले
अन्जाना अंधकार है मेरे चारो तरफ़
करता है दूर सितारो से भरा गगन कैसे इशारे

बिखरें हैं चारों तरफ़ धूल भरे यह रास्ते
मेरी मंजिल है कहाँ, कौन सा रास्ता अब पुकारे
मिलने को मिलता है यहाँ सारा जहान हमको
एक नही मिलता ज़ो प्यार से मेरा नाम पुकारे !!

11 comments:

Anonymous said...

wha ranju ji bahut hi achhi jankari :) :) hamare pas itne teddy bear hokar bhi pata nahi tha .

बिखरें हैं चारों तरफ़ धूल भरे यह रास्ते
मेरी मंजिल है कहाँ, कौन सा रास्ता अब पुकारे
मिलने को मिलता है यहाँ सारा जहान हमको
एक नही मिलता ज़ो प्यार से मेरा नाम पुकारे
bahut sahi kaha,agar naam nahi to pehchan hi kaisi,bahut marmik panktiyan sundar badhai

कुश said...

वाह ये तो बड़ी रोचक जानकारी रही.. धन्यवाद आपका.. और हा कविता भी बहुत सुंदर

pallavi trivedi said...

अरे वाह.. टैडी बीयर के बारे में बड़ी बढ़िया जानकारी दी आपने और कविता भी बहुत बेहतरीन है...शुक्रिया

डॉ .अनुराग said...

टेडी बियर कभी हमने भी जमा किए थे ...तब पता नही था की इनका ये नाम क्यों है ?ओर ना ही ये मालूम चल पाया की लड़कियों को क्यों इतने पसंद है.......बाकी नाम खोने पर कई इंग्लिश मूवी बहुत अच्छी बनी है......

दिवाकर प्रताप सिंह said...

अच्छी कविता है।

Abhishek Ojha said...

जानकारी तो रोचक है .

सेक्सपियर ने कहा 'What's in the name? ' पर नाम ही तो सबकुछ है !

Alpana Verma said...

मिलने को मिलता है यहाँ सारा जहान हमको
एक नही मिलता ज़ो प्यार से मेरा नाम पुकारे
sahi hai nam se ho pahchan hai..

aur teddi bear par jaankari achchee lagi-
dhnywaad

mamta said...

टेडी बीयर के नाम के बारे में तो ये पता ही नही था।
शुक्रिया रंजू जी इस रोचक जानकारी को देने के लिए।

आलोक साहिल said...

ओजी,बहुत ही रोचक जानकारी दी आपने,सही है भाई...कहाँ से लाती हैं इतना सबकुछ नया नया?
बेहतरीन
आलोक सिंह "साहिल"

आलोक साहिल said...

ओजी,बहुत ही रोचक जानकारी दी आपने,सही है भाई...कहाँ से लाती हैं इतना सबकुछ नया नया?
बेहतरीन
आलोक सिंह "साहिल"

Udan Tashtari said...

ये हुई न अच्छी पढ़ाने की टेकनीक- टेडी के नाम का राज भी पढ़ लिया और बोनस में बेहतरीन कविता. बधाई.