Thursday, May 29, 2008

वक्त और रिश्ता


कौन कहता है कि..
हो जाता है एक नज़र में प्यार
दो दिल न जाने कब एक साथ
धड़कने लगते हैं...
तोड़ लायेंगे चाँद सितारे
और बिछा देंगे फलक
क़दमों के नीचे
ऐसे सिरफिरे वायदे भी
कसमों की जुबान होते हैं,

पर सब खो जाता है
कुछ ही पलों में...
वो दर्द को छूने की कोशिश..
वो इंतज़ार के बेकली के लम्हे..
आंखो में सजते सपने..
आग का दरिया तक
पार करने का जनून
न जाने कहाँ चला जाता है ?

रह जाता है तो सिर्फ़
एक भोगा हुआ वक्त
जो दो जिस्मों
मैं बंट कर
सिर्फ़ ...एक
पिघला हुआ एहसास
रह जाता है !!

14 comments:

Mohinder56 said...

रंजना जी,

जिन्दगी की जरूरतों का अजगर अकसर खोखले प्यार को निगल जाता है.. पर जहां दिल की गहराईयों से प्यार होता है वो हर मुशकिल पार कर लेता है..प्यार सिर्फ़ खुशी में साथ रहने का नाम नहीं... प्यार मुसीबत के वक्त पहचाना जाता है

Abhishek Ojha said...

रह जाता है तो सिर्फ़
एक भोगा हुआ वक्त.

अगर ऐसा है तो फिर प्यार था ही कहाँ? जो कुछ था उसे प्यार तो नहीं कह सकते !

Unknown said...

Hello Ranju Ji, I m very glad to read your poem. Aap ne poem ki jo ander ki byatha explain ki hai.wakai wo kabile tarif hai. All womens and mans know in this information age love is disapper from human culture only remaining physical attraction between man and women. In today age man no hv most time for give love to our lover and same most womens not have time for saaj sringar which is part of attraction of love..as per our puran.. so previous love is spirtual as like Radha and Krishna.....but today love is only physical need. but still remaining 10% spirtual love.. so love is very pleasent feeling for man and womens.....in today age love as:
In a moment…
I felt the touch of divinity.
I felt the sun shine on me.
I felt the power of love being set free,
All
in
a moment.

I love yr poems...
Sanju
Lucknow
9838828439

Sankalp mishra said...

love..............
y write very true two bodies melts when they fall in ................................y khow what ?????????????????

LOVE LOVE LOVE

Rachna Singh said...

बस ऐसे ही

समझोते की चारपाई तुमने बिछाई वो सोई
तुम भी अधूरे उठे वो भी अधूरी उठी

http://rachnapoemsjustlikethat.blogspot.com/2008/02/blog-post.html

bilkul dil ko chulane valee ek dam sahii kavita haen . kyoki

बस ऐसे ही

नासमझ और पागल ही प्यार करते है
बाक़ी सब तो समझोते और व्यापार करते है
http://rachnapoemsjustlikethat.blogspot.com/2007/12/blog-post_25.html

बालकिशन said...

कभी कभी ये पूरा सच भी नही होता.
बहुत ही सुंदर शब्द चित्रण.
आपको बधाई.

mamta said...

भावपूर्ण कविता।

GIRISH JOSHI said...

कविता भी अच्छी लगी और अभिव्यक्ति भी|
मगर प्रेम कि जो फिलोसोफी जहा तक मैं मानता हूँ - जब दो युवा मिलते है तो जिन्सी भावनाए उन्हें पास खिचती है| समय के साथ भौतिक भाव विलीन होते चलता है और दो भिन्न लोगो में से एक दूसरे को पूर्णरूप से पहचानने वाले अभिन्न भाव से जुडे आत्मा रह जाते है| अब सिर्फ देह अलग है|

शायद यही तो है अपनी हिन्दू विवाह्प्रथा|

Sanjeet Tripathi said...

प्यार कहें या चाहत कहें
रहता है दिल में
एक एहसास बनकर।
पर वक्त…
वक्त ही है जो इसकी तपिश
इसकी आंच को कम करता है
लेकिन फ़िर भी
इसका यह मतलब नही
कि प्यार रहता नही फिर

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav said...

जिन्दगी ये तेरा दस्तूर हुआ करता है
दिल का दिलवर ही दिल से दूर हुआ करता है..

प्रेम प्यार वास्तव मे अंतस के मिलन का नाम है
और त्याग इसका पर्याय..
भावनाओं की कद्र और सामने वाले की खुशी में अपनी खुशी ढूढ़ना
अगर एक दुसरे की तरफ झुकाव रखेंगे तो मिलकर मन्दिर नुमा चोटी बनेगी और उपर से आने वाले आँधी तूफान बरिश से अन्दर का महोल प्रभावित नहीं होगा.. यदि समांतर रहे तो कचड़ा भरता जयेगा...

कहीं तक सटीक है आज के परिवेश में आपकी रचना..

Udan Tashtari said...

बहुत अच्छी लगी आपकी यह भावपूर्ण कविता.

डॉ .अनुराग said...

रह जाता है तो सिर्फ़
एक भोगा हुआ वक्त
जो दो जिस्मों
मैं बंट कर
सिर्फ़ ...एक
पिघला हुआ एहसास
रह जाता है !!

पर यही वक़्त बरसों आपकी रगों मे दौड़ता आपको जिंदा रखता है......

आशीष कुमार 'अंशु' said...

भावपूर्ण कविता।

vinodbissa said...

bahut shandaar rachanaa hai ........... shubhkamanayen........