Wednesday, May 21, 2008

मौसम को इशारों से बुला क्यों नही लेते...

मौसम को इशारों से बुला क्यों नहीं लेते
रूठा है अगर वो तो मना क्यों नहीं लेते

दीवाना तुम्हारा कोई गैर नहीं
मचला भी तो सीने से लगा क्यों नही लेते

ख़त लिखकर कभी और कभी ख़त को जलाकर
तन्हाई को रंगीन बना क्यों नही लेते

तुम जाग रहे हो मुझको अच्छा नही लगता
चुपके से मेरी नींद चुरा क्यों नही लेते

मौसम को इशारों से बुला क्यों नही लेते [जगजीत सिंह .]..दिल्ली का मौसम तो वैसे ही सावन आया भूल के हो गया है ..इस मौसम में यह दो गाने अच्छे लगे आप भी सुने :)




मैनू तेरा शाबाब ले बैठा .. [जगजीत सिंह .].


5 comments:

शोभा said...

रंजू जी
बहुत सुन्दर गज़ल है। मज़ा आगया। अब तो इस ब्लाग पर रोज़ ही आना पड़ेगा। इतनी सु्दर गज़ल सुनवाने के लिए शुक्रिया।

Manish Kumar said...

बहुत दिनों के बाद सुनी ये खूबसूरत ग़ज़ल ! आनंद आ गया । शुक्रिया इसे सुनवाने का पर साथ साथ बोल भी लिख दिया करें तो सुनने का मजा दूना हो जाएगा।

Udan Tashtari said...

वाह! बड़ी ही उम्दा गज़ल पेश की है.

अमिताभ मीत said...

बहुत बढ़िया. मज़ा आ गया. शुक्रिया.

रंजू भाटिया said...

मनीष जी बोल लिख दिए हैं ..:)