Friday, March 21, 2008

यह तो रंग सजना प्यार का है


छलक रहा है जो रंग नजरों से
यह तो रंग सजना प्यार का है

दिल में उठ रही हैं जो धीरे से हिलोरे
यह नशा सब फागुनी बयार का है

उड़ा के ले गया है चैन-औ-करार मेरा
आंखो में ख्वाब इन्द्रधनुषी बहार का है

पलकों में बंद है बस एक सूरत तेरी
छाया हुआ खुमार तेरे ही दुलार का है

निहारूँ हर पल मैं राह तुम्हारी
नयनों को इन्तजार तेरे दीदार का है

बिखरे है फिजा में जो रंग टेसू के
ऐसा ही सपना तेरे मेरे संसार का है !!

10 comments:

Anonymous said...

मनभावन!

Sanjeet Tripathi said...

क्या बात है जी!!

रवीन्द्र प्रभात said...

अत्यन्त सुंदर ,आपको होली की शुभकामनाएं !!

राज भाटिय़ा said...

आपको भी होली की शुभकामनाएं !!

परमजीत सिहँ बाली said...

एक अच्छी पोस्ट के सा्थ ,होली के अच्छे रंग बिखेरे हैं। होली मुबारक।

Anonymous said...

इतनी रोमान्टिक कविता के लिये धन्यवाद.बहुत सुन्दर रंग भरे आपने अपनी कविता में.होली की बधाई स्वीकार करें.Delightful reading.

सुनीता शानू said...

होली मुबारक हो दी...

विजय गौड़ said...

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Divine India said...

सबसे पहले नमस्कार…। कैसी हैं आप…।
आज बहुत दिनों बाद ब्लाग पर आना हुआ…
दिल्ली भी मैं गया था अपने फिल्म के प्रमोशन को लेकर… 20 मार्च को सीरीफोर्ट में इसका लोकार्पण होगा संभवत: PM के हाथों… आज ही आपको आमंत्रण भी दे दिया है… बाकी जैसा होगा बताऊँगा।

बस पुन: लगा की प्रेम संगीत बह चला है…
बहुत बढ़िया… स्वर्ण कमल के लिए बधाई…
एक पार्टी बकाया हुई…।

डॉ .अनुराग said...

bahut badhiya...bahut khoob.