छलक रहा है जो रंग नजरों से
यह तो रंग सजना प्यार का है
दिल में उठ रही हैं जो धीरे से हिलोरे
यह नशा सब फागुनी बयार का है
उड़ा के ले गया है चैन-औ-करार मेरा
आंखो में ख्वाब इन्द्रधनुषी बहार का है
पलकों में बंद है बस एक सूरत तेरी
छाया हुआ खुमार तेरे ही दुलार का है
निहारूँ हर पल मैं राह तुम्हारी
नयनों को इन्तजार तेरे दीदार का है
बिखरे है फिजा में जो रंग टेसू के
ऐसा ही सपना तेरे मेरे संसार का है !!
10 comments:
मनभावन!
क्या बात है जी!!
अत्यन्त सुंदर ,आपको होली की शुभकामनाएं !!
आपको भी होली की शुभकामनाएं !!
एक अच्छी पोस्ट के सा्थ ,होली के अच्छे रंग बिखेरे हैं। होली मुबारक।
इतनी रोमान्टिक कविता के लिये धन्यवाद.बहुत सुन्दर रंग भरे आपने अपनी कविता में.होली की बधाई स्वीकार करें.Delightful reading.
होली मुबारक हो दी...
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सबसे पहले नमस्कार…। कैसी हैं आप…।
आज बहुत दिनों बाद ब्लाग पर आना हुआ…
दिल्ली भी मैं गया था अपने फिल्म के प्रमोशन को लेकर… 20 मार्च को सीरीफोर्ट में इसका लोकार्पण होगा संभवत: PM के हाथों… आज ही आपको आमंत्रण भी दे दिया है… बाकी जैसा होगा बताऊँगा।
बस पुन: लगा की प्रेम संगीत बह चला है…
बहुत बढ़िया… स्वर्ण कमल के लिए बधाई…
एक पार्टी बकाया हुई…।
bahut badhiya...bahut khoob.
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