Monday, October 15, 2007

यादें


कभी तो टूटेगा तन्हा रातो का अंधेरा
ख़ुद को किसी की याद का जुगनू बना के देख

मुझे दिल से भूल कर छोड़ कर जाने वाले
कभी पलट के फिर से उन साथ चली राहों में तो देख

किस तरह बीता वक़्त बन जाता है मीठी सी याद
एक पल के लिए अपनी पलके उठा के फिर झुका के तो देख

कोई नाम अभी भी कांपता तो होगा होंठो पर
ज़रा दिल की धड़कनों को वो नाम सुना के तो देख !!

8 comments:

अनिल रघुराज said...

एक पल के लिए अपनी पलके उठा के फिर झुका के तो देख...
क्या बात है! आपके ब्लॉग की डिजाइन भी अच्छी और कविता भी।

Udan Tashtari said...

सुन्दरता से भाव पेश किये हैं, बधाई रंजना जी!!

Atul Chauhan said...

अति सुन्दर कविता है। आपको बधाई।

Sanjeet Tripathi said...

सुंदर कविता!!

अमिताभ मीत said...

आप को पढ़ के अहमद फ़राज़ का ये शेर याद आ गया -

जो भी बिछडे हैं कब मिले हैं 'फ़राज़'
फिर भी ऐ दोस्त गौर कर, .... शायद

मीत

loke said...

aap apni koi book nikal rahe ho agar nahi to plz jaldi se nikalna i m the first person jo us book ko purchase karega

kyo ki aagr aapki kavita mein jitna dard hai us se jayda pyar hai , jo sirf ankho ki juban ko bhi samjh jaye

aapka ek hamesha parshansinya
Lokesh Kumar

अमिय प्रसून मल्लिक said...

कभी तो टूटेगा तन्हा रातो का अंधेरा
ख़ुद को किसी की याद का जुगनू बना के देख

मुझे दिल से भूल कर छोड़ कर जाने वाले
कभी पलट के फिर से उन साथ चली राहों में तो देख

किस तरह बीता वक़्त बन जाता है मीठी सी याद
एक पल के लिए अपनी पलके उठा के फिर झुका के तो देख

कोई नाम अभी भी कांपता तो होगा होंठो पर
ज़रा दिल की धड़कनों को वो नाम सुना के तो देख !!

...ab is par kya kahoon,ranjoo jee? aapne kuchh kehne ko chhoda kahaan ki naachiz apni tippani de sakie.
chaliye,tuchchha shabdon mein hi kehta hoon ki behtareen rachna lagi aapki. waise bhi, mujhe aapki rachna jaldi kharaab lagti kahaan hai jee!
NAHIN,NAHI, YE TO AAPKI LEKHANI KA JADOO HAI!

डाॅ रामजी गिरि said...

"मुझे दिल से भूल कर छोड़ कर जाने वाले
कभी पलट के फिर से उन साथ चली राहों में तो देख"

यादों के वियांवान में भटके, कहाँ फुर्सत है आज के इन्सान को. इस fast ज़माने में हम खुद को पकडे रह पाए तो यही बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.....

बहुत सुन्दर लिखा है आपने रंजना जी.