Monday, October 08, 2007

माँ नारी का सबसे सुंदर रूप


नारी हमेशा से ही हर रूप में पूजनीय रही है और उसका हर रूप अदभुत और सुंदर है
एक छोटी सी कहानी कहीं पढ़ी थी वो कहानी दिल को छू गयी !
एक बेटे ने अपनी आत्मकथा में अपनी माँ के बारे में लिखा ;कि उसकी माँ की केवल एक आँख थी
इस कारण वह उस से नफ़रत करता था एक दिन उसके एक दोस्त ने उस से आ कर कहा कि अरे
तुम्हारी माँ कैसी दिखती है ना एक ही आँख में ? यह सुन कर वो शर्म से जैसे
ज़मीन में धंस गया दिल किया यहाँ से कही भाग जाए , छिप जाए और उस दिन उसने अपनी
माँ से कहा की यदि वो चाहती है की दुनिया में मेरी कोई हँसी ना उड़ाए तो वो यहाँ से चली जाए!

माँ ने कोई उतर नही दिया वह इतना गुस्से में था कि एक पल को भी नही सोचा की उसने माँ से क्या कह दिया हैऔर यह सुन कर उस पर क्या गुज़री होगी !कुछ समय बाद उसकी पढ़ाई खत्म हो गयी ,अच्छी नौकरी लग गई और उसने ने शादी कर ली ,एक घर भी खरीद लिया फिर उस के बच्चे भी हुए !एक दिन माँ का दिल नही माना वो सब खबर तो रखती थी अपने बेटे के बारे में और वो उन से मिलने को चली गयी उस के पोता पोती उसको देख के पहले डर गए फिर ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे बेटा यह देख के चिल्लाया की तुमने कैसे हिम्मत की यहाँ आने की मेरे बच्चो को डराने की और वहाँ से जाने को कहा
माँ ने कहा की शायद मैं ग़लत पते पर आ गई हूँ मुझे अफ़सोस है और वो यह कह के वहाँ से चली गयी!

एक दिन पुराने स्कूल से पुनर्मिलान समरोह का एक पत्र आया बेटे ने सोचा की चलो सब से मिल के आते हैं !वो गया सबसे मिला ,यूँ ही जिज्ञासा हुई कि देखूं माँ है की नही अब भी पुराने घर में
वो वहाँ गया ..वहाँ जाने पर पता चला की अभी कुछ दिन पहले ही उसकी माँ का देहांत हो गया है
यह सुन के भी बेटे की आँख से एक भी आँसू नही टपका तभी एक पड़ोसी ने कहा की वो एक पत्र दे गयी है तुम्हारे लिए .....पत्र में माँ ने लिखा था कि ""मेरे प्यारे बेटे मैं हमेशा तुम्हारे बारे में ही सोचा करती थी और सदा तुम कैसे हो? कहाँ हो ?यह पता लगाती रहती थी उस दिन मैं तुम्हारे घर में तुम्हारे बच्चो को डराने नही आई थी बस रोक नही पाई उन्हे देखने से इस लिए आ गयी थी, मुझे बहुत दुख है की मेरे कारण तुम्हे हमेशा ही एक हीन भावना रही पर इस के बारे में मैं तुम्हे एक बात बताना चाहती हूँ की जब तुम बहुत छोटे थे तो तुम्हारी एक आँख एक दुर्घटना में चली गयी अब मै माँ होने के नाते कैसे सहन करती कि मेरा बेटा अंधेरे में रहे इस लिए मैने अपनी एक आँख तुम्हे दे दी और हमेशा यह सोच के गर्व महसूस करती रही की अब मैं अपने बेटे की आँख से दुनिया देखूँगी और मेरा बेटा अब पूरी दुनिया देख पाएगा उसके जीवन में अंधेरा नही रहेगा ..सस्नेह तुम्हारी माँ """

यह एक कहानी यही बताती है कि माँ अपनी संतान से कितना प्यार कर सकती है बदले में कुछ नही चाहती नारी का सबसे प्यारा रूप माँ का होता है बस वो सब कुछ उन पर अपना लुटा देती है और कभी यह नही सोचती की बदले में उसका यह उपकार बच्चे उसको कैसे देंगे ! नारी का रूप माँ के रूप में सबसे महान है इसी रूप में वो स्नेह , वात्सलय , ममता मॆं सब उँचाइयों को छू लेती है उसके सभी दुख अपने बच्चे की एक मुस्कान देख के दूर हो जाते हैं!
तभी हमारे हिंदू संस्कार में माँ को देवता की तरह पूजा जाता है माँ को ही शिशु का पहला गुरु माना जाता है सभी आदर्श रूप एक नारी के रूप में ही पाए जाते हैं जैसे विद्या के रूप में सरस्वती ,धन के रूप में लक्ष्मी, पराक्रम में दुर्गा ,सुन्दरता में रति और पवित्रता में गंगा ..वो उषा की बेला है, सुबह की धूप है ,किरण सी उजली है इस की आत्मा में प्रेम बसता है!
किसी कवि ने सच ही कहा है की ..

प्रकति की तुम सजल घटा हो
मौसम की अनुपम काया
हर जगह बस तुम ही तुम
और तुम्हारा सजल रूप है समाया !!


रंजना

9 comments:

Mohinder56 said...

रंजना जी,

बहुत ही मार्मिक कहानी है यह...मुझे मेरे किसी दोस्त ने पहले ईमेल की थी....सचमुच मां के सामने तो ईश्वर भी नतमस्तक होंगे.

सुन्दर रचना.

Sanjeet Tripathi said...

मार्मिक!!

शिवानी said...

रंजना जी, आपकी कहानी माँ नारी का सबसे सुंदर रूप पढी ! पढ़ते पढ़ते सच में आंखें नम हो गई !आपने सच कहा है कि नारी का रूप माँ के रूप में सबसे महान है ! तभी तो कहते हैं कि पूत कुपूत हो सकता है पर माता माता कुमाता कभी नही हो सकती ! माँ कि तुलना उषा की बेला ,सुबह की धूप और किरण सी उजली सराहनीय है !इतनी मार्मिक ,संवेदनशील और शिक्षाप्रद कहानी के लिए बधाई स्वीकार करें ...!

Udan Tashtari said...

बहुत मार्मिक कहानी लेकर आई हैं. माँ तो खैर माँ ही है. समझना बच्चों की समझदारी है.

अच्छा है ऐसे प्रसंग लाती रहें.शुभकामनाऐं.

SahityaShilpi said...

बहुत ही मार्मिक कहानी है, रंजना जी! सचमुच माँ की ममता और त्याग का कोई अंत नहीं.

Asha Joglekar said...

रंजना जी बहुत ही ह्रदयस्पर्शी कहानी है । ऐसी ही एक कहानी बचपन में पढी थी । इसमें बेटे को एक लडकी से प्यार हो जाता है । लडकी उसे अपने प्यार को साबित करने के लिये कहती है । इसके लिये वह उसे अपने माँ का दिल लाने को कहती है। बेटा माँ को मार कर उसका दिल लेकर लडकी के पास आ रहा होता है कि ठोकर खा कर गिर जाता है । उठ कर जब वह दिल को हाथ में उठाता है तो दिल में से आवाज़ आती है बेटे तुझे चोट तो नही आई ?

satish said...

so truly said women have so many roles but none more beautiful than mother. Amazing work Ranjana ji really enjoyed reading it.

धनराज भीरडा said...

रंजना जी, बहुत बहुत धन्यवाद..............

धनराज भीरडा said...

रंजना जी, बहुत बहुत धन्यवाद..............