Friday, July 13, 2007

तू ही तू नज़र आए


हमे सब तरफ़ एक तू ही तू नज़र आए
दिल तलाशता है जिस मंज़र को वो नज़र तो आए


हम छोड़ देंगे पीना जाम से सनम
पहले तेरी आँखो में हमे मय मोहब्बत की तो नज़र आए

तय कर लेंगे हम तेरे साथ यह इशक़ का सफ़र
पर तेरे साथ हमे अपनी मंज़िल भी तो कोई दिखाए

निभा दी हैं हमने तो मोहब्बत की सब रस्मे
तेरी बातो से भी हमे कुछ वफ़ा की महक तो आए

सो जाएँगे तेरे बाहों के घेरे में हम सकूँ की नींद
पर तुझे भी तो कभी हमारी याद इस तरह शिद्दत से आए!!





13 comments:

Kavi Kulwant said...

रंजू ! बहुत अच्छी लगी रचना ’तू ही नजर आए..’ साधुवाद.. अच्छा लिखती हैं आप..
कवि कुलवंत

Kavi Kulwant said...

आपका ब्लाग डिजाइन बहुत सुंदर है। मैं आपके ब्लाग को अपने ब्लाग पर मेरे कवि दोस्त में जोड़ना चाहता हूँ..
कवि कुलवंत

Kavi Kulwant said...

आपकी गजल, कविताएं, कुछ मेरे बारे में इत्यादि बहुत कुछ पढ़ गया। अच्छा लगा। अति सुंदर। आपकी रचनाओं में कशिश है, पूरा पढ़ने को दिल करता है, एक ठहराव है, एक सोच है..बहुत अच्छा लगा। कभी मुलाकात हो सके तो अच्छा लगेगा।
कवि कुलवंत singhkw@indiatimes.com

Sanjeet Tripathi said...

खालिस "रंजनाई" कविता।
बढ़िया!!

परमजीत सिहँ बाली said...

रजू जी,बहुत बढिया रचना है ।

निभा दी हैं हमने तो मोहब्बत की सब रस्मे
तेरी बातो से भी हमे कुछ वफ़ा की महक तो आए

Udan Tashtari said...

निभा दी हैं हमने तो मोहब्बत की सब रस्मे
तेरी बातो से भी हमे कुछ वफ़ा की महक तो आए


--बढ़िया. लिखती रहें.

Aab said...

"निभा दी हैं हमने तो मोहब्बत की सब रस्मे
तेरी बातो से भी हमे कुछ वफ़ा की महक तो आए"

Could associate to these lines very well. Gud work!

(I run a blog myself and have been thinking on these lines for quite sometime now - Pain is universal, love is not)

Kavi Kulwant said...

Dear Ranjana ji! How did you put 'Apne Bhasha Mein Padhe' (different languages) on yr site?
kavi kulwant

Divine India said...

रंजू जी,
माफी चाहूँगा इस दफा…पता नहीं क्यों मैं बिल्कुल प्रभावित नहीं हो सका…प्रेम का आलम्बन ठीक तरीके से उभरा नहीं है… जितना व्यक्त होना चाहिए था वह सिमटा सा जान पड़ रहा है…।

Anonymous said...

behut sunder pangtiyaan "so jaayenge teri baahon ke gheren mai.. tujhe bhi to kabhi hamari yaad es tarah...." Yearning of a heart filled with unreciprocated love has been captured perfectly by this poem of yours…… beautiful...

Mukesh Garg said...

bahut khob mam . kya likha hai waqii main dil ko chuu gai ye rachna.

Unknown said...

आपका ब्लाग डिजाइन बहुत सुंदर है। और आपकी कविताएँ भी..........आकाश सैनी

Unknown said...

आपका ब्लाग डिजाइन बहुत सुंदर है। और आपकी कविताएँ भी.......... आकाश सैनी