Friday, May 04, 2007

दिखता है प्यार अब बड़े ब्रांड के बाज़ारो में



कल यूँ ही माल जाना हुआ ..वहाँ जितनी देर में घूमी उतनी देर में सिर्फ़ एक बात आँखो के सामने से मेरे कई बार हो के गुज़री ....कि चाहे वह पीत्ज़ा हट हो चाहे मेक डोनल्ड या कोई खाने पीने कि जगह सब जगह प्रेमी युगल अपनी ही दुनिया में मस्त नज़र आए ..तब इक बात मुझे एहसास हुआ कि आज कल यह माल संस्कृति क्यूं इतनी फल फूल रही है ...


हाथ में तेरे मेरा ही हाथ हो ,,पेडो के साये के पीछे कोई प्यार की बात हो ...... कितना रूमानी सा लगता है यह सोचना....पर जनाब अब यह बाते जैसे बीते वक़्त की दास्तान बन के रह गयी हैं ..क्यूं कि दिल्ली में दो प्यार करने वालो के लिए कोई जगह नही बची है जहाँ दो प्यार दो पल सकुन के बीता सकें ...करते है प्यार दो दिल पर अब पुलिस के साये में ..या लोगो के हज़ूम् में .....दिल्ली में लोधी गार्डन.बुद्धा गार्डन .पुराना क़िला .इंडिया गेट..सफ़दरजंग टोम्ब .और अभी अभी नया प्रेमी स्थल बना थे गार्डन आफ़ फ़ाइव सेंसेस हैं ..पर यहाँ हर वक़्त पुलिस का पहरा या हिज़डो का हज़ूम् इन प्रेमी युगलो को परेशान करते हैं .अब ऐसे में कहाँ जाए दो दिल प्यार करने वाले ...सच तो यह है कि आज कल का प्यार भी 2 मिनट नूडल्स कि तरह हो गया अब वो पहले वाली गहराई कहाँ प्यार में सिर्फ़ एक जिस्म कि भूख है .जब यही कुछ युगल इन हरक़तो पर उतर आते हैं तो सामजिक प्रतिबंध ज़रूरी हो जाता है .. ..... नये बने माल प्रेमी युगलो मनपसन्द मिलन स्थल बनते जा रहे हैं .आम पब्लिक के बीच में इन बिंदास जोड़ो को प्यार कि खुमारी में डूबा देखा जा सकता है ..नये बने पी. वी आर भी अब इन जोड़ो की पसन्दीदा जगह बने हुए हैं ..जब से इन जगह पर कई तरह कि बंदिश लगनी शुरू हुई तो माल संस्कृति मेक डोनल्ड. और कई जगहा वालो कि तो चाँदी हो गयी .अब यही स्थान इन सब के पसंदीदा स्थान बन गये हैं ..आज यह सब जगह इन लोगो कि वजह से ख़ूब फल फूल रही है यानी कि आज का प्यार भी अब खुली हवा कि बजाए बाज़ार में बिकने वाले हर चीज़ कि तरह हो गया है .पर इन सब में वो बात नही है जो पहले खुले आसमान के नीचे में थी.. क्यूँ हो रहा है यह सब ....क्यूं की ज्यूँ ज्यूँ पैसा प्यार पर हावी हो रहा है वेसे वेसे यह माल संस्कृति पनप रही है पहले जहाँ एक गुलाब का फूल देना ही प्यार का इज़हार समझा जाता था अब मेहंगी ख़रीदारी करना खाने पीने में खर्च करना ही प्यार का इज़हार बन चुका है .. . अब बहुत काम जोड़े आपको पल सकुन कि तलाश में आपको लोधी गार्डन .बुद्धा जयंती पार्क या गार्डन ओफ़ फ़ाइव सेनसीस में किसी झाड़ी के पीछे गलबियाँ डाले दिखगे जब तक यह संसार है ना प्यार करने वालो पर बंदिश लगेगी ,और यह प्रेमी युगल अपने लिए नये सकुन और प्यार कि जगह तलाश ही लेंगे अब चाहे वो "माल संस्कृति में डूबा हुआ ही क्यूं ना हो ..



प्यार नाम है सपनो का ख़ावाबो का
पर अब इसका भी यूँ व्यापार होता है
पहले कर लेते थे इज़हार हम आँखो में
अब जा के भरे बाज़ार में इसका यूँ इक़रार होता है !! :)


ranju

6 comments:

Prabhakar Pandey said...

यथार्थ । सुंदर लेख।

Divine India said...

पहले तो मैं डर गया की किसी और का तो नहीं ब्लाग खोल दिया…!!!
मगर शांति मिला जब नाम पढ़ा…।
क्या हो जब जलन्र लगे आँख किसी दूसरे के देख
यह रूमानी छाया…पिछे छुपे दर्द को लोग अपनी हरकतो में ले आते हैं और परिणाम कोई और के साथ होता है…। एकदम सजीब रचना है…।

रंजू भाटिया said...

shukriya parbhakar ji

रंजू भाटिया said...

shukriya divyabh ..aap dar gay?..yah baat abhi tab samajh nahi aa rahi ,,.:) aapko pasand aaya iske liye shukriya ...

Manoj Jha said...

ranju ji kavita kai alava samayik tipadi bhi kar sakti hai. Pad kar aacha laga!!

रंजू भाटिया said...

shukriya manoj ji ...jee haan koshish to hai likhne ki ..:)