मेरे कानो में चुपके से कौन सदा देता है
मेरे अंदर बुझी हुई राख को कौन हवा देता है
हर दर्द और हर ग़म को बसा रखा है हमने सीने में
यह दर्द ही है जो हर पल जीने का मज़ा देता है
बीत रही है मेरी उमर एक तन्हा से दर्द के साथ
उसकी यादो का मधुर उजाला इसमें कोई दीप सा जला देता है
जब भी कि हमने किसी से भल्लाई कि बात इस ज़माने में
वोह ही हमे सबके सामने गुनहगार ठहरा देता है
जब भी देखा किसी के दिल में झाँक कर हमने तो एक दर्द ही पाया
यह दर्द का रिश्ता भी कभी कभी दो दिलो को मिला देता है
मेरा दिल भी कितना मासूम और भोला है
यह ख़ुद को दर्द देने वाले को भी दुआ देता है !!
मेरे अंदर बुझी हुई राख को कौन हवा देता है
हर दर्द और हर ग़म को बसा रखा है हमने सीने में
यह दर्द ही है जो हर पल जीने का मज़ा देता है
बीत रही है मेरी उमर एक तन्हा से दर्द के साथ
उसकी यादो का मधुर उजाला इसमें कोई दीप सा जला देता है
जब भी कि हमने किसी से भल्लाई कि बात इस ज़माने में
वोह ही हमे सबके सामने गुनहगार ठहरा देता है
जब भी देखा किसी के दिल में झाँक कर हमने तो एक दर्द ही पाया
यह दर्द का रिश्ता भी कभी कभी दो दिलो को मिला देता है
मेरा दिल भी कितना मासूम और भोला है
यह ख़ुद को दर्द देने वाले को भी दुआ देता है !!
ranju
14 comments:
बिछोड की पीडा व मिलन की आस....बहुत अच्छा लिखा है आप ने
rachna ke bhaaw achchhe hain .. dard bhi hai.. par bikhar se gaye hn.. pataa nahin kyun mujhe aisa lagaa..
Romanticism at its Best!!!
पहले और आखरी पंक्तियों के ये शब्द उत्सव ही उत्सव हैं… जिया है हर भावना ने आकृति बनकर…।
धन्यवाद!!!
Yes this time i feel easy to comment...
रन्जू जी, यही करना सही भी है । सुन्दर विचार हैं ।
घुघूती बासूती
ghughutibasuti.blogspot.com
miredmiragemusings.blogspot.com/
before making comments let me introduce myself..i m divyabh's younger brother,n i dont think i undrstnd poetry..but ystrday when bhaiya was reading ur work i got chance to go through this poem of urs..just wanna say that cute yet impressive poem..touching!!!
thx
hai woh accha
yeh kehkar
sab bhula deta hoon
kitna pagal hoon main
pathar ko
khuda kehta hoon
shukriya mohinder ji ..
shukriya manya....
shukriya divyabh [:)]
shukriya घुघूती ji ...[:)]
shukriya aditi aapke yaahn aane ka
aur isko samjahne ka ,mujhe bahut khushi hui jaan ke ...aage bhi isi tarah padhate rahe ...accha lagega
shukriya !!
hai woh accha
yeh kehkar
sab bhula deta hoon
kitna pagal hoon main
pathar ko
khuda kehta hoon
bahut khoob ..
thanks devesh [:)]
its realy nice shayad mene yeh pehli baar shayari ki site dekhi hai isliye lekin its too good i have no words 4 u i cant x-palin realy rock
Amazing.. Awesome and MindBlowing..
Keep Writing..
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