मेरे दिल की ज़मीन को सपनो का आकाश चाहिए,
उड़ सकूँ या नही ,किंतु पँखो के होने का अहसास चाहिए......
मौसम दर मौसम बीत रही है यह जिंदगानी ,
मेरी अनबुझी प्यास को बस एक "मधुमास" चाहिए.
लेकर तेरा हाथ, हाथो में काट सके बाक़ी ज़िंदगी का सफ़र.
मेरे डग-मग करते क़दमो को बस तेरा विश्वास चाहिए.
साँझ होते ही तन्हा उदास हो जाती है मेरी ज़िंदगी,
अब उन्ही तन्हा रातो को तेरे प्यार की बरसात चाहिए.
कट चुका है अब तो मेरा" बनवास" बहुत
मेरे बनवास को अब "अयोध्या का वास" चाहिए. !!
उड़ सकूँ या नही ,किंतु पँखो के होने का अहसास चाहिए......
मौसम दर मौसम बीत रही है यह जिंदगानी ,
मेरी अनबुझी प्यास को बस एक "मधुमास" चाहिए.
लेकर तेरा हाथ, हाथो में काट सके बाक़ी ज़िंदगी का सफ़र.
मेरे डग-मग करते क़दमो को बस तेरा विश्वास चाहिए.
साँझ होते ही तन्हा उदास हो जाती है मेरी ज़िंदगी,
अब उन्ही तन्हा रातो को तेरे प्यार की बरसात चाहिए.
कट चुका है अब तो मेरा" बनवास" बहुत
मेरे बनवास को अब "अयोध्या का वास" चाहिए. !!
11 comments:
"मिलेगी तुम्हारे तरन्नुम को रास्ता बस एक
सत्य पुकार चाहिए…।"
भावना मे भींगा है एक-एक लफ्ज़ आदर्श कोलाहल व्यक्त हुआ है…।
धन्यवाद!!
सुन्दर कविता है ।
घुघुती बासूती
ghughutibasuti.blogspot.com
उत्तम भाव, बधाई.
सही कहा आपने दिव्याभ .कोई तो राहा मिल जाएगी ...शुक्रिया !!
शुक्रिया घुघुती बासूतीजी ...आपके आने और यहाँ इसको पढ़ने का ... :)
शुक्रिया समीर जी..आप इतने दिनों बाद यहाँ आए ..आपका आना बहुत ही सुखद लगा ...यूँ ही होसला देते रहे ...शुक्रिया !!
क्या कहूं इस जगत को बस तेरी आवाज़ चाहिये.. हवा को तेरा एह्सास चाहिये..्बहूत खूबसुउरत
bahut sundar
mazaa aa gaya
बअह्त ही अच्छा लिखा है। आपके शेयरों को बहुत पसंद किया जा रहा है।
यहां देखिये
http://chitthacharcha.blogspot.com/2007/02/blog-post_602.html
paaon ke chaale bhi
tang aa gaye hai
raaste ke kaaton ko bhi
nijhaat chahiye
devesh bas yun hi aap sab logo ka saath chahaiye ..bahur sahi likha hai aapne
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