Friday, February 16, 2007

मेरे ख्वाबो को परियों की कहानी कर दे ........


आज कुछ यूँ मेरी ज़िंदगी को ख़ुशनुमा कर दे
मैं बर्फ़ सी नदी हूँ इसे बहता पानी कर दे

मेरी आँखो ने देखे है कुछ हसीन से ख्वाब
आ मेरे ख्वाबो को परियों की कहानी कर दे

हर मोहब्बत का अंजाम हो "ताज़महल" यह ज़रूरी तो नही
तू अपने दिल के हर कोने को मेरा आशियाना कर दे..

भेजे हैं तूने जो महकते हुए से ख़त
उन्ही खतो के लफ़्ज़ो को अब मेरी ज़िंदगी की कहानी कर दे

फिर से दे-दे वही कुछ अपनी ज़िंदगी के फ़ुरसत के पल
मेरे दिल में फिर से वही प्रीत सुहानी भर दे

बीत ना जाए यह ज़िंदगी की शाम भी कही ख़ामोशी से
मेरे गीतो में अपनी सांसो की रवानी भर दे

आ फिर से मेरे ख्वाबो को परियों की कहानी कर दे
मैं बर्फ़ सी नदी हूँ मुझे बहता पानी कर दे !!

9 comments:

Monika (Manya) said...

तुम्हें पढ्कर लगता है अपनी ही कोई रच्ना पढ रही हुं.. कई बार कितनी साम्यता होती है..

"हर मोहब्बत का अंजाम हो "ताज़महल" यह ज़रूरी तो नही तू अपने दिल के हर कोने को मेरा आशियाना कर दे..
मैं बर्फ़ सी नदी हूँ इसे बहता पानी कर दे"
दिल को छू गई ये पंक्तियां..

Divine India said...

Hello Ranju,
तुम्हारी रचना एक संगीत है जो थके बदन को राहत देती है…कोई बात नहीं कि मोहब्बत का अंजाम ताजमहल नहीं हुआ तुम्हारी अपनी यह अभिव्यक्त कृति क्या कम उस शाहजहाँ की अभिव्यक्ति से शायद कोई दो सौ साल और बचे वह; पर जिस दिन तुम्हारा परम-श्रेष्ठ शब्दों की ईंटों का आसियाना बनेगा वह तुम्हारा प्रबोधन होगा जो कभी मिटेगा नहीं…बढ़ती रहो…यही सोचकर्…
Cute सी व्यंजना का शुक्रिया!!!

ABHISHEK KUMAR (QAASID) said...

wah.....

har lafz mein basi jo teri faryad hai sanam...
usey apney dil ki dhadkan banana chata hoon...
leykar tumhein apni bahon mein sanam...
teri har uneend ko sach ki siyahi mein doobona chahta hoon..

bahut sundar hai ji...

ABHISHEK KUMAR (QAASID) said...
This comment has been removed by the author.
रंजू भाटिया said...

मान्या ..
सही कहा मान्या ..सच में हम दोनो के विचारो में बहुत सामानता है ...शुक्रिया ..

दिव्याभ ...
शुक्रिया दिव्याभ ...बहुत बड़ी बात कह दी तुमने मेरे लिए ....अच्छा लगा पढ़ के ...शुक्रिया ..

शुक्रिया प्रियंकर ..यह प्यार के एहसास ही ज़िंदगी को जीने लायक बना देते हैं ...शुक्रिया आप यहाँ आए और इतने प्यार से पढ़ा ..

शुक्रिया अभिषेक ..बहुत ही प्यारे लफ़्ज़ो में अपनी बात को लिखा है अच्छा लगा पढ़ के ..

devesh said...

kitne masoom they
voh naani ke kisse

un parriyon se
phir milna chahta hoon

रंजू भाटिया said...

shukriya devesh .,..

Atul Chauhan said...

हर मोहब्बत का अंजाम हो "ताज़महल" यह ज़रूरी तो नही
तू अपने दिल के हर कोने को मेरा आशियाना कर दे..

वाह ताज!……………एक कप और। रंजना जी,इस परियों की कहानी की एक कडी और लिखें……………वाकई सुकून मिलेगा…………और दिल के तार फिर झन्झना जायेंगे।

Manish said...

:( :( :(

ab vo nahin rahin....