Tuesday, January 23, 2007

तेरी आवाज़

तेरी आवाज़ मेरे वीरानो को महका जाती है
झनकती है मेरे अंदर तक और मेरी रूह को छू जाती है

तेरी आवाज़ एक रोशनी की किरण है मेरे लिए
मेरी ज़िंदगी को यह रात रानी सा मेहका जाती है

जादुई बाँसुरी सी बजती तेरी यह आवाज़
मुझे जैसे सात सुरो सी सुनाई देती हैं

मेरा दिल डूब सा जाता है जैसे इसमें समूंद्र की गहराई सा
तेरी आवाज़ मेरे दिल में कई हसरते सी जगा देती है

प्यार की तरंगो में झूमने लगता है मेरा मन
तेरी आवाज़ शंख सी गूँजति हुई मेरे अंतरमन को हिला देती है

एक सकुन पा लेता है मेरा दिल जैसे
तेरी आवाज़ मुझे मेरे खुदा से मिला देती है !!!

6 comments:

Anonymous said...

"uski awaaz " par aapke likhne ka andaaz acha laga

Anonymous said...

jab ho teri aawaj ...
toh main bas virana chata hoon...
na ho kuch beech hamray...
ek sham terey sang tanha chata hoon..
sirf teri roshni mein dekhoon duniya...
sirf tujhey hin mahsoos karoon...
aur kuch hai nahi taman meri...
merey sukooney dil key liye...

Mohinder56 said...

TUM MERE PASS HOTE HO
JUB KOYEE DUSRA NAHI HOTA

MOHINDER

रंजू भाटिया said...

shukriya shwetabh....

रंजू भाटिया said...

shurkiya abishek ...bahut khubsuart likha hai aapne ...very nice words ....thanks

रंजू भाटिया said...

shurkiya mohinder ...