Wednesday, January 16, 2013

एतबार

यह दिल
कैसे करे कोई
किसी का एतबार
मौसम के रंग सा
कभी है झरता पतझड़ भीतर
तो कभी बच्चो सा पुलकित मन
बहार सा गुलजार
दिल में कूके यही सवाल बार बार
क्यूँ कभी सन्नाटे की फुहार
कभी शोर की गुहार
जीवन हुआ न आर पार
हर बीतता  लम्हा है बेकल
और हर पल करे जीना मुहाल !!

5 comments:

सदा said...

हर पल करे जीना मुहाल !!
बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने

प्रवीण पाण्डेय said...

सबसे अधिक तो यही परेशान करता है।

विभूति" said...

खुबसूरत अभिवयक्ति.....

Maheshwari kaneri said...

वाह.. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

दिगम्बर नासवा said...

सच है दिल तो है दिल ... दिल का एइत्बार क्या कीजे ...