कुछ गीत लिखने की कोशिश में
जो भी शब्द हमसे लिखा गया
वो किसका नाम था
जो बार बार यूं लिखा गया
मांगता रहा मेरा अक्स
उनसे एक पनाह प्यार की
वो सिर्फ दे कर तस्सली
पास से यूँ ही गुजर गया
बहुत चाह थी कि
छु ले चाँद की पलकों को
पर था वो ख्वाब
जो सुबह होते हो बिखर गया
चाहते थे उसकी गहरी नजरों में डूबना
वो सिर्फ एक लहर बन कर बिखर गया
अपनी हाथो की लक्रीरो में
हमने ना पाया था नाम उनका
फिर भी क्या था उस वजूद में
जो साथ न हो कर भी राह साथ चलता गया ###
जो भी शब्द हमसे लिखा गया
वो किसका नाम था
जो बार बार यूं लिखा गया
मांगता रहा मेरा अक्स
उनसे एक पनाह प्यार की
वो सिर्फ दे कर तस्सली
पास से यूँ ही गुजर गया
बहुत चाह थी कि
छु ले चाँद की पलकों को
पर था वो ख्वाब
जो सुबह होते हो बिखर गया
चाहते थे उसकी गहरी नजरों में डूबना
वो सिर्फ एक लहर बन कर बिखर गया
अपनी हाथो की लक्रीरो में
हमने ना पाया था नाम उनका
फिर भी क्या था उस वजूद में
जो साथ न हो कर भी राह साथ चलता गया ###
9 comments:
Bahut badhiya...
वाह बहुत खूब..नाम रह जायेगा।
अपनी हाथो की लक्रीरो में
हमने ना पाया था नाम उनका
फिर भी क्या था उस वजूद में
जो साथ न हो कर भी राह साथ चलता गया,,,,
recent post : बस्तर-बाला,,,
अपनी हाथो की लक्रीरो में
हमने ना पाया था नाम उनका
फिर भी क्या था उस वजूद में
जो साथ न हो कर भी राह साथ चलता गया,,,
सुंदर भाव अभिव्यक्ति,,,,
recent post : बस्तर-बाला,,,
छू ले चाँद की पलकों वाला बिंब तो सबसे सुंदर
behad khoobsurat.....
मन की बेचैनी ..... अनाम के प्रति मन के भाव ।
प्रेम का वजूद ऐसा ही होता है ... सपना बिखरने पे भी साथ रहता है ...
खूबसूरत पल ...
बहुत खूबसूरत .. !
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