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Saturday, July 23, 2016

सुनो ज़िन्दगी !!

सुनो ज़िन्दगी !!
तेरी आवाज़ तो ......
यूँ ही, कम पड़ती थी कानों में 
अब तेरे साए" भी दूर हो गए 
इनकी तलाश में 
बैठी हुई
एक बेनूर से
सपनों की किरचे
संभाले हुए ......
हूँ ,इस इंतजार में
अभी कोई पुकरेगा मुझे
और ले चलेगा
कायनात के पास .......
जहाँ गया है सूरज
समुंदर की लहरों पर हो कर सवार
"क्षितिज" से मिलने
और वहीँ शायद खिले हो
लफ्ज़, कुछ मेहरबानी के
जो गुदगुदा के दिल की धडकनों को
पूछेंगे मुझसे
कैसी हो बोलो ?
क्या पहले ही जैसी हो ?
‪#‎रंजूभाटिया‬

Wednesday, March 06, 2013

रिश्ते


कुछ रिश्ते
जो होते हैं
यूँ ही "बेमतलब "के
जब तोड़ते हैं वह दम
तो दिल उदास नहीं होता
निकलती हैं दिल से
बस एक सांस राहत की
और .........कह उठता है दिल
न जाने किस उम्मीद पर
क्यों बरसों तक
एक पागल जिद में
हम खामोश रह कर
जैसे मुर्दा जिस्म को
ज़िंदा मानने का ढोंग किये हुए थे ??# रंजू भाटिया

Friday, January 25, 2013

रंगोली

समय की आंधी में ,
मिट जाती है.....
लम्हों  की रेत पर
लिखी हुई कहानियाँ,
पर मिटने के डर से
कहाँ थम पाती है यादें
जो बिना किसी रंग के
दिल की गहराई में
रंगोली सी  खिलती रहती है !!

Wednesday, January 16, 2013

एतबार

यह दिल
कैसे करे कोई
किसी का एतबार
मौसम के रंग सा
कभी है झरता पतझड़ भीतर
तो कभी बच्चो सा पुलकित मन
बहार सा गुलजार
दिल में कूके यही सवाल बार बार
क्यूँ कभी सन्नाटे की फुहार
कभी शोर की गुहार
जीवन हुआ न आर पार
हर बीतता  लम्हा है बेकल
और हर पल करे जीना मुहाल !!

Wednesday, December 12, 2012

ख्वाइश एक छोटी सी

तुम्हे सुना देंगे
अपने दिल की हर बात यूँ ही
शायद कुछ दर्द
थम भी जायेगा
पर कैसे मिटा पायेंगे
इस  रूह के जख्म
:
:
बस एक छोटी सी ख्वाइश है .........
दिल चाहता है कि..

तेरा कन्धा मिले तो
जी भर के रो सकूँ मैं सिर्फ़ एक बार ....

Monday, December 10, 2012

एक टुकडा धूप का

कुछ भीगे से एहसास
एक टुकडा धूप का
चाहती हूँ मिल जाए
छुए मेरे अंतर्मन को
और जमते सर्द भावों को
गुदगुदा के जगा जाए
गुजरे रात हौले धीरे
वह एहसास जो जीने की चाहत दे जाए
डूबती साँसों के इन लम्हों में
अब तो यह धुंधलका छट    जाए
उदय हो अब तो वह सुबह
जो शून्य से धड़कन बन जाए
बस एक टुकडा नर्म धूप के एहसासों का
एक बार तो ज़िन्दगी में मेरी आए !

Monday, December 03, 2012

बेसूझ साया

किसी के प्यार की बाते
मुझे सोने नही देती
दिल के धड़कनो में गूँजती
उसकी आहटे सोने नही देती

बहक रहा है यह
किस बात से यह रात का आलम
फूलो सी महकती
उस बेसूझ साये की ख़ुश्बू
मुझे सपनो में खोने नही देती

सितारे भी चल दिए हैं
अब तो रात का आँचल छोड़ कर
सुबह की ओस में डूबी
दिल के धड़कनो में गूँजती
उसकी आहटे सोने नही देती
सुबह होने नही देती

छाया हुआ है वही
मेरे वजूद पर एक बेसुझ साए की तरह
उसकी यही परछाईयाँ
मुझे किसी और का होने नही देती !!