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Tuesday, July 05, 2022

अंधकार (लघु कथा)




“अंधकार” 





क्यों," बीबी जी" गुड़गांव हिसार से भी बहुत बड़ा शहर है ?सफाई करते हुए  बबली ने सीमा से पूछा

हां इस छोटे से हिसार से तो बहुत बड़ा  "सीमा ने कहा ,क्यों तुमने जाना है वहां ?

अच्छा ! कितना टाइम लगता है यहाँ से जाने में ?घर कितने बड़े हैं ?

तीन या चार घंटे...


"घर तो ठीक  ही हैं ,यहाँ हिसार  जितने घर से खुले आँगन नहीं वहां घूमने का दिल है  क्या तुम्हारा ?"

सीमा को लगा शहर की  चमक दमक इस जल्दी ब्याई गयी लड़की को अपनी तरफ खीच  रही है  उसने  कहा ,चल मेरे साथ वहां , घुमा दूंगी मेरा तो यहाँ आना जाना लगा रहता है। दिल न लगे तो आ जाना वापस मेरे साथ

अरे नहीं बीबी जी !!

वहां कहाँ जाउंगी

मैं तो बस इसलिए पूछ रही थी वहां काम करने के अच्छे पैसे मिलते होंगे और घर  भी छोटे  तो पैसे ज्यादा मिलने पर  मुझ जैसी काम करने वाली को उनके पति शराब पी कर मारते होंगे क्या ?

अवाक सीमा अपने खुले गले और बाजू पर पड़े नीले दागो को सहम  कर चुन्नी से ढकने में लग गयी. शाम का धुंधलका गहन  अन्धकार में तब्दील होने लगा था ...

#ranjubhatia