चाँद रात ..

मेरी नजरों....
की चमक....
तेरी नजरों ...
में बंद...
कोई चाँद सी रात है ..
उलझे हुए से धागे में
कोई जीने की सौगात है..
और
जब यह तेरी नजरें ...
ठहरतीं हैं.....
मेरे चेहरे पर ठिठक कर....
तब यह एहसास
और भी संजीदा हो जाता है
कि इस मुकद्दस प्यार का
बस यही लम्हा अच्छा है !!
*****************************************************
ऐ चाँद ...
यूँ बहलाओ न
दे के एक सदा
दूर से दे कर...
अच्छा लगता है अब
इस दिल को
यूँ उदास रहना
और ....
बहुत पास महसूस होती हैं
मुस्कराती ,महकती
तुम्हारी साँसे
जब तुम
हैरान हो कर
यूँ मुझे देखते हो ....
रंजना (रंजू ) भाटिया