ज़िंदगी में आगे बढ़ने के लिए,
मौसम नहीं मन चाहिए,
हर राह आसान हो जाएगी,
बस उसे करने का संकल्प चाहिए..
उम्र के साथ सीनियर सिटीजन जुड़ा हो और मन में घूमने की ललक हो तो फिर बात ही क्या है। इस बीते संडे को सीनियर सिटीजन ग्रुप के साथ "जॉय गांव पिकनिक स्पॉट" पर जाने का प्रोग्राम बना। जिसमे सब उमंग से भरे हुए थे ।
दस लोगों के ग्रुप में मेरी कॉलेज की फ्रेंड Kavita Nagi और उसके पतिदेव भी साथ थे। हम लोग पांच साल बाद मिल रहे थे तो वो खुशी बहुत ज्यादा थी। खूब एंजॉय किया। खूब बड़ा बना हुआ झज्जर रोड पर यह गांव बहुत ही अच्छा लगा। बच्चों की तरह खूब झूले झूले । 7 डी मूवी देखी। बहुत टाइम से इच्छा थी "जिपलाइन "करने की वो की। मतलब एक बार फिर से हम सब ने बचपन को जी लिया।कठपुतली तमाशा ,जादू के खेल ,मेंहदी ,गांव का खाना माहौल पानी भरना ,जो भी था सब खूब एंजॉय किया। सब लोगों का साथ बहुत ही प्यारा था। बाकी सब सदस्य पहली बार मिल रहे थे पर लगा ही नहीं कि अजनबी हैं।
कल के बीते दिन की खूबसूरत झलक नीचे दिए लिंक में देख सकते हैं।
घूमते हुए यही पंक्तियां घूम रही थी
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते
- बशीर बद्र
2 comments:
बहुत अच्छी प्रस्तुति
सुन्दर तस्वीरों के साथ बेहतरीन लेख ।
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