Wednesday, August 10, 2022

ख़्वाब

 ख्वाब क्यों .





ख़्वाब


https://youtube.com/shorts/erx0kjwwHxk?feature=share

क्यों बनाए

हमने ख्वाबों के

कुछ पुल

जिस पर उड़ रहे हैं हम

कागज की चिन्दियों की तरह

कुछ भी तो नही है शेष

अब मेरे तुम्हारे बीच

क्यों हमने

कल्पना के पंख लगा के

रिश्तों को एक नाम दे दिया

जिस पर

रुकना ,चलाना ,मिलना

फ़िर अलग होना

ही लिखा है ...

सिर्फ़ हवा है

जो बाँध ली है

बंद मुट्ठियों में

जिस में ...

सिर्फ़ तुम हो और तुम्हारा " मैं "

जो रचता रहता है गुलाबी सपने

और चन्द बेजुबान से गीत

जिस में सब कुछ है

तुम्हारा ही बुना हुआ

,पर जैसे जमी हुई नदी सा

रुका हुआ और ठहरा हुआ

कहीं नहीं पाती हूँ

खुद को इस में

बेबस सी हो जाती हूँ

क्यों बुनती हूँ वह ख्वाब

मैं अक्सर जिस में

खुद को इतनी तन्हा पाती हूँ ..(रंजू भाटिया ...)

No comments: