तुझसे जुदा हो कर भी
कहाँ तुझसे जुदा हो पाई हूँ
तेरी ही "सुबह " बन के
तेरे ही पहलू में सिमट के
लो आज फिर से "मैं"
तेरी ज़िंदगी में ,नयी उमंग लाई हूँ
बसी हूँ ,तेरे दिल की धड़कन में राग बन के
कभी तेरे ख़्यालो के रंगो में ढली हूँ
हूँ "मैं " ही तो संवाद तेरा अनकहा सा
तेरे गीतो में प्रतिबिंब बन के छाई हूँ
हूँ "मैं" ही अभिव्यक्ति तेरी
मैं ही तो तेरा आह्लाद हूँ
हूँ मैं ही तेरे सांसो का स्वर
मैं ही तो तेरे "जीवन का आधार हूँ"
बसी हूँ मैं ही "तेरी निश्चल हँसी में"
तेरे संग तेरी तन्हाई से खेली हूँ
कभी हूँ संग तेरे बन के सावन की घटा
कभी तेरे लिए एक अनबुझ सी पहेली हूँ
पहचान ले मुझे मेरे हमसफ़र अब तो
तेरी महकी सी बातो में, बहकी सी रातो में
संग तेरे बन के नशा कभी बन के महक
तेरे नाम से जुड़ी कोई "नार अलबेली"हूँ
#ranjubhatia
20 comments:
वाह 👌👌👌 ये अलबेलापन बना रहे ।
ये अहसास कि उसकी जिंदगी में खुद को सब कुछ समझना मन को तृप्त करने जैसा एहसास है ।
आपकी लिखी रचना सोमवार 4 जुलाई 2022 को
पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
सुंदर।
हूँ "मैं" ही अभिव्यक्ति तेरी
मैं ही तो तेरा आह्लाद हूँ
हूँ मैं ही तेरे सांसो का स्वर
मैं ही तो तेरे "जीवन का आधार हूँ"
वाह ! जीवन की पूर्णता प्रतिबिंबित करती सुन्दर रचना ।
बसी हूँ मैं ही "तेरी निश्चल हँसी में"
तेरे संग तेरी तन्हाई से खेली हूँ
कभी हूँ संग तेरे बन के सावन की घटा
कभी तेरे लिए एक अनबुझ सी पहेली हूँ... बहुत सुंदर कोमल भावों से सराहनीय सृजन।
सादर
जीवन को संपूर्णता प्रदान करती सुंदर सार्थक रचना ।
क्या सुंदर लिखा है आपने... बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
सादर।
अलबेली सी कंचनार सी नार के बिना नर का कोई अस्तित्व कहाँ।रोचक
धन्यवाद जी 🙏
धन्यवाद जी 🙏
धन्यवाद जी 🙏
बहुत बहुत शुक्रिया आपका
धन्यवाद जी 🙏
शुक्रिया आपका
शुक्रिया
सही कहा शुक्रिया
हूँ "मैं" ही अभिव्यक्ति तेरी
मैं ही तो तेरा आह्लाद हूँ
हूँ मैं ही तेरे सांसो का स्वर
मैं ही तो तेरे "जीवन का आधार हूँ"
वाह!!!!
बहुत ही सुन्दर सराहनीय सृजन।
शुक्रिया जी
ये अनकहा संवाद ही पूरी आत्मा तक लिप्त समर्पण हैं।
बहुत सुंदर सृजन।
जी सही शुक्रिया
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