Monday, June 06, 2022

प्यार एक मीठा एहसास

 प्यार बुनयादी तौर  लेना देना ही है --जिस हद तक तुम दे सकते हो और जिस हद तक मैं "ले सकती हूँ। सच ही तो तो है। प्रेम को परिभाषित करना मिर्जा ग़ालिब के शब्दों में,

 "इश्क़ - ऐ तबियत ने जीस्त का मजा पाया /दर्द की दवा पायी दर्द -ऐ -बे दवा पाया"

 भाव -- मैंने प्रेम के माध्यम से जीवन का परमानन्द पा लिया। एक दर्द का इलाज हो गया ,पर एक रोग लाइलाज लगा लिया। प्रेम के बारे में तो  जितना लिखा जाए उतना कम है पर पढ़ते पढ़ते कुछ विचार जरुर कविता में लिखे गए। 


सबकी अपनी परिभाषा जब आप प्यार मे   होते हैं तो  कुछ और   सोच नहीं पाते सिर्फ इस गुलाब की पंखुड़ी तोड़ते खेल के कि" वह मुझे प्यार करता या वह मुझे प्यार नहीं करता :) 


प्रेम

टूट कर बिखरने की

एक वह प्रक्रिया

जो सिर्फ चांदनी की रिमझिम में

मद्दम मद्धम सा

दिल के आँगन में

तारों की तरह टूटता रहता है!



#RanjuBhatia

4 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ये मद्धम मद्धम भी क्या शय है ।
आपको यहाँ देखना अच्छा लग रहा है । इस रास्ते को याद रखियेगा ।

रंजू भाटिया said...

जी बिल्कुल काफी दिनो से आजकल हो रहा था ,आज तय कर लिया तो पोस्ट कर दिया। पर उस से अधिक आपके दिए कॉमेंट्स ने मेरा हौंसला बढ़ा दिया है । तहे दिल से शुक्रिया।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-06-2022) को चर्चा मंच      "निम्बौरी अब आयीं है नीम पर"    (चर्चा अंक- 4455)     पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    
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नूपुरं noopuram said...

बहुत खूब !