अठारह की महिमा
भारतीय मनीषा से अठारह का संबंध बहुत आश्चर्यजनक है .. ..आईये आपको बतातें हैं कैसे ..हमारे पुराण अठारह है ,गीता के अध्याय भी अठारह......देवी भागवत और वामन पुराण आदि ग्रंथों में एक प्रसिद्ध श्लोक में बड़े ही सुंदर ढंग से सूत्रबद्ध शैली में पुराणों के नाम व संख्या का वर्णन है ..इस से भारतीय मनीषा की अध्यात्मिक व दार्शनिक मेघा की अभिव्यक्ति होती है | शतपथ ब्राह्मण में सृष्टि नमक अठारह इष्टिकाओं का प्रावधान है | ऋग्वेद में गायत्री और विराट छन्द की बहुलता है .गायत्री के आठ व विराट के दस अक्षर मिला कर अठारह की संख्या बनाते हैं ..
इसी तरह बारह मॉस ,पाँच ऋतुएँ व एक सवंत्सर मिल कर अठारह भेदों को प्रकट करतें है ..सांख्य दर्शन में दस इन्द्रियाँ ( पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ ,पाँच कामेंद्रियाँ ) ,पाँच महाभूत ,(पृथ्वी ,जल वायु ,अग्नि व् आकाश ) मन प्रकृति ,पुरूष मिल कर अठारह तत्वों को अभिव्यक्त करते हैं .श्रीमद भागवद के श्लोकों की संख्या अठारह हजार है और महाभारत के पर्वों की संख्या भी अठारह है ..
ब्रह्मांड के सब पदार्थ स्थान की दृष्टि से तीन लोकों पृथ्वी अन्तरिक्ष और पातळ से जुडें हैं और प्रत्येक पदार्थ की सत्ता ,उत्पति ,वृद्धि , पूर्णता ,हास तथा विनाश की छ अवस्थाएं हैं .....इन छ अवस्थाओं को तीन लोकों से नित्य संबंद्धता के कारण सृष्टि अठारह अवस्थाओं से आबद्ध है ...
कुरुक्षेत्र का युद्ध 18 सेनाओं के बीच ही लड़ा गया था.. रोम की प्राचीन परंपरा में 18 के अंक को खून के रिश्ते का द्योतक माना जाता है.. चीनी संस्कृति में अंक 18 को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और यही वजह है कि वहां किसी इमारत की 18वीं मंजिल के भाव काफी ऊंचे होते हैं.. यहूदी भाषा में जिंदगी के समानार्थी शब्द का अंक 18 है, इसीलिए वहां दान-पुण्य 18 के गुणकों में किया जाता है।
है न यह हैरानी वाली बात ...मजेदार आंकड़े ..अठारह का होने पर ही माना जाता है समझदार ...:) और तारीख भी है आज अठारह .....:)शुभ दिन ........
रंजू .....
भारतीय मनीषा से अठारह का संबंध बहुत आश्चर्यजनक है .. ..आईये आपको बतातें हैं कैसे ..हमारे पुराण अठारह है ,गीता के अध्याय भी अठारह......देवी भागवत और वामन पुराण आदि ग्रंथों में एक प्रसिद्ध श्लोक में बड़े ही सुंदर ढंग से सूत्रबद्ध शैली में पुराणों के नाम व संख्या का वर्णन है ..इस से भारतीय मनीषा की अध्यात्मिक व दार्शनिक मेघा की अभिव्यक्ति होती है | शतपथ ब्राह्मण में सृष्टि नमक अठारह इष्टिकाओं का प्रावधान है | ऋग्वेद में गायत्री और विराट छन्द की बहुलता है .गायत्री के आठ व विराट के दस अक्षर मिला कर अठारह की संख्या बनाते हैं ..
इसी तरह बारह मॉस ,पाँच ऋतुएँ व एक सवंत्सर मिल कर अठारह भेदों को प्रकट करतें है ..सांख्य दर्शन में दस इन्द्रियाँ ( पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ ,पाँच कामेंद्रियाँ ) ,पाँच महाभूत ,(पृथ्वी ,जल वायु ,अग्नि व् आकाश ) मन प्रकृति ,पुरूष मिल कर अठारह तत्वों को अभिव्यक्त करते हैं .श्रीमद भागवद के श्लोकों की संख्या अठारह हजार है और महाभारत के पर्वों की संख्या भी अठारह है ..
ब्रह्मांड के सब पदार्थ स्थान की दृष्टि से तीन लोकों पृथ्वी अन्तरिक्ष और पातळ से जुडें हैं और प्रत्येक पदार्थ की सत्ता ,उत्पति ,वृद्धि , पूर्णता ,हास तथा विनाश की छ अवस्थाएं हैं .....इन छ अवस्थाओं को तीन लोकों से नित्य संबंद्धता के कारण सृष्टि अठारह अवस्थाओं से आबद्ध है ...
कुरुक्षेत्र का युद्ध 18 सेनाओं के बीच ही लड़ा गया था.. रोम की प्राचीन परंपरा में 18 के अंक को खून के रिश्ते का द्योतक माना जाता है.. चीनी संस्कृति में अंक 18 को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और यही वजह है कि वहां किसी इमारत की 18वीं मंजिल के भाव काफी ऊंचे होते हैं.. यहूदी भाषा में जिंदगी के समानार्थी शब्द का अंक 18 है, इसीलिए वहां दान-पुण्य 18 के गुणकों में किया जाता है।
है न यह हैरानी वाली बात ...मजेदार आंकड़े ..अठारह का होने पर ही माना जाता है समझदार ...:) और तारीख भी है आज अठारह .....:)शुभ दिन ........
रंजू .....
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