कमाल की धुआं धुआं कविता है रंजू...
आँखों में उतरे सावन सेएक घटा बरस जाएऔर सुलगे हुए लम्हों कोकहीं ठंडक मिल पाए वाह बहुत ही बढिया।
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कमाल की धुआं धुआं कविता है रंजू...
कमाल की धुआं धुआं कविता है रंजू...
आँखों में उतरे सावन से
एक घटा बरस जाए
और सुलगे हुए लम्हों को
कहीं ठंडक मिल पाए
वाह बहुत ही बढिया।
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