देखा है
बारिश में पनप जाते हैं पौधे बिना जड़ के भी रोप दूँ अपने "दिल के आँगन की क्यारी " मे..
बढ़ता रहे फिर वह
दोनों के स्नेह की खाद और हवा से
इसी उम्मीद में
कि एक दिन महक उठेगा यह भी
खिलती बगिया सा दिल में .............
अभी कुछ यूँ ही बेतुका सा ख्याल बाहर आँगन में पौधो को देखते हुए ...:) # रंजू भाटिया
4 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मटर और पनीर - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहुत प्यारा खयाल। रिश्ते का पौधा लहलहाये, महके, चहके।
खूबसूरत रिश्ते यूँ ही खूबसूरत बने रहें
बहुत सुंदर
Post a Comment