Sunday, March 22, 2015

दिलचस्प कहानी -जिंदगी के दर्द की

मीना कुमारी में एक सबसे अच्छी बात यह थी कि वह बहुत अच्छी इंसान थी तो सबसे बुरी बात यह थी कि वह बहुत जल्दी सब पर यकीन कर लेतीं  थी  और वही इंसान उन्हें धोखा दे के चला जाता था ..गुलजार जी ने मीना जी की भावनाओं की पूरी इज्जत की उन्होंने उनकी नज्म ,गजल ,कविता और शेर को एक किताब का रूप दिया जिस में उन्होंने  लिखा है

शहतूत की डाल पर बैठी मीना
बुनती रेशम के धागे
लम्हा लम्हा खोल रही है
पत्ता पत्ता बीन रही है
एक एक साँस बजा कर सुनती है सोदायन
अपने तन पर लिपटती जाती है
अपने ही धागों की कैदी
रेशम की यह कैदी शायद एक दिन अपन ही धागों में घुट कर मर जायेगी !
इसको सुन कर मीना जी का दर्द आंखो से छलक उठा उनकी गहरी हँसी ने उनकी हकीकत बयान कर दी  और कहा जानते हो न वह धागे क्या हैं ? उन्हें  प्यार कहते हैं मुझे तो प्यार से प्यार है ..प्यार के एहसास से प्यार है ..प्यार के नाम से प्यार है इतना प्यार कोई अपने तन पर लिपटा सके तो और क्या चाहिए...

मीना जी की आदत थी रोज़ हर वक्त जब भी खाली होती डायरी लिखने की ..वह छोटी छोटी सी पाकेट डायरी अपने पर्स में रखती थी ,गुलजार जी ने एक बार पूछा उनसे कि यह हर वक्त क्या लिखती रहती हो ..तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं कोई अपनी आत्मकथा तो लिख नही रही हूँ बस कोई लम्हा दिल को छु जाता है तो उसको इस में लिख लेती हूँ कोई बात जहन  में आ जाती है तो उसको इस में कह देती हूँ बाद में सोच के लिखा तो उस में बनावट  आ जायेगी जो जैसा महसूस किया है उसको उसी वक्त लिखना ज्यादा अच्छा लगता  है  मुझे ...और वही डायरियाँ नज़मे ,गजले वह विरासत में अपनी वसीयत में गुलजार को दे गई जिस में से उनकी  गजले किताब के रूप में आ चुकी हैऔर अभी डायरी आना बाकी है गुलजार जी कहते हैं पता नही उसने मुझे ही क्यों चुना इस के लिए वह कहती थी कि  जो सेल्फ एक्सप्रेशन अभिव्यक्ति हर लिखने  वाला राइटर शायर या कोई कलाकार   तलाश करता है वह तलाश उन्हें  भी थी शायद वह कहती थी कि जो में यह सब एक्टिंग करती हूँ वह ख्याल किसी और का है स्क्रिप्ट किसी और कि और डायरेक्शन  किसी और कहा  कि इस में मेरा अपना जन्म हुआ कुछ भी  नही मेरा जन्म वही है जो इन डायरी में लिखा  हुआ है ...
किंतु उन में अपनी जिंदगी जीने का एक अनूठा साहस था ,अभिनय के समय वह अपने दर्द पर काबू पा लिया करती थी और हर मिलने वाले से बहुत मुस्करा के मिला करती थी ..इसी दर्द को सहने की शक्ति ने उनसे कहलवाया था ..

हँस हँस के जवां दिल के हम क्यों न चुने टुकडे
हर शख्स की किस्मत में इनाम नही होता ...
सही में कई की किस्मत में दर्द के सिवा कुछ नही होता ..
मीना कुमारी के बारे में  कमाल अमरोही बताते हैं कि बासी रोटी बहुत पसंद थी जब एक दिन नौकर रात को रखना भूल गया तो उन्होंने बच्चो की तरह रोना शुरू कर दिया  वह कहते हैं  कि वह कान की  बहुत कच्ची थी वह लोगों के बहकावे में बहुत आसानी से आ जाती थी ..जब वह बच्ची थी तो बताती है कि उन्हें भी और बच्चों कि तरह कहानी सुनने में  बहुत मज़ा आता था वह सब बहने मिल कर अम्मा या दादी को कहानी सुनाने के लिए मनाया करती थी ...और कई तरह की कहानी सुना करती थी .परियों की राजा की दूर देश की ..हर किस्म के किस्से और कहानियाँ बहुत मज़ा आता था तब ..अब तो हँसे हुए भी ज़माना हो गया वह यह बात कह के चुप हो गई थी ..

एक बार उनसे किसी ने पूछा कि उन्हें क्या पसंद है तो उन्होंने हँस के कहा कि मुझे मौत पसंद है ...क्यों?पूछने वाले ने हैरानी से पूछा तो उन्होंने कहा इसका जवाब तो शायद किसी किताब में न मिले यह अपनी निंजी पसंद है..मैं इस शब्द में एक शान्ति अमन और आराम महसूस करती हूँ जिसकी  चुप्पी हर बीतते लम्हे में एक दिलचस्प कहानी सुनाया करती है ..मुझे भीड़ अच्छी नही लगती ..मुझे लड़ाई झगडा अच्छा नही लगता बस अपने में रहना अच्छा लगता है ..तब अपने ही दिल की कहानी होती है और उस कहानी को सिर्फ़ आप ही सुन सकते  हैं ..शोर शराबे और झगडों में में बेहद खालीपन है ,एक शायर ने बिल्कुल ठीक कहा है ..

मौत ..तूफ़ान की  एक उभरती लहर

ज़िंदगी ...एक हवा का झन्नाटा
अश्क ....वीरान कहकशां का शहर
कहकहा ...एक उदास सन्नाटा

3 comments:

Jyoti Dehliwal said...

सुन्दर प्रस्तुति...

दिगम्बर नासवा said...

मीना जी के दिल के जज्बात इनकी शायरी के बाद आपकी लेखनी ने हूबहू उतारे हैं ... खूबसूरत पोस्ट ...

सु-मन (Suman Kapoor) said...

मीना जी बहुत सुंदर लिखती थी