Wednesday, January 07, 2015

एक नही मिलता ज़ो प्यार से मेरा नाम पुकारे

नाम भी कैसे हम चीजों को दे देते हैं न ..कई बार दिमाग में आता है कि आलू , का नाम यदि आलू न होता तो क्या होता? और यदि यह नाम है तो कैसे किसने क्या सोच कर रखा ? आलू प्याज का तो पता नही कि यह नाम कैसे किसने रखे .पर" टेडी " एक खिलौना  बच्चो को क्या, मुझे भी बहुत पसंद है :) उसका नाम कैसे टेडी कैसे पड़ा यह रोचक जानकारी मैंने एक जगह पढ़ी .. इसके  खिलोने के नाम के पीछे बहुत ही रोचक कहानी है ..बात सन १९०२ की है इस से पहले आज सबको भाने वाला यह खिलौना  टेडी बियर नही था जिस टेडी बियर को हम देख के इतना खुश होते हैं यह अमरीका के एक राष्ट्रपति  का उपनाम है जिनका नाम था "थियोडोर रूसवेल्ट "उन्ही का निक नेम" टेडी "था .एक बार इन्हे जंगली जानवरों की रक्षा के लिए देश से अपील करनी थी शिकार के शौकीन लोग शेर ,बाघ भालू आदि का शिकार किया करते थे.... इस से अमेरिका की सरकार तंग आ चुकी थी ,मगर पता नही किसी कार्टूनिस्ट को इस में सरकार की  दोहरी नीति दिखायी दी उसने १९०२ में एक कार्टून बनाया जिस में  राष्ट्रपति रूजवेल्ट हाथ में बन्दूक थामे खड़े हैं और उनके पीछे दो  खूबसूरत  भालू बने थे और नीचे भालू    को न मारने की अपील की गई थी
..इस कार्टून की पूरे देश भर में खूब चर्चा हुई और इसके यूँ चर्चा का विषय बनने पर एक दुकानदार ने ग्राहकों  का ध्यान अपनी दुकान की ओर  आकर्षित करने के लिए इस कार्टून से भालू को ध्यान में रख कर इसकी एक खिलौना आकृति बनायी और सरकार से इसको "टेडी" पुकारे जाने की इजाजत   मांगी राष्ट्रपति के इस उपनाम को इस भालू के लिए "टेडी "नाम मिल गया और यह तभी से "टेडी बियर" के नाम से मशहूर हो कर बिकने लगा ..


नाम की महिमा बहुत है ..नाम ही किसी की पहचान बनाते हैं या उसके होने के अस्तित्व की पहचान है ..पर यदि नाम ही किसी का गुम जाए तो ....एक बार इसी  दर्द पर कुछ पंक्तियाँ लिखी गई थी ...


तन तो  थक कर  चैन मेरा पा  गया
पर मन  क़ी थकन  अब कौन उतारे
खड़ी  हूँ मैं भीड़ में तन्हा ऐसे 
जैसे कोई किश्ती हो साहिल  किनारे

एक शोर सा दिल में जाने कैसा है  यह
एक आग दिल में कोई जैसे तूफ़ान उठा ले
अन्जाना अंधकार है  मेरे चारो तरफ़
करता है दूर सितारो से भरा गगन कैसे इशारे

बिखरें   हैं चारों  तरफ़ धूल भरे यह रास्ते
मेरी मंजिल  है कहाँ, कौन सा रास्ता  अब पुकारे
मिलने को मिलता है यहाँ  सारा जहान हमको
एक नही मिलता ज़ो प्यार से मेरा नाम पुकारे !! .....:) रंजू भाटिया :):)

2 comments:

रचना त्रिपाठी said...

बहुत खूब!

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब ... शब्द जैसे कोई जाल ... बाँध के रख ले ...