गहरे नीले
सफेद आसमान
को चूमती यह मीनारें
और पास में
ओढ़ कर उसके
पहलू में सिमटे हुए यह
हरियाले रुपहले निशान
वाजिब है समां
और मौजूद हैं
इश्क होने के
सब सबब
कोई बेदिल ही होगा
जो इस से इश्क नहीं
कर पायेगा .....(लखनऊ बड़ा इमामबाडा को दिल में बसाते हुए कुछ ख्याल यूँ आये ):)
इस इमामबाड़े का निर्माण आसफउद्दौला ने 1784 में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत करवाया था। यह विशाल गुम्बदनुमा हॉल 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। इस इमामबाड़े में एक अस़फी मस्जिद भी है जहां गैर मुस्लिम लोगों के प्रवेश की अनुमति नहीं है। मस्जिद परिसर के आंगन में दो ऊंची मीनारें हैं। इसको दिन में बनवाया जाता गरीब लोगों के द्वारा और रात में तुड़वा दिया जाता अमीर लोगों के द्वारा ऐसा उस वक़्त अकाल से पभावित लोगों की सहायता के लिए किया गया था ..वहां बताये गए गाइड के अनुसार :)
सफेद आसमान
को चूमती यह मीनारें
और पास में
ओढ़ कर उसके
पहलू में सिमटे हुए यह
हरियाले रुपहले निशान
वाजिब है समां
और मौजूद हैं
इश्क होने के
सब सबब
कोई बेदिल ही होगा
जो इस से इश्क नहीं
कर पायेगा .....(लखनऊ बड़ा इमामबाडा को दिल में बसाते हुए कुछ ख्याल यूँ आये ):)
इस इमामबाड़े का निर्माण आसफउद्दौला ने 1784 में अकाल राहत परियोजना के अन्तर्गत करवाया था। यह विशाल गुम्बदनुमा हॉल 50 मीटर लंबा और 15 मीटर ऊंचा है। इस इमामबाड़े में एक अस़फी मस्जिद भी है जहां गैर मुस्लिम लोगों के प्रवेश की अनुमति नहीं है। मस्जिद परिसर के आंगन में दो ऊंची मीनारें हैं। इसको दिन में बनवाया जाता गरीब लोगों के द्वारा और रात में तुड़वा दिया जाता अमीर लोगों के द्वारा ऐसा उस वक़्त अकाल से पभावित लोगों की सहायता के लिए किया गया था ..वहां बताये गए गाइड के अनुसार :)