Wednesday, December 17, 2014

कुछ सवाल???


बहुत सोचता है मेरा दिल तुम्हारे लिए
बहुत सी बाते कह कर भी कुछ अनकहा सा रह जाता है
मेरे दिल में तुम्हारे लिए एक प्यार का सागर लहरता है
फिर भी ना जाने यह दिल अनचाहा सा सवाल क्यूं कर जाता है


पूछता है दिल मेरा अक्सर ......
क्या मेरे प्यार का गहरा सागर प्यास बुझा सकता है तुम्हारी???
मेरा प्यार तुम्हारे आँगन में बाँध कर क्या गीत ख़ुशी के गा सकता है???
छाया रहता है तुम्हारे जहन पर भी मेरे प्यार का गहरा क़ाला बदल...........
पर क्या यह मुझ पर बरस सकता है ???
क्या यह मुझको भीगो सकता है ???

अक्सर बेबस से कर जाते हैं यह सवाल मुझको..
दिल में एक अनजानी सी चुभन दे जाते हैं मुझको......


फिर ना जाने क्या सोच कर........
यह दिल खिल सा जाता है
जब कभी तुम्हारी दिल की लहरो से उठता प्यार ......
मेरे दिल की लहरो से टकरा जाता है
तुम्हारा बस यही एक पल का प्यार ..........
जैसे मेरी दुनिया ही बदल जाता है
और मेरे सारे सवालो को ......
जैसे एक नयी राहा दिखा जाता है !!


22 comments:

उन्मुक्त said...

कविता अच्छी है। चित्र बहुत सुन्दर।

योगेश समदर्शी said...

सवाल के बहाने इजहार कर रहा है
वह न जाने कैसे प्यार कर रहा है

वह दरअसल कह कुछ रहा है
कुछ और बयान कर रहा है

कुछ भी कहो,
शब्द कहो या कह दो कि भावना है
मेरा सोचना है कि वह बस
अपने प्यार का इजहार कर रहा है.

बहुत अच्छी कविता है जनाब

डाॅ रामजी गिरि said...

Ranju ji!
unmukt pyar se jyada sukoon bandhan se sane pyar me hai.gulab apne tahni se mukt ho kar murjha jata hai...sagar ko lagta hai ki woh nirbadh hai, par aasman se dekhiye to sahi, sagar bhi jameen ki hadon se bandha hai....par sawal uthate rehna chahiye dil me.. zindadil hone ki yehi nisani hai.--Dr. R Giri

dpkraj said...

कविता वह विधा है जिसमें हम अपना दृदय बाहर निकाल उसे देख पाते है
Deepak bhaaradeep

Sanjeet Tripathi said...

बधाई इस सुंदर रचना के लिए

Probhat said...

bahut achha he........badhai ho aapko

Gajender said...

aap bahut acchha likhtien hein aap.
Keep it up

Tiwari Ji Ki Kalam se said...

Mind Blowing

Udan Tashtari said...

और मेरे सवालों को जैसे
नई राह दिखा जाता है......


--बहुत खूब. भाव पूरी तरह उभर कर आये हैं. चित्र भी बड़ा सुन्दर चुना है, बधाई. लिखते रहें.

दीपक भारतदीप said...

मैं आपकी भाषा का कायल हूँ-शब्द्लेख सारथी

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर कविता ! रंजू जी, ये सवाल भी आवश्यक हैं ।
घुघूती बासूती

Monika (Manya) said...

अच्छी कविता है.. भाव भी अच्छे हैं..पर कहीं लय टूटी है..

Jagdish Jindal said...

It was really nice.... Shayari ke baare mein jyada to nahi pata.... Par parhna achha laga..

Divine India said...

Amazinag!!!
शाश्वत प्रेम को जिस आग्रह पूर्ण बंधन में बांधा बस मजा आ गया…।

Mohinder56 said...

कुँए से नदी ने कहा देखो मैँ कितनी चँचल हूँ शोख हूँ बहती रहती हूँ कितनी विशाल हूँ और तुम एक जगह रहते हो न बहते हो न कुछ कहते हो.....कुँए ने जबाब दिया... तुम प्यासे लोगोँ तक चल कर खुद जाती हो और प्यासे लोग चल कर खुद मेरे पास आते हैँ...
बन्धन और भटकाव मेँ यही अन्तर है.

परमजीत सिहँ बाली said...

रंजू जी,बहुत सुन्दर रचना है। अपने ही प्रेम को जानने कि जिज्ञासा से ओत-प्रोत एक भाव पूर्ण रचना है।

mamta said...

बहुत सुन्दर कविता है ।

रंजू भाटिया said...

शुक्रिया आप सबका तहे दिल से ..यह सवाल ज़िंदगी में कई बार अपने अंदाज़ से आते हैं ...आप सबने इन के अर्थो को समझा अच्छा लगा ...
योगेश आपकी पंक्तियाँ सही बात बयान कर रही

डॉक्टर गिरी सही कहा यह सवाल भी ज़िंदगी में ज़रूरी है .

मोहिंदेर जी बहुत गहरी बात कह दी आपने

शुक्रिया..उन्मुक्त ,दीपक ..संजीत ..प्रभात गज़ेंद्र ....अनिल... घुघूती बासूती... समीर शब्द सारथी ..मान्या... दिव्याभ... ममता ..जगदीश...परमजीत जी..

Unknown said...

hi i m zuby plzz give me a best sms 4 my gf birthday

Tapashwani Kumar Anand said...

bahut sundar rachana hai..
lekin barish ki bunde na jane kab
shitalt prdan karengi..
bahut bahut badhai ho sundar rachna ke liye.

Mukesh Garg said...

very nice

मुकेश कुमार सिन्हा said...

बेहतरीन