Sunday, December 07, 2014

हम कितने सभ्य हो गये हैं

हम कितने सभ्य हो गये हैं ..आज हमे आज़ाद हुए कितने बरस बीत गये हैं और हमारे सभ्यता के कारनामो से तो आज के पेपर भरे रहते हैं नमूना देखिए बस में बाज़ार में किसी की जेब कट गयी है मामूली बात पर कहसुनी हो गयी .सड़क दुर्घटना का कोई शिकार हो गया जिसे तुरंत हस्पिटल पहूचाना है पर हम लोग देखा अनदेखा कर के निकल जाते हैं .क्या करे कैसे करें दफ़्तर के लिए देर हो रही है ..कौन पुलिसे के चक्कर में पड़े आदि आदि ..यही सोचते हुए हम वहाँ से आँख चुरा के भाग जाते हैं ..सच में कितने सभ्य हो गये हैं ना


हमारा जीवन दर्शन बदल चुका है वह भी उस देश में जहाँ पड़ोसी की इज़्ज़त हमारी इज़्ज़त गावं की बेटी अपनी बेटी .अतिथि देवा भावा ,सदा जीवन उच्च विचार .रूखा सूखा चाहे जो भी खाओ मिल बाँट के खाओ ...........जैसे वाक़या हमारे जीवन दर्शन के अंग रहे हैं ॥आज आपके पड़ोसी के साथ कुछ भी हो जाए पर आपको पता ही नही चलता है ..सबको अपनी अपनी पड़ी है यहाँ आज कल ..कोई किसी मुसीबत में पड़ना ही नही चाहता है छाए उस वयक्ति को अपने जीवन से हाथ धोने पड़े ..पर हम तो सभ्य लोग हैं क्यूं सोचे किसी के बारे में ..??? काश की हम अपनी जीवन के पुराने दर्शन को फिर से वापस ला पाते और सच में सभ्य कहलाते ..अभी भी वक़्त नही बीता है यदि समाज़ के कुछ लोग भी अपने साथ रहने वालो के बारे सोचे तो शायद बाक़ी बचे लोगो की विचारधारा यह देख के कुछ तो बदलेगी ॥सिर्फ़ ज़रूरत है कुछ साहसी लोगो के आने की आगे बढ़ के पहल करने की ..अपनी सोई आत्मा को जगाने की ..तब यह वक़्त बदलेगा तब हम सचमुच में ही सभ्य कहलाएँगे !!

15 comments:

RC Mishra said...

पूरा है विश्वास हम होंगे 'सभ्य' एक दिन!

Udan Tashtari said...

उत्तम विचार!! यह स्वपन साकार हो, इस हेतु शुभकामनाऐं।

Mohinder56 said...

Sunder Likha hae aap ne,

Janam Din ki bahut bahut badhayee ho aap ko

दीपक भारतदीप said...

ranjanjee
maine aapka blog dekhaa. bhut achchcaa lagaa.
aapkie prtikriya bhee maine apne blogpar dekhi. aap isee trh sampark banaye rkhen.
deepak
http://rajlekh.worpdrss.com
http://rajdpk.blogspot.com

Divine India said...

हमने यही सभ्यता औरों को कभी सिखलाया था
आज हम ही बांझ हो चुके हैं...लेख का प्रयास
अच्छा लगा..।

रंजू भाटिया said...

shukriya rc mishra ji [:)]

shukriya samir ji [:)]

shukriya mohinder ji [:)]

रंजू भाटिया said...

shukriya deepak ji ...aap yahan aaye aur isko pasnad kiya !!

रंजू भाटिया said...

shukriya divyabh ...bahut dino baad tumhra yahana aana bahut sukhad laga ....shukriya tahe dil se [:)]

Joshi Rajesh said...

halo mam!!
bas yahi kami thi ab tak....
this kind of platform i wanted ...
thats gr8......
or lekh ke baare main to kuch likhna hi bekaar hai...... they r superb......
bas dua hai ki aap or lok priya ho... aapki kalam ke charche door door tak jaaen,or aage bade aap....
god bless.....
ur fan...........rajesh!!!

Anonymous said...

DIL CHAHATA HAI ARMANON KE ANDHI
UDA LE JAYE
CHADM SABHYATA KE YE MAHAL
JO LAGTE HAI
ATTIT KE KAL-KOTHARIYON SE BHAYAVAH
JAHAN KUCH MANUSHYA KAID RAHTE THE
AUR ATMA AZAD HO JATI THE
YAHAN SAIKDON DIL KAID HAI
AUR ATMA JAKDI HUEE
ROTI BILKAHTI HAI
BAAR BAAR APNA SAR
TAKRATI HAI RIWAJON KE
MOTI JANJEERON SE
BANDHE HATHON PAR
AUR RISTA HAI
BHAVNAON KA KHOON
HOTI HAI DHARTI LAL
FIR BHI SAMAJ DEKHNA CHAHATA HAI
INDRADHANUSH,
BINA KOI AUR RANG DALE,

Kailash Sharma said...

आज इंसानियत और सभ्यता जैसी चीज विशेषकर महानगरों में बहुत तेजी से गुम होती जा रही है..बहुत सार्थक आलेख...

दिगम्बर नासवा said...

काश की ये बात जल्दी से जल्दी हो सके ...
ये सपना साकार हो सके ...

Unknown said...

प्रिय दोस्त मझे यह Article बहुत अच्छा लगा। आज बहुत से लोग कई प्रकार के रोगों से ग्रस्त है और वे ज्ञान के अभाव में अपने बहुत सारे धन को बरबाद कर देते हैं। उन लोगों को यदि स्वास्थ्य की जानकारियां ठीक प्रकार से मिल जाए तो वे लोग बरवाद होने से बच जायेंगे तथा स्वास्थ भी रहेंगे। मैं ऐसे लोगों को स्वास्थ्य की जानकारियां फ्री में www.Jkhealthworld.com के माध्यम से प्रदान करता हूं। मैं एक Social Worker हूं और जनकल्याण की भावना से यह कार्य कर रहा हूं। आप मेरे इस कार्य में मदद करें ताकि अधिक से अधिक लोगों तक ये जानकारियां आसानी से पहुच सकें और वे अपने इलाज स्वयं कर सकें। यदि आपको मेरा यह सुझाव पसंद आया तो इस लिंक को अपने Blog या Website पर जगह दें। धन्यवाद!
Health Care in Hindi

Smart Indian said...

आत्ममोह और स्वार्थ हमेशा के इंसानी दुर्गुण हैं। जिस समाज में न्याय और व्यवस्था की कमी के कारण स्वार्थ आगे बढ़ता दिखाता है वहीं सभी कमजोर लोग स्वार्थी बनाने लगते हैं क्योंकि परमार्थी बनना केवल बड़े दिल वालों के बस की बात रह पाता है।

ashokjairath's diary said...

जी अच्छा है ...