Sunday, August 03, 2014

सौगात

तेरे लिखे लफ़्ज़ों से
बना आज गीत कुछ ऐसे
जैसे सदियों की  जमी झील को
हर्फों के आंसू की  गर्माहट मिल जाये

हुई कुछ ,हलचल ऐसे
जैसे सर्द संवेदनाओं के 
अखारों से दर्द रिस जाए
पलट गए हो कुछ दर्द पुराने
और खामोशी के जख्मों से
शब्दों के टाँके टूट जाए
डूब रही हो साँसे लम्हा दर लम्हा
और ज़िन्दगी की चंद सौगात मिल जाए
वरना .....
किसको फुर्सत है अब दोस्त ..
जो इस आँखों में जमी इस झील को
अपने लफ़्ज़ों से यूँ दे कर हिलोरे
और फिर उन्हें एक घूंट में पी जाए ...!!

5 comments:

दिगम्बर नासवा said...

बहुर गहरा एहसास लिए ... भावनाओं का समंदर समेटे रचना ...

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत खूब

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत खूब

Anju (Anu) Chaudhary said...

बहुत खूब

Anonymous said...

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