Wednesday, April 30, 2014

तेरे प्यार को तब मैं सच मानूं


हर पल मुझको तुम दिल से पुकारो
मेरी यादो के गहनो से ख़ुद को संवारो
साथ हर सुख-दुख में तेरा हो तो जानूँ....
तेरे प्यार को तब मैं सच मानूं


ग़म के अंधेरो का पहरा है मुझ पर
तन्हाईयों का असर गहरा है मुझ पर
मेरे साथ तुम ख़ुद को बहा लो तो जानूँ
तन्हाईयो के लम्हो को चुरा लो तो जानूँ

तेरे प्यार को तब मैं सच मानूं .......

अपनी वीरान रातो में क़रीब पाते हो मुझको
महफ़िल में तुम अपनी हबीब बनाते हो मुझको
मेरे जश्न-ए-बर्बादी में याद करो तो मानूं
तेरी दिल की बात को तब जा कर में पहचानू

तेरे प्यार को तब मैं सच मानूं .......


सोचना तुम्हारा गुलाब सा मुझको,
मेरी ख़ूबसूरती का जवाब था मुझको
पर काँटो की चुभन है जुदाई तुम्हारी
अब मुझको गले लगा लो तो जानूँ

तेरे प्यार को तब मैं सच मानूं......

दूर रह कर भी तेरे पास रहने का अहसास रहे
मेरा ज़िक्र तेरे ज़हन में, जिगर में ख़ास रहे
मेरे वजूद को इस कदर ख़ुद में समा लो तो जानू
मेरे जज़्बो को,ग़ज़लों के अल्फ़ाज़ो में सज़ा लो तो जानूँ

तेरे प्यार को तब मैं सच मानूं .....

ना हो कोई भी मेरे सिवा प्यारा ज़िंदगी में तेरी
बस मेरी आरज़ू, मेरी मोहब्बत हो त्रिशंगी में तेरी
इन उम्मीदों को मेरी तुम अपनी वफ़ा दो तो जानूँ
कुछ वादे मोहब्बत के हँस के निभा लो तो जानूँ
तब तेरे प्यार को मैं सच मानूं..............................

29 comments:

Udan Tashtari said...

ना हो कोई भी मेरे सिवा प्यारा ज़िंदगी में तेरी
बस मेरी आरज़ू, मेरी मोहब्बत हो त्रिशंगी में तेरी


--सुंदर रचना है, बधाई!!

Divine India said...

एक बार पुन: व्यापक प्रेमालिंगन का ऐहसास…बहुत अच्छी लाईने और भावपात भी ऐसा की बार-बार
पढ़ने को हृदय आतुर हो…।

Soliloquy said...

Beautiful, touching and full-of-Dard.

Another great Kavita....

Sanjeet Tripathi said...

"दूर रह कर भी तेरे पास रहने का अहसास रहे
मेरा ज़िक्र तेरे ज़हन में, जिगर में ख़ास रहे
मेरे वजूद को इस कदर ख़ुद में समा लो तो जानू
मेरे जज़्बो को,ग़ज़लों के अल्फ़ाज़ो में सज़ा लो तो जानूँ"

एक नारी अपने प्रेमी से इसके अलावा और क्या चाह रखती है।बहुत खूबी से आपने भावों को शब्दों में ढाला है रंजना जी।

ghughutibasuti said...

सुन्दर ! बहुत सुन्दर !
घुघूती बासूती

Anonymous said...

na lab mere hilain,par dill ke batain tum samajh jao,
main andhi se gira gul,
tum mujhe ijjat se apnao,
nazar ke baat samjho aur mujhko hamnazar karlo,
main girta hee rahoon par tum mujhe in bahon main bhar lo.
mita do apni hasti ko meree khatir main tab jaanoo,
tere pyaar ko tab main sach manoo

Manish Kumar said...

बहुत अच्छा लिखा है आपने ! पढ़कर लुत्फ आ गया ।
वैसे एक बात पूछनी थी आपसे
बस मेरी आरज़ू, मेरी मोहब्बत हो त्रिशंगी में तेरी
यहाँ त्रिशंगी शब्द का तात्पर्य क्या है ?
उर्दू जबान में एक अलफाज है तिश्नगी (पिपासा) कहीं आप वही तो mean नहीं कर रहीं ?

RC Mishra said...

रंजू जी कितनी भावपूर्ण कविता है, बहुत अच्छी लगी।
कृपया ई-मेल पोस्ट का भी बटन लगा रहने दें तो पाठकों को और सुविधा होगी, धन्यवाद।

Unknown said...

mujhe sabhi bahut achha laga mam...rly mein...

Mohinder56 said...

तन्हाई भी मिल जाये तो खुल कर नही मिलता
दिल जिस को दिया हमने, वो दिलवर नही मिलता
मैखाने में आना तो कुछ सोच के आना
रिन्दों को सभी मिलता है, सागर नही मिलता

ABHISHEK KUMAR (QAASID) said...

दूर रह कर भी तेरे पास रहने का अहसास रहे
मेरा ज़िक्र तेरे ज़हन में, जिगर में ख़ास रहे
मेरे वजूद को इस कदर ख़ुद में समा लो तो जानू
मेरे जज़्बो को,ग़ज़लों के अल्फ़ाज़ो में सज़ा लो तो जानूँ
--RANJU

bahut khoobsurat ji...


kuch teri surat si hai ye ghazal teri...
ki issmein kuch khoya sa jata hoon...
jaisey mudti hai meri har rah terey ashiyaney tak..
iskey har lafz mein main kuch aisey hin bandha jata hoon....

aur likhon kya teri ghazal key barey mein...
har lafz padhkey tera kayal sa hua jata hoon...
ki ab toh shabd bhi na rahey baki pesh karney ko...
bas karkey band palkoon ko teri tasveer bana sirf muskurata hoon...

रंजू भाटिया said...

shukriya sameer ....aapke yahan aane ka aur isko payaar se padhne ka ...[:)]

रंजू भाटिया said...

shukriya divyabh ,,,,[:)]

रंजू भाटिया said...

shukriya gulshan ,,aapke yahan aane ka ..aur isko padhne ka [:)]

रंजू भाटिया said...

shurkriya sanjit ,,,

रंजू भाटिया said...

shukriya घुघूती बासूती ji

रंजू भाटिया said...

bahut khoob vinu ...bahuit hi sundar ehsaas ko lafazo mein dhaala hai aapne ..bahut accha laga aapka likha hua ..shukriya

रंजू भाटिया said...

shukriya manish ji ..haanji yahi meaning hai jo aapne kaha hai ...

रंजू भाटिया said...

shukriya rcmishra ji ....koshish karti hoon ji .

रंजू भाटिया said...

shukriya manoj ....

रंजू भाटिया said...

shukriya mohinder ji behad khubsuart lines likhi hain aapne ..thanks again

रंजू भाटिया said...

bahut hi khubsuart likha hai aapne abhishek ...behad khubsuart ...[:)]thanks again ...

Soliloquy said...

सोचना तुम्हारा गुलाब सा मुझको,
मेरी ख़ूबसूरती का जवाब था मुझको
पर काँटो की चुभन है जुदाई तुम्हारी
अब मुझको गले लगा लो तो जानूँ

These lines are very touching....

Anonymous said...

तेरे प्यार को तब मैं सच मानूं......

दूर रह कर भी तेरे पास रहने का अहसास रहे
मेरा ज़िक्र तेरे ज़हन में, जिगर में ख़ास रहे

Wonderful lines!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

वाह जी बहुत बढ़ि‍या

ANULATA RAJ NAIR said...

हैं सब शर्तें मंज़ूर.....अब तो सच मान लो :-)

बहुत प्यारी रचना.

अनु

संजय भास्‍कर said...

मेरे वजूद को इस कदर ख़ुद में समा लो तो जानू
मेरे जज़्बो को,ग़ज़लों के अल्फ़ाज़ो में सज़ा लो तो जानूँ"

........बहुत सुन्दर !

Akhil said...

bahut arse ke baad blog ki is duniya men sakriya ho raha hun..aapke blog par bhi lambe arse ke baad aana hua..aate hi bahut nazuk aur khoobsurat rachna padhne ko mili..bahut bahut bahdai aapko is rachna ke liye.

jr... said...

touchy lines...keep up the good writting..