क्या फिर से मौसम बहारों का आयेगा,
जिसकी जुस्तजू है वो फिर कभी ना आयेगा।
तन्हा तन्हा सी है क्यों ये जिंदगी की शाम
क्या कोई फिर से जीवन में बसंत लायेगा।
अब कोई ना करे मुझ पर निगाहें करम,
अरमानों का दम खुद ही घुट जायेगा।
मेरे मिटने का उनको जरा भी गम ना होगा,
क्या कोई फिर से खुशियों की सौगात लायेगा।
जिसकी जुस्तजू है वो फिर कभी ना आयेगा।
तन्हा तन्हा सी है क्यों ये जिंदगी की शाम
क्या कोई फिर से जीवन में बसंत लायेगा।
अब कोई ना करे मुझ पर निगाहें करम,
अरमानों का दम खुद ही घुट जायेगा।
मेरे मिटने का उनको जरा भी गम ना होगा,
क्या कोई फिर से खुशियों की सौगात लायेगा।