बदमाश मौसम
...........सावन भादों
बदतमीज बरसती थमती
.............बारिश
नालायक कमबख्त दिल की
..........गुस्ताखियाँ
बहकती आँखों के
...........बेसबब इशारे
तेज तूफ़ान हवाओं के साथ
...........थिरकते बहकते उड़ते मन
पुराने संगीत की धुन पर
............बुन रहे हैं ज़िन्दगी की नयी परिभाषा ,
.ज़िन्दगी यूँ ही रोज़ बदलती है नए रंग ..और खुली आँखों से बुनते हैं न जाने कितने दिल नए सपने इसके रंग में .....# रंजू ...
...........सावन भादों
बदतमीज बरसती थमती
.............बारिश
नालायक कमबख्त दिल की
..........गुस्ताखियाँ
बहकती आँखों के
...........बेसबब इशारे
तेज तूफ़ान हवाओं के साथ
...........थिरकते बहकते उड़ते मन
पुराने संगीत की धुन पर
............बुन रहे हैं ज़िन्दगी की नयी परिभाषा ,
.ज़िन्दगी यूँ ही रोज़ बदलती है नए रंग ..और खुली आँखों से बुनते हैं न जाने कितने दिल नए सपने इसके रंग में .....# रंजू ...
11 comments:
आपकी यह रचना कल मंगलवार (30-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ये बदलाव ही तो जिंदगी है रंजू दी
सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन भारत मे भी होना चाहिए एक यूनिवर्सल इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जबरदस्त ...बेहतरीन.
रामराम.
खुबसूरत रचना !!
खुबसूरत रचना !!
बहुत खूब .... :):)
इन दिनों बदतमीज शब्द अचानक बहुत प्रचलन में है -झलक दिखला जा से लखनऊ के प्रसिद्ध मिठाई शाप छप्पन भोग और कुछ मेरी कलम से तक ..लगता है अब जल्दी ही यह शब्द भी अपना मूल अर्थ खो देगा :-)
नित नये सपने पुराने स्थान हड़प लेते हैं, नये स्थानों की खोज और विस्तार में जीवन।
khubsurat shabdo se saji jindagi ..:)
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