Friday, April 26, 2013

श्रीनगर यात्रा ..भाग एक



 श्रीनगर यात्रा ..भाग एक ............स्वर्ग की सूरत इस से अलग क्या होगी ............?
 सारी कायनात ..........
एक धुन्ध की चादर में खो रही है
एक कोहरा सा ओढ़े ........
यह सारी वादी सो रही है

गूँज रहा है झरनो में
कोई मीठा सा तराना
हर साँस महकती हुई
इन की ख़ुश्बू को पी रही है

पिघल रहा है चाँद
आसमान की बाहो में
सितारो की रोशनी में
कोई मासूम सी कली सो रही है

रूह में बस गया है
कुछ सरूर इस समा का
सादगी में डूबी
यहाँ ज़िंदगी तस्वीर हो रही है

है बस यही लम्हे मेरे पास इस कुदरत के
कुछ पल ही सही मेरी रूह एक सकुन में खो रही है !!

पिछले कुछ दिन कश्मीर की वादी में गुजरे ....और यह पढ़ा हुआ सच लगा
"गर फ़िरदौस बररू-ए- ज़मीं अस्त हमीं अस्तो हमीं अस्तो हमीं अस्तो"
यानी अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है यहीं है यहीं है…यहाँ के गार्डन्स, सफ़ेद बर्फ से ढकी वादियाँ और गुलमर्ग, पहलगांव के खूबसूरत नज़ारे यहीं बस जाने का न्योता देते लगे . सीधे सादे लोग जो कश्मीर की तरह ही खूबसूरत हैं ..पर फिर भी कुछ तो था जो लगा इस हसीं जगह को किसी की नजर लगी है ..

.फूलों की घाटियाँ ...बर्फीली वादियाँ ....खिलते ट्यूलिप से मुस्कराते चेहरे .....धरती का यह स्वर्ग है ...पर कुछ तो है जो इन बर्फीली फिजा में सुलग रहा है .
..स्पाइस जेट विमान में दूसरी यात्रा ..एक विशाल पंक्षी सा उड़ता यह सब यात्रियों को अपने में समेटे दूर ऊँचा उठता हुआ पर्वतों की चोटियों में बादलों में जैसे एक सपने का सा एहसास करवा देता है ..बर्फ से ढकी चोटियाँ बादलो के समुन्द्र में बड़ी बड़ी लहरों सी दिखती है ....नीचे दूर तक बादल ही बादल बस ..और दिल की उड़ान ..जिसका कोई आदि  नहीं अंत नहीं .....धीरे धीरे यह विशाल धातु पक्षी जमीन को छुने की कोशिश में है और दिख रहे हैं सरसों के पीले खेत ..गहरा हरा रंग .हल्का हरा रंग ..भूरी जमीन ,छोटे छोटे मकान ...रास्ते ..नदी और खिलोने जैसी गाड़ियां ...और माइक पर गूंजती आवाज़ ...हम जलन ही श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरने वाले हैं ..अपनी पेटियां बांध ले ..हवाई बलाएँ निगरानी करती हूँ ...दरवाज़े के पास खड़ी है ..और बाहर का तापमान इस वक़्त ९ डिग्री हैं ....यह सूचना दी जा रही है ...दिल्ली में हम तापमान ३५ डिग्री के आस पास छोड़ कर आये थे ..कपडे गर्मी के थे ..इस लिए उतरते ही एहसास हुआ ..सर्द हवाओं का ...और एहसास हुआ ..कि माहौल में गर्मी है तो बहुत तेज निगरानी की ..कुदरत पूरी तरह से अपने रंग में रंगी हुई है .रस्ते में खिले हुए फूल ...झेलम नदी पर तैरते शिकारे हाउस बोट ....और सर से पांव तक ढकी कश्मीरी लडकियां ...एक नजर में अपने होने के अस्तित्व से परिचित करवा देती है ....सामने बर्फ से ढकी चोटियों पर धूप और बादल कि आँख मिचोली जारी है .....हवा सर्द है ..और दिल एक अजीब से एहसास से सरोबार कि यह जन्नत हमारी है ....मेरे देश की है ....और हर शहर ,हर देश की तरह इस जगह की भी अपनी एक महक है ..वह अच्छी है या बुरी ..यह समझने में वक़्त का लगना लाजमी है ...शायद शाकाहारी होने के कारण कुछ अजीब सी महक का एहसास तेजी से अनुभव हो रहा है .........
 
 
मन में खिलने लगे हैं "ट्यूलिप के फूल"
लगता है फिर से जैसे
महीना फागुन का
दस्तक देने लगा है
हवाओं में भी है
एक अजीब सी दीवानगी
और पलाश फिर से
दिल में दहकने लगा है
हो गयी ही रूह गुलमोहरी
लफ्ज़ बन के संदली कविता
कागज पर बिखरने लगा है.................

श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन को देखते हुए यही लफ्ज़ दिल दिमाग में कोंध गए ...

और साथ ही यह "देखा एक ख्व़ाब तो ये सिलसिले हुए, दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए’"ज़मीं की जन्नत माने जाने वाले कश्मीर की ख़ूबसूरत वादियों में महकते यह ट्यूलिप के फूल जब अपना जादू बिखेर देते हैं तो सम्मोहित खड़े रह कर बस यही गाना याद आता है । लाल, पीले, गुलाबी, सफ़ेद और नीले रंगों के ये फूल एक बड़ा सा गुलदस्ते जैसे दिखाई देते हैं। जो अपनी अनोखी छटा से आपको मूक कर देते हैं ....श्रीनगर में एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन सिराज बाग़ चश्मशाही का इंदिरा गाँधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन है। ज़रा सोचिये कितना मनमोहक और लुभावना होगा वो दृश्य जब खूबसूरत डल लेक के किनारे ट्यूलिप के रंग बिरंगे फूलों का एक गुलदस्ता सजा होता है और आप बस उसको बिना कुछ कहे निहारते रह जाते हैं ...यह गार्डन कुल 90 एकड़ के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। फूलों के मौसम में इस बगीचे में कम से कम 13 लाख ट्यूलिप बल्‍ब एक बार में खिलते हैं और शायद ही कोई होगा जो ट्यूलिप के फूलों को देखकर मोहित ना हो जाए....पर्यटक तो यहाँ खूब दिखे पर साथ ही वहां के लोकल कश्मीरी भी परिवार के साथ उन फूलों से खिलखिलाते हुए दिखे .......वहां बनी "कहवा हट "भी ट्यूलिप के फूलों से ढकी आकर्षित कर रही थी| कहवा और बाकरखानी बेचता हुआ यह सुन्दर छोटी सी अपनी दूकान लगाए उतना ही रोचक था जितना यह खिल हुआ खिलते हुए चेहरों और फूलों का बगीचा :) ...
पांच दिन की यात्रा सिर्फ इतने से लफ़्ज़ों से ब्यान नहीं हो सकती न ? ..जारी है अभी पन्ना दर पन्ना ..लफ्ज़ दर लफ्ज़ इस यात्रा से जुडी मुख्य बातें .......

30 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

स्वर्ग आज भी आतंकित है।

Anju (Anu) Chaudhary said...

चित्र सहित ...शब्दों की जानदार प्रस्तुति ...अगले भाग का इंतज़ार रहेगा

sandhya jain said...

बेहद ही सुंदर....खुबसूरत नजारों और खुबसूरत रचना के लिए शुक्रिया रंजू :-)

सदा said...

यहाँ जिंदगी तस्‍वीर हो रही है .......... वाह एक - एक शब्‍द अपनी बानगी खुद-ब-खुद कर रहा है
लाजवाब प्रस्‍तुति

सादर

विवेक रस्तोगी said...

ट्यूलिप गार्डन के बारे में हमें आपसे ही पता चला ।

SANDEEP PANWAR said...

गर्मी हो या सर्दी यहाँ हमेशा कुछ ना कुछ नया होता रहता है।

संजय भास्‍कर said...

खुबसूरत खुबसूरत खुबसूरत

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत वर्णन .... आपकी नज़र से देखा काश्मीर ....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
साझा करने के लिए धन्यवाद!

Udan Tashtari said...

काश...हम कभी जा पायें वहाँ

वन्दना अवस्थी दुबे said...

अरे वाह रंजू....तुम्हारे साथ हमने भी कश्मीर की सैर कर ली...

Maheshwari kaneri said...

तुम्हारे साथ हमने भी कश्मीर की सैर कर ली...बहुत खूबसूरत वर्णन

Asha Joglekar said...

जितना सुंदर कश्मीर उतना ही सुंदर आपका लेख और उसके अंदरकी कविताएं वहां खिले ट्यूलिप्स ।

Nidhi said...

कश्मीर जाने की इच्छा और बलवती हो गयी

रंजू भाटिया said...

sahi kaha aapne parveen ji shukriya

रंजू भाटिया said...

shukriya anju ji :)

रंजू भाटिया said...

shukriya sandhya :)

रंजू भाटिया said...

shukriya vandana :)

रंजू भाटिया said...

shukriya sada :)

रंजू भाटिया said...

:) shukriya

रंजू भाटिया said...

sahi kaha ..accha buar dono shukriya

रंजू भाटिया said...

shukriya shukriya shukriya sanjay bhaai :)

रंजू भाटिया said...

shukriya sangeeta ji

रंजू भाटिया said...

shukriya ji

रंजू भाटिया said...

jald hi jaayenge aap bhi sameer ji ..ameen :)

रंजू भाटिया said...

abhi to baaki hai sair vandana ..:)

रंजू भाटिया said...

shukriya

रंजू भाटिया said...

abhi to baaki hai shukriya :)

रंजू भाटिया said...

shukriya asha ji :)

रंजू भाटिया said...

ameen jaldi jaao nidhi :) shukriya