कुछ एहसास
है बस ख़ास
जो यह याद दिलाते हैं
कि नही ओढ़ सकते अब हम
एक दूजे को लिहाफ की तरह
पर एक दूजे का हाथ थाम
सहारा तो दे सकते हैं
इस तरह चलने में भी
क्या पता सुलग उठे कोई चिनगारी
और ...........
एक वजह फ़िर से जीने की मिले??
है बस ख़ास
जो यह याद दिलाते हैं
कि नही ओढ़ सकते अब हम
एक दूजे को लिहाफ की तरह
पर एक दूजे का हाथ थाम
सहारा तो दे सकते हैं
इस तरह चलने में भी
क्या पता सुलग उठे कोई चिनगारी
और ...........
एक वजह फ़िर से जीने की मिले??
14 comments:
वास्तविक अनुभूति !
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post बे-शरम दरिंदें !
latest post सजा कैसा हो ?
बहुत खूब ... वजह तो जीने को ढूंढनी है ...
कोई लौ तो होनी चाहिए जिन्दा रखने के लिए ... गहरे भाव लिए ...
एहसास बना रहे ....
जब तक साथ रहे, चलना हो,
जीवन में जीवन पलना हो।
बहुत सुन्दर....
जीने की कोई वजह तो खोजना ही होगी....या क्यूँ न जिए यूँ ही...बेवजह???
सस्नेह
अनु
बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
आशावाद की चिंगारी
सुंदर सार्थक अहसास
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
बहुत ही सुन्दर एहसास,आपका आभार.
khubsurat ahsaas..
जीने के लिए किसी वजह की नहीं ....एक आस की जरुरत होती है
सुन्दर,भावपूर्ण!!!!!!
एक वज़ह फिर से जीने को मिले ............... सच
भावमय करते शब्द
.....
सादर
सुन्दर एहसास
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