समय की आंधी में ,
मिट जाती है.....
लम्हों की रेत पर
लिखी हुई कहानियाँ,
पर मिटने के डर से
कहाँ थम पाती है यादें
जो बिना किसी रंग के
दिल की गहराई में
रंगोली सी खिलती रहती है !!
मिट जाती है.....
लम्हों की रेत पर
लिखी हुई कहानियाँ,
पर मिटने के डर से
कहाँ थम पाती है यादें
जो बिना किसी रंग के
दिल की गहराई में
रंगोली सी खिलती रहती है !!
10 comments:
यादों का संसार रंगीला..सुखमय..
बहुत अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...
वाकई .... यादें खिली ही रहती हैं ।
खिलाती रहती है आप कितने रंगों को हम सब के साथ साहित्य संसार के रूप में....साधुवाद
खिलती धूप सी रंगोली
यादों को याद दिलाती बहुत सुंदर रचना,,,,
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
recent post: गुलामी का असर,,,
क्या खिलती हुई यादों का कोई रंग नहीं होता ?
यादें अपनी निशानी छोड़ जाती हैं, भले मिट जाएँ. सुन्दर रचना, शुभकामनाएँ.
वाह ...शब्द शब्द सार्थक ...क्या कमाल लिखती हैं आप ...बहुत अछा लगा आपको पढ़ कर।
सच कहा है ... यादें बनी र्तःती हैं हमेशा ... कोई आंधी इसे मिटा नहीं पाती ...
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