यह दिल
कैसे करे कोई
किसी का एतबार
मौसम के रंग सा
कभी है झरता पतझड़ भीतर
तो कभी बच्चो सा पुलकित मन
बहार सा गुलजार
दिल में कूके यही सवाल बार बार
क्यूँ कभी सन्नाटे की फुहार
कभी शोर की गुहार
जीवन हुआ न आर पार
हर बीतता लम्हा है बेकल
और हर पल करे जीना मुहाल !!
कैसे करे कोई
किसी का एतबार
मौसम के रंग सा
कभी है झरता पतझड़ भीतर
तो कभी बच्चो सा पुलकित मन
बहार सा गुलजार
दिल में कूके यही सवाल बार बार
क्यूँ कभी सन्नाटे की फुहार
कभी शोर की गुहार
जीवन हुआ न आर पार
हर बीतता लम्हा है बेकल
और हर पल करे जीना मुहाल !!
5 comments:
हर पल करे जीना मुहाल !!
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने
सबसे अधिक तो यही परेशान करता है।
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
वाह.. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
सच है दिल तो है दिल ... दिल का एइत्बार क्या कीजे ...
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